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कांग्रेस का रुख महत्ती है खींवसर उप चुनाव में, हनुमान ने बनाया सस्पेंस

राज्य में विधानसभा की 7 सीटें खाली हो गई है और उनके लिए उप चुनाव इसी साल में होने हैं। इन उप चुनाव को लेकर कांग्रेस व भाजपा तो काफी समय से तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष इन सभी सीटों का दौरा कर फीडबैक ले चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष व राज्य प्रभारी भी इन सीटों पर खुद जाकर स्थिति का आंकलन कर चुके हैं। अचानक से अलवर के विधायक जुबेर खान का निधन हो गया, तब 7 वीं सीट खाली हुई है।

राज्य के इतिहास में पहली बार 7 सीटों के लिए उप चुनाव होंगे, ये भी बड़ी बात है। इनमें सलूम्बर व अलवर की सीट विधायकों के निधन के कारण खाली हुई है। जहां क्रमशः भाजपा व कांग्रेस के विधायकों का निधन हुआ है। शेष 5 सीटों पर उप चुनाव इस कारण हो रहा है क्योंकि वहां के विधायक सांसद चुन लिए गए हैं। 7 सीटों पर चुनाव एक तरह से चल रही सरकार के कामकाज का भी आंकलन होता है, इस कारण ये चुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। कांग्रेस के लिए भी अपने जनाधार को दिखाने का ये बड़ा अवसर है। दौसा, देवली उणियारा, अलवर व झुंझनु की सीटें कांग्रेस की है, इस कारण यहां उनकी साख दाव पर लगी है। सलूम्बर भाजपा की सीट है। घाटोल आदिवासी पार्टी की सीट है और हॉट सीट खींवसर रालोपा की सीट है।

इस सीट को हॉट सीट माना जाना गलत भी नहीं। यहां से पिछली बार हनुमान बेनीवाल जीते थे मगर बहुत कम अंतर से। बाद में वे लोकसभा का चुनाव इंडिया गठबन्धन में शामिल होकर जीते। बेनीवाल की कम वोटों की जीत की वजह इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार का होना था, हालांकि वो तीसरे नम्बर पर रहा। मगर भाजपा ने बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी। पिछले दिनों खरनाल में हुई धर्म सभा में जो घटित हुआ, उसका भी खींवसर सीट पर असर पड़ेगा। खींवसर व सलूम्बर से ही भाजपा को अधिक उम्मीद है, इस कारण उसने ज्योति मिर्धा को भी सक्रिय किया है। वे भी पदयात्रा करके खरनाल पहुंची। हनुमान तो बड़े लवाजमे के साथ आये। डांगा ने भी भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन किया।

हनुमान ने अभी तक इस सीट के लिए अपने पत्ते नहीं खोले है। न तो उम्मीदवार तय किया है और न ही ये स्पष्ट किया है कि सीट के लिए वे कांग्रेस से समझौता करेंगे या नहीं। दूसरी तरफ समझौते को लेकर कांग्रेस ने भी अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। इसी कारण समीकरण उलझे हुए हैं।

यदि कांग्रेस से रालोपा का समझौता नहीं होता है तो हनुमान के लिए सीट निकालना मुश्किल होगा। जाट बहुल इस सीट पर जाट वोट बंटेंगे तो नुकसान रालोपा को ही होगा। भाजपा को राहत मिलेगी। इस सीट का गणित पूरी तरह से सीट समझौते पर निर्भर करेगा, इस कारण ही उप चुनाव में इस सीट को हॉट सीट माना जा रहा है।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in  के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।