
मंगत कथन : आइये..! बम्पर सेल लगी है। जो चाहिये सस्ते दामों पर ले जाइये!!
सेल ! सेल ! सेल !
आइये ! आइये! मेहरबान ! कद्रदान ! हमने आपके लिये देश के दरवाजे खोल दिये हैं। कोई भी आइये ! कहीं से भी आइये ! खरीदिये ! कुछ भी खरीदिये ! हर माल सस्ता मिलेगा। बैलगाड़ी लीजिये। रेलगाड़ी लीजिये। जमीन लीजिये।आसमान लीजिये। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कुछ भी लीजिये। यहाँ सब कुछ बिकाऊ है पर बहुत टिकाऊ है। आप जो लेना चाहते हैं उसके बारे में बताऊगाँ। देर मत कीजिये। वरना फिर पछतायेंगे। जो माल आपको दिखलाया जा रहा है। वह और कहीं भी नहीं मिलेगा। इसमें कोई खोट नहीं है। शुद्ध माल है। इसे प्राप्त करने के बाद हमारा दावा है आपका मुख कमल अवश्य खिलेगा। ज्यादा सोच-विचार मत कीजिये। खिलाड़ी लीजिये। खेल लीजिये। गारंटीशुदा कलाकार, लेखक, पत्रकार लीजिये और जहाँ चाहे पेल दीजिये। वे पूरे भरोसेमंद हैं। आपके काम आयेंगे। आजकल व्यापार में कुछ ठण्डी है इसलिये सारा देश ही सब्जी मण्डी है। मैं देख रहा हूँ कि देश की सीमाओं पर ‘सेल’ के बड़े-बड़े होर्डिंग लगा दिये गये हैं। प्रधान सेवक और उसके सहायक रेडियो, दूर दर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से ‘सेल’ का सन्देश दुनिया और पूंजीपतियों तक पहुँचा रहे हैं। लोग आ रहे हैं। बैठकें हो रही हैं। भाव तय हो रहे हैं। आपस में विचार कर रहे हैं कि यह सब खरीदने के लिये उन्हें क्या करना चाहिये। अपने पराये का ध्यान भी रखा जा रहा है। मुनादी की आवाजें जोर-जोर से आने लगी हैं- कद्रदान ! मेहरबान ! साहेबान ! जल्दी कीजिये ! ऐसा माल फिर और कहीं नहीं मिलेगा। एक बार चूक गये तो जिन्दगी भर पछताओगे। फिर कभी कहीं पर ऐसा माल नहीं मिलेगा।
आइये! आइये ! सेल लगी है। सस्ते दामों पर माल ले जाइये। अपने देश को लाभपहुँचाइये। आप भी दाम कमायें। हमें भी कमाने दीजिये। आइये! आइये ! जल्दी कीजिये ! हम शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लायेंगे। जो पढ़ने योग्य है उसी को पढ़ायेंगे। इसलिये स्कूल बेच रहे हैं, कॉलिज बेच रहे हैं। शिक्षा जैसा अमूल्य थन मुफ्त में उड़ाने के लिये नहीं होता। जो लोग ऊँची फीस दे सकते हैं वे ही ऊँची शिक्षा प्राप्त कर पायेंगे। बाकी अक्षर ज्ञान प्राप्त करने के बाद किसी धन्धे में धंस जायेंगे। ज्यादा पढ़-लिख लिये तो सरकार से नौकरी माँग-माँग कर माथा खायेंगे। हम ऐसी संभावना को भी जड़ से मिटायेंगे। छोटे लोग शिक्षा प्राप्त कर के बड़ी गड़बड़ करने लगे हैं। कानून की बातें करते हुये बहुत बड़बड़ करने लगे हैं। बात-बात में कोर्ट कचहरी जाने के लिये धमकाते हैं। अधिकार माँगते हैं। इन्हें रोजगार भी चाहिये। इसके लिये हड़ताल करते हैं। तोड़-फोड़ करके देश की सम्पत्ति को हानि पहुँचाते हैं। यह सब शिक्षा के कारण ही हुआ है। अब न रहेगा बाँस तो कैसे बजेगी बाँसुरी ! यह क्षेत्र आपके लिये बड़ा लाभदायक सिद्ध होगा। शिक्षा के नाम पर शिक्षा का भ्रम पैदा करें। मेहरबान ! आप यहाँ जितना पैसा लगायेंगे। उससे हजार गुणा ज्यादा पायेंगे। लीजिये स्कूल, कॉलिज, प्रशिक्षण केन्द्र, कोचिंग सेंटर सब हाजिर हैं। कुछ भी लीजिये ! जो अधिक बोली लगायेगा, वही पायेगा। यही कायदा है। हम सच कह रहे हैं कि इस धन्धे में फायदा ही फायदा है। आप से वायदा है आप को कोई छेड़ेगा नहीं। आपकी पाँचों अंगुलियाँ घी में होंगी और सिर कड़ाही में। जल्दी कीजिये आइये! खुद भी मौज मनाइये साथ ही हमें भी मनवाइये। हम तकनीक बेचते हैं। हमारी सबसे बड़ी और उम्दा तकनीक ‘जुगाड़ तकनीक’ है। हम में से चाहे कोई छोटा है या बड़ा है वह जहाँ भी है जुगाड़ तकनीक के बलबूते ही खड़ा है। आपको भी इस तकनीक की आवश्यकता पड़ सकती है। हम आपको मुहैया करवा देंगे। असंभव को संभव करके दिखला देंगे। हम आपको ईमानदार तकनीशियन और इंजीनियर भी देंगे। वे ईमानदारी और मेहनत के साथ आपका काम करेंगे। काम करने के लिये हमारे पास ईमानदार ठेकेदार भी हैं। ठेकेदारों और इंजिनीयरों में अच्छी समझ का विकास हो चुका है। इंजीनियर हर बार उन ठेकेदारों को ठेका देकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं। समय पर उनका बिल पास कर देते हैं। ठेकेदार भी उन्हें ईमानदारी से उनका कमीशन पहुँचाते रहते हैं। आज तक हमारे देश में सड़कों और रेल लाइनों का जाल इनके सहारे ही बिछा है। इनकी तत्परता के कारण ही नई बनी सड़कों की एक वर्ष बाद ही मरम्मत शुरु कर दी जाती है क्योंकि इससे ठेकेदार बेकार घर नहीं बैठे रहते। उन्हें बराबर काम मिल जाता है। जितनी भी सरकारी इमारतें बनी हैं उन में इनके परिश्रम की झलक देखी जा सकती है। ऐसी ईमानदारी के उदाहरण आपको हमारे देश के अतिरिक्त कहीं नहीं मिलेंगे। यदि आप अपने देश से इंजीनियर और तकनीशियन लेकर आयेंगे तो आपका खर्च बढ़ जायेगा और मुनाफा घट जायेगा। हमारे यहाँ चिकित्सा का क्षेत्र बड़ा विस्तृत एवं उपजाऊ है।
यहाँ भी आपका स्वागत है। यहाँ पैसे की बरसात चेरापूंजी को भी पीछे छोड़ देती है। एक बार यदि कोई इस व्यवसाय में आ गया तो वह अकेला ही सात पीढ़ियों का प्रबन्ध कर जाता है। समाज में अमीरों के कुछ ऐसे रोग हैं जैसे हाइपरटेंशन, बीपी, शूगर, एंजाइटी आदि जो कभी खत्म नहीं हो सकते। यदि कोई डॉक्टर ऐसे पाँच-सात मरीज ही पकड़ले तो उसे अधिक भागदौड़ करने की आवश्यकता भी नहीं। आप तो यहाँ बस आधारभूत ढाँचा (इंफ्रास्ट्रक्चर) खड़ा कीजिये फिर देखिये हमारे डॉक्टरों का कौशल ! माया कैसे बरसती है! हमारे चिकित्सक तो रेत से भी तेल निकालने में सिद्धहस्त हैं। मरीज तो बना ही पैसा लुटवाने को है। भगवान की जब माया ट्रांसफर करने की इच्छा होती है तो वह व्यक्ति को डॉक्टर या वकील के पास भेजता है। यहाँ तो मृतप्राय व्यक्ति को यदि अस्पताल में भर्ती करवा दिया जाये तो डॉक्टर द्वारा उन से एक-दो लाख आसानी से झटक लेना और बाद में पल्ला झाड़ लेना बाँये हाथ का खेल है। हमारे लोगों के कुछ दृढ़ विश्वास हैं जिनकी आड़ में ये लोग निःसंकोच होकर काम करते हैं। पहला तो यही कि रोगी का ठीक होना या न होना भगवान और मरीज की किस्मत पर निर्भर होता है। यदि इस बीच वह मर जाता है तो या तो पीछेवालों और मरीज की किस्मत ही खराब थी अथवा उसके सांस ही इतने लिखे थे। इसमें डॉक्टर का कोई कसूर नहीं होता। हाँ! आजकल कुछ नास्तिक किस्म के लोग किसी के उकसाने पर लालचवश डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर उनसे पैसा ऐंठने का प्रयास करते हैं। दरअसल इन लोगों के पीछे विपक्ष के नेताओं का हाथ होता है। जहाँ तक पक्ष का सवाल है उन्हें तो समय समय पर चंदा-चिट्ठा मिलता ही रहता है। वे जिनसे कुछ पा रहे हैं उसके विरुद्ध क्यों बोलेंगे? दवा का क्षेत्र तो विल्कुल सूना ही पड़ा है। इन्हीं अस्पतालों में जब डॉक्टर लोग किसी का ऑप्रेशन करते हैं तो मरीज के नाम पर इतनी दवाइयाँ और दूसरा सामान मँगवा लेते हैं जो चार व्यक्तियों के काम आ सकता है। बाकी सामान लौटकर उसी मैडिकल स्टोर पर आता है। इसीलिये मैडिकल स्टोर अस्पताल के परिसर में ही बनाये जाते हैं तथा उनके मालिक भी डाक्टरों के परिजन अथवा वे स्वयं होते हैं। अगले दरवाजे से दवाइयाँ बेची जाती है और बची हुई पिछली दरवाजे से वापस आ जाती हैं। हींग लगी न फिटकड़ी औ रंग चोखा चढ़ गया। आपके परिवार में भी यदि कोई बेरोजगार है तो वह इस धन्धे में खप सकता है। मैडिसिन के धन्धे में जो धांधली चलती है उसे जानकर आप हैरान हो जायेंगे, सर! आठ रुपये की दवाई आठ सौ रुपये में आसानी से बेची जा सकती है। वो जमाना और था साहब, जब डॉक्टर को धरती का भगवान कहकर सम्बोधित किया जाता था। आजकल तो ये मायादास हो गये हैं। हृदय का कृत्रिम वॉल्व जिसकी कीमत अमेरिका में कुछ सौ रुपये है भारत में इसे लाखों में बेचा जाता है। मैं यहाँ नकली दवाइयों की बात नहीं कर रहा। उसकी तो बात ही अलग है। हम यूं सीधे मरीज की जान से नहीं खेलते। वैसे ड्रग इंस्पैक्टर या अन्य अधिकारी बाहर से थोड़े मंगवाये हुये हैं। वे भी हमारे ही हैं। हम एक-दूसरे का सहयोग करके आगे बढ़ने में विश्वास करने वाले हैं। जहाँ-जहाँ उँगली टिकायेंगे वहीं दर्द ही दर्द महसूस होगा। इसकी दवाई हम ही बेचते हैं। और भी बहुत से क्षेत्र हैं जहाँ चारों ओर से माया बरसती है आप तो आँखें बन्द कर कोई भी माल ले लीजिये। घाटे में नहीं रहेंगे। पता नहीं यह सेल कब बन्द करनी पड़ जाये क्योंकि विपक्ष जनता को भड़का रहा है।
आप देर मत कीजिये। आप कृषि क्षेत्र में इन्वैस्ट करने का कह रहे है। मैं आपको इसकी राय नहीं दे सकता। किसान अपनी जमीन कभी आपको नहीं देगा। वह जमीन को अपनी माँ मानता है। मर जायेगा पर कम्पनी की शर्तों पर जमीन नहीं देगा। हमने ऐसा एक कानून बनाकर किसानों से पंगा ले लिया था। फिर तो विरोध में किसान सड़कों पर उतर आये। धरना लगाकर बैठ गये। लाखों किसान एक वर्ष तक सड़कों पर तम्बू लगाकर बैठे रहे। आना-जाना दूभर हो गया। आम जनता की सहानुभूति भी किसानों के साथ थी। झख मारकर अन्ततः सत्ता को झुकना पड़ा। हम समझ गये कि यदि किसानों से ज्यादा पंगा लिया तो अगली बार विपक्ष में बैठना पड़ सकता है। इसी तरह और भी कई क्षेत्र हैं जिनमें हम हाथ नहीं डालना चाहते। उनमें एक धर्म भी है। उसमें भी हम बड़ी सावधानी से चलते हैं। कोशिश रहती है कि विभिन्न धर्मों में भाईचारा न होने पाये। ऊपर से हम सद्भावना का नाटक करते रहते हैं।
हमें इसमें एक सीमा तक सफलता भी मिली है। हजारों वर्षों से दलित और कुचले हुये लोगों को एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा करके हम सुविधापूर्वक सत्ता में आने में सफल भी हो गये। हमारा काम घाव कुरेदना है उन पर मरहम लगााना नहीं। हाँ! ऐसा नाटक जरूर करते रहते हैं जिससे लोग हमें सर्व धर्म समभावी समझें। आप एक काम कर सकते हैं। यदि कोई मन्दिर आदि बनवाकर पैसा कमाया जा सकता है तो आपका स्वागत है इससे जनता खुश हो जायेगी जिसका लाभ हमें आगामी चुनाव में मिलेगा। एक राज की बात ये भी है कि जिन प्रदेशों में विपक्ष की सत्ता है सेल तो वे भी लगायेंगे किन्तु हम उसमें अड़ंगा लगाते रहेंगे। इसके कारण निवेश करनेवाले खतरा नहीं उठायेंगे। आप यदि उसकी प्रतीक्षा करेंगे तब तक देर हो जायेगी। आज जो लोग खरीदारी कर रहे हैं वे ही कल आपके प्रतिद्वन्द्वी बन जायेंगे। तब आपको अधिक इन्वैस्टमैंट करना पड़ सकता है। इसलिये अवसर मत चूकिये।