धर्मांतरण कानून न केवल शादी पर बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी होगा लागू
RNE, STATE BUREAU .
अब धर्मांतरण कानून न केवल शादी पर बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है। ये टिप्पणी एक फैसले के दौरान हाईकोर्ट ने की है। न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने पुलिस सुरक्षा के लिए एक अंतर-धार्मिक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए यह संज्ञान लिया है।
अदालत ने कहा कि धर्म परिवर्तन न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी आवश्यक है और इसलिए गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 विवाह या लिव-इन रिश्तों पर लागू होता है। लिव-इन-रिलेशनशिप के लिए भी… धर्मपरिवर्तन जरूरी होगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह अधिनियम जो 5 मार्च, 2021 को लागू हुआ उसने अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इसके प्रावधानों के अनुसार, धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य बना दिया है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा मामले में माना जाता है कि किसी भी याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 8 और 9 के अनुसार, धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं दिया है।
हाईकोर्ट ने अधिनियम की धारा 3(1) के स्पष्टीकरण का भी उल्लेख किया जो कहती है कि कोई भी व्यक्ति गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, बल का प्रयोग या अभ्यास करके किसी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्यथा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा।