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चेक बाउंस होना तुरंत अपराध नहीं, नोटिस के बाद कार्यवाई, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में तुरंत अपराध नहीं माना है इसको

RNE Network

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चेक बाउंस होना तुरंत अपराध नहीं माना जा सकता। चेक बाउंस होने और नोटिस दिए जाने के 15 दिन के अवधि खत्म होने के बाद ही निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट ( एनआई ) एक्ट 1981 की धारा 138 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ एक कम्पनी के पूर्व निदेशक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में चेक बाउंस होने पर उनके खिलाफ दायर आपराधिक मामला रद्द करने की मांग की गई थी।कोर्ट ने मामला रद्द किया:

कम्पनी के पूर्व निदेशक ने कहा कि कम्पनी के खिलाफ दिवालिया की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में कम्पनी के खिलाफ इंसाल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड के तहत स्थगन के आदेश दिए गए। इसके कारण चेक बाउंस हुआ। कोर्ट ने मामला रद्द करने के आदेश दिए।