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Bikaner: 30 हजार करोड़ के एमओयू का दावा, गंदे पानी के सवाल पर ‘डीपीआर’ की चूसणी!

RNE Bikaner.

संभवतया कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दीपावली के मौके पर बीकानेर शहर बदहाल रहा। सड़कों पर सीवरेज का पानी बहता रहा। गड्ढे नहीं भरे गये और दीप जलने तक मोहल्लों-कॉलोनियों में लाइट की डिमांड होती रही।

 

हाल अब भी वैसा ही है। बांद्रा बास हो या बैदों की पिरोल। गंगाशहर की समस्या हो या इंडस्ट्रीयल एरिया में बने गंदे पानी के तालाब। सब, जस के तस हैं। इस बीच प्रदेश आर्थिक विकास के लिए राइजिंग राजस्थान समिट करने जा रहा है और बीकानेर में भी इसमें शामिल है।

कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने शनिवार को पत्रकारों के सामने दावा किया, बीकानेर में 115 इकाइयों की ओर से 30 हजार 519 करोड़ के एमओयू होंगे। इससे 18 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। औद्योगिक क्षेत्रों मेंपसरे गंदे पानी का क्या होगा? सवाल पर फिर एक बार कहा गया, बजट में घोषणा हुई है। इसके लिए डीपीआर बन रही है।

कहां के लिये है डीपीआर:

यहां प्रशासन ने इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि बजट में पानी निकासी के लिए जो 100 करोड़ घोषित हुए हैं वे गंगाशहर, वल्लभ गार्डन, खुदखुदा कॉलोनी, निगम र्काालय के सामने, गजनेर रोड आदि जलभराव वाले रिहायशी इलाकों वाली डीपीआर है या औद्योगिक क्षेत्र के लिए अलग होगी ?

इस सवाल की वजह यह है कि बीकानेर में उक्त इलाकों की डीपीआर बनाने के लिए काम शुरू हो गया है। एक्सलटेक कंसल्टेंसी एजेंसी ने नगर निगम, यूआईटी अधिकारियों के साथ शहर के इन हिस्सों का सर्वे भी शुरू कर दिया है। डीपीआर के लिए हो रहे इस सर्वे का काम सात दिसंबर तक पूरा होने का अनुमान भी जताया जा रहा है। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्रों, सीवर लाइन के कारण शहरों की गलियों में पसर रहे पानी की निकासी के लिए क्या कोई अलग डीपीआर बनेगी? इस बारे में अभी स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है।