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कांग्रेस सांगठनिक ढांचे में बदलाव की लिख रही स्क्रिप्ट, जिलों में नये लोगों को देंगे कमान

RNE Political Desk.

लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आयेंगे। देश और प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा, यह तो उस समय पता चलेगा। मगर कांग्रेस ने अपनी उदयपुर और घोषणा को लागू करने के लिए भीतर ही भीतर अभी से तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने युवाओं, महिलाओं व आदिवासियों को अधिक अवसर देने की उस समय घोषणा की थी, उस पर अब गम्भीरता से वर्किंग भी आरम्भ हो गई है। जिसमें इस लोकसभा चुनाव के समय जिन लोगों की भूमिका सकारात्मक रही, उसको भी तरजीह मिलेगी।

कांग्रेस लोकसभा चुनाव में जा रही थी तो आनन-फानन में कई जिलों में अध्यक्ष बदले नहीं, जो थे उनको ही कंटिन्यू कर दिया। केवल वहां वहां नियुक्तियां की जहां पद खाली हुए थे। उसमें भी उस क्षेत्र के बड़े नेता की राय को तव्वजो दे दी गई। कुछ ने दोहरे पद के कारण इस्तीफा दिया था तो उनकी भी एकबारगी जगह भर दी गई।

लोकसभा चुनाव के समय जो सबसे बड़ी परेशानी पार्टी को झेलनी पड़ी वो थी सांगठनिक कमजोरी। कई लोकसभा क्षेत्रों में तो पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा व प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को कड़े बोल भी बोलने पड़े। यहां तक कहना पड़ा कि निष्क्रिय पदाधिकारियों के नाम भेजें, उनको हटाया जायेगा। इसके अलावा लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से भी निष्क्रिय या पार्टी का विरोध करने वालों की सूची मांगी गई। ये इस बात का प्रमाण है कि पार्टी इस बात को स्वीकारती है कि संगठन के स्तर पर कमियां है। बात आलाकमान तक भी पहुंची है। राज्य में दो गुट है तो उन्होंने भी रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंचाई है।

आलाकमान के निर्देश पर ही पीसीसी चीफ डोटासरा ने अभी से सांगठनिक बदलाव पर वर्किंग शुरू कर दी है। क्योंकि राज्य में लोकसभा के लिए वोट तो पहले दो चरणों मे ही पड़ गये। पीसीसी में अब बदलाव की स्क्रिप्ट पर ही काम हो रहा है। माना जा रहा है कि अधिकतर जिलों में संगठन की सूरत को बदला जायेगा। जिसके लिए खोज का काम भी आरम्भ हो गया। जिनके पास अभी काम है उनकी भी कुंडली बनाई जा रही है।

इसी कारण ये कहा जाने लगा है कि कांग्रेस के प्रदेश संगठन में बदलाव की बात तो आलाकमान करेगा मगर जिलों में बदलाव की स्क्रिप्ट तो अभी से तैयार होने लग गई है। इस संकेत ने कईयों के धड़कने बढ़ा दी है।

-मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘