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अष्ट मंगल में एक मंगल है कलश : आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी

RNE, BIKANER .

जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने शनिवार को ढढ्ढा चौक परिसर में धर्म चर्चा में कहा कि जैन धर्म में अष्ट मंगल को सर्वम् शुभम् का सूचक माना गया है। अष्ट मंगल में एक मंगल है कलश । कलश या कुंभ भौतिक विपुलता, के साथ आध्यात्मिक समृद्धि व विकास का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि धार्मिक व मांगलिक अनुष्ठानों में मंदिरों व घरों में कलश यानी कुंभ की स्थापना का विधान अनंतकाल से चल रहा है। घट यानि कलश स्थापना से परमात्म व परमार्थ के भाव जागृत होते है। अहिंसा, दया व करुणा आदि अनंत गुणों का विकास करते हुए जीवन के मंगल आत्मघट को देव, गुरु व धर्म के चरणों में समर्पित करें।
बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने धर्म सभा में कहा कि परमात्मा की सर्वोच्च शक्ति जो कार्य कर सकती है वह दूसरी शक्ति नहीं कर सकती । संसार मेंं सभी को किसी न किसी तरह का दुःख है। दुख मुक्त कोई नहीं है। भगवान महावीर की तरह पूर्व कर्मों के बंधनों से आए दुख व अपने दोषों को स्वीकार करते हुए उसका समता भाव, आत्म-परमात्म का चिंतन करते हुए उसका सामना करें।

चिंतामणि जैन मंदिर में सामूहिक स्नात्र महोत्सव आज

जैन जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को सुबह सात बजे भुजिया बाजार के प्राचीन श्री चिंतामणि आदिनाथ जैन मंदिर में खरतरगच्छ ज्ञान वाटिका के बच्चों की ओर से सामूहिक स्नात्र महोत्सव मनाया जाएगा।
श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि खरतरगच्छ युवा परिषद से सम्बद्ध ज्ञान वाटिका की सुश्राविका सुनीता नाहटा, रविवारीय स्नात्र पूजा के समन्वयक ज्ञानजी सेठिया व पवनजी खजांची के नेतृत्व में स्नात्र महोत्सव के दौरान जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का जन्मोत्सव भक्ति गीतों के साथ मनाया जाएगा।