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किरोड़ी के इस्तीफे पर निर्णय में देरी से उलझन बढ़ी, पार्टी के भीतर का द्वंद उभर के सार्वजनिक हो गया

अभिषेक आचार्य

RNE Network

‘ मेरे पीछे सीआईडी लगाई हुई है जो मेरी हर गतिविधि पर नजर रखती है। मैं क्या करता हूं, कहां जाता हूं, इस पर नजर है। मेरा फोन भी टेप होता है। करे कोई भी, मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं तो सत्य के लिए संघर्ष करता हूं। करता रहूंगा। ‘

भाजपा के दिग्गज नेता और राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के इस बयान ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। भाजपा सरकार व संगठन उनके इस बयान से घिर गये है और इनमें भीतरी द्वंद भी अब सार्वजनिक हो गया है। किरोड़ी बाबा के इस बयान को विपक्ष ने लपक लिया और विधानसभा को ठप्प कर दिया। विपक्ष इस मसले पर सरकार से बयान की मांग कर रहा है और विधानसभा नहीं चलने दे रहा है।

भाजपा व भजनलाल सरकार पशोपेश में आ गई है। राज्य के गृह राज्यमंत्री ने मीडिया में तो किरोड़ी बाबा के बयान का सही नहीं माना मगर सदन में ये कहने से बच रहे हैं। विपक्ष सदन में इस बयान को चाहता है ताकि मंत्री के बयान को असत्य कहे तो उनसे इस्तीफा भी मांगना पड़ेगा। भजनलाल सरकार के सामने किरोड़ी बाबा ने इस बयान से बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। भाजपा संगठन की भी अजीब स्थिति है। वो तो मुंह ही नहीं खोल रहा। पहले तो अध्यक्ष सहित सब कहते रहे, सब ठीक हो जायेगा। अब इस बयान के बाद तो संगठन पदाधिकारियों का मुंह ही बंद हो गया है।

मसला यहां से बिगड़ा:

राज्य के दिग्गज नेता किरोड़ी बाबा ने कांग्रेस शासनकाल में अकेले बड़ा विपक्ष थे। सरकार बदली तो उनको वाजिब सम्मान नहीं मिला, ऐसा उनके समर्थक मानते हैं। एक खिंचाव तब से ही आ गया।

बात तब से बिगड़ी जब किरोड़ी बाबा ने अपने भाई के लिए टिकट मांगी। लोकसभा की मिली नहीं और भाजपा दौसा व टोंक सीटें हार गई। बस, बाबा को बहाना मिल गया और उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

अपने कार्यालय जाना बंद कर दिया। सरकारी गाड़ी वापस भिजवा दी। फाइल पर हस्ताक्षर बंद कर दिए। सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की बात भी कह दी। तभी से सरकार व भाजपा संकट में घिर गये।

यूं चला घटनाक्रम:

इस्तीफे की ये बात 4 महीनें से भी अधिक पुरानी है। बाबा को भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने दिल्ली मिलने बुलाया। 10 दिन बाद फिर बात करना तय किया। वो 10 दिन आज तक पूरे नहीं हुए।

इधर उनका इस्तीफा एक पहेली बन गया। सीएम भजनलाल ने इस्तीफे पर निर्णय ही नहीं लिया। किरोड़ी बाबा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपस्थित रहे। अब बजट सत्र से भी छुट्टी ले ली। बाबा के इस्तीफे पर अब भी सीएम भजनलाल व भाजपा संगठन ने मौन साध रखा है।

शाह से भी मिले थे बाबा:

इस्तीफा दे चुके मंत्री किरोड़ी बाबा ने बीच मे एक बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। क्या बात हुई, वो तो आज तक सामने नहीं आई। मगर उसके बाद भी बाबा इस्तीफे पर तो अड़े ही रहे। मगर इस्तीफा अब भी अनिर्णीत है। अबूझ पहेली बना हुआ है।

विधानसभा उप चुनाव:

किरोड़ी बाबा की जिद को पार्टी ने माना और उनके भाई जगमोहन को दौसा सीट पर पार्टी का टिकट दे दिया। मगर वे किरोड़ी बाबा की कड़ी मेहनत के बाद भी चुनाव हार गये।

इस हार पर बाबा का दर्ज छलका। वो बोल गये कि अपनों ने पीठ में छुरा घोंप दिया। अब ये किसके लिए कहा, वो कुछ नहीं बोले। विपक्ष का कहना था कि सीएम के लिए बोले है। बाबा की एसआई भर्ती पर भी सरकार ने बात नहीं मानी। अफसरों को हटाने की बात भी बाबा को अखरी। तनाव सरकार व बाबा के बीच बढ़ता गया। अब चरम पर है।

ताजा संकट बड़ा:

अब फोन टैपिंग व जासूसी के किरोड़ी बाबा के बयान से सरकार व पार्टी के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। विपक्ष को बैठे बिठाए बड़ा मुद्दा मिल गया है। सरकार के पास जवाब के लिए कुछ नहीं। इधर कुआ, इधर खाई।

आगे क्या:

अब सरकार के सामने ये ही दो बड़े विकल्प बचे हैं::

  1. फोन टैपिंग के मंत्री के बयान को नकारे, तब विपक्ष कार्यवाही की मांग करेगा।
  2. अब किरोड़ी बाबा का इस्तीफा स्वीकार करे।

इनसे दीगर कुछ निर्णय सम्भव ही नहीं। सरकार व भाजपा को अब निर्णय करना ही पड़ेगा। आने वाला समय भाजपा की राजनीति में हलचल का होगा, ये तो तय है।