
RUDRA TALK : सरकार में बीकानेर की भागीदारी बढ़ेगी या नहीं, इस पर ही है सबकी नजर
- गुजरात के प्रशिक्षण शिविर के बाद कभी भी मंत्रिमंडल में बदलाव व विस्तार सम्भव
- बीकानेर की भी है इस बार मजबूत दावेदारी
- एक मंत्री पद और मिलने की संभावना से हलचल हुई तेज
अभिषेक आचार्य
RNE Network.
राज्य के मंत्री, सांसद, विधायक कल से गुजरात मे है। भले ही देर से सही, सरकार व संगठन के कामकाज को समझाने के लिए भाजपा ने प्रयास तो आरम्भ किया। दरअसल इस बार कई विधायक पहली बार जीतकर आये हैं और उनको अभी तक विधायी कार्यों की भी पूरी जानकारी नहीं है। विधायक क्या, कई मंत्री भी सदन में स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पाते और विपक्ष हावी हो जाता है। इस बार भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए तो कुछ मंत्री नहीं बनने के कारण सदन में चुपचाप बैठे रहते हैं। कई बार तो भाजपा के विधायक ही अपने मंत्रियों को अपने सवालो से घेर लेते हैं, विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल जाता है। मंत्रियों का कई बार विभाग पर नियंत्रण भी नहीं दिखता।
इसी वजह से हो रहा प्रशिक्षण:
विधानसभा में सवा साल भी भाजपा बहुमत के बाद भी फ्लोर मैनेजमेंट में विफल है, ये बड़ा सच है। अनेक बार सरकार की किरकिरी होती है। पहले मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रखा था। उनका मसला तो खैर अब सुलझ गया। ठीक इसी तरह कई बार पहली बार बने विधायक सदन में अजीब तरीके से सवाल पूछ लेते हैं तो फील्ड में भी अति उत्साह में कुछ अटपटा व्यवहार कर लेते हैं। संवैधानिक मर्यादा के विपरीत उत्साहित होकर बयान तक सार्वजनिक रूप से दे डालते हैं।
इस स्थिति पर नियंत्रण की जरूरत पार्टी संगठन व केंद्र के नेता काफी समय से महसूस कर रहे थे। मगर पार्टी चुनावों में उलझी रहने के कारण कोई वैचारिक समृद्धता का आयोजन विधायकों के लिए नहीं कर सकी थी। अब संगठन की पहल पर यह 3 दिन का आयोजन हो रहा है, जिसमें केंद्र के मंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय नेता क्लास लगायेंगे।
गुजरात मॉडल पर चलेगा राजस्थान:
इस 3 दिन के आयोजन में वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री राजस्थान सरकार व उसके विधायकों को गुजरात मॉडल पर चलना बताया जायेगा ताकि राजस्थान में भी हर 5 साल बाद सरकार बदलने की रस्म टूटे। गृहमन्त्री अमित शाह ही इस कार्यशाला को एक तरह से लीड कर रहे हैं।
मंत्रियों व विधायकों की समीक्षा:
राज्य के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश भाजपा प्रभारी काफी अर्से से मंत्रियों व विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रहे हैं। जिस पर अनेक बार ये लोग आपस में विचार भी कर चुके हैं। इस 3 दिन के आयोजन में उस रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही मंत्रियों व विधायकों की समीक्षा भी होगी।
मंत्रिमंडल विस्तार का यही आधार:
दरअसल राज्य में काफी अर्से से मंत्रिमंडल के विस्तार पर भी मंथन चल रहा है, मगर बात सिरे नहीं चढ़ पाई है। 6 मंत्रियों के पद खाली है और कुछ मंत्रियों के कामकाज से सरकार, पार्टी खुश नहीं है। एक तरफ मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरा जायेगा तो वही दूसरी तरफ कुछ मंत्रियों को हटाकर नये विधायकों को मौका मिलेगा।
गुटीय संतुलन भी होगा:
समझा जा रहा है कि वसुंधरा गुट के लोगों को अभी तक भी मंत्रिमंडल में तरजीह व प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इस बार विस्तार में इस कमी को पूरा किया जायेगा। वहीं मसला हल होने के बाद किरोड़ी बाबा के कद में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
उप चुनाव में जीते हुओं पर नजर:
पिछले विधानसभा उप चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की। उस समय के जीते विधायक भी मंत्री पद की दौड़ में है। अब देखना है कि उनमें से किसको मौका मिलता है।
मंत्रिमंडल और बीकानेर:
बीकानेर से अभी मंत्रिमंडल में लूणकरणसर के विधायक सुमित गौदारा प्रतिनिधित्त्व करते हैं। वे कैबिनेट मंत्री है। उनके अलावा डॉ विश्वनाथ मेघवाल, ताराचंद सारस्वत, सिद्धि कुमारी, जेठानन्द व्यास और अंशुमान सिंह भाजपा के विधायक है। जबकि राजनीतिक गणित के हिसाब से एक मंत्री पद बीकानेर को मिलने की संभावना मानी जा रही है। इन सभी विधायकों की अपनी अपनी मंत्री पद के लिए मजबूत दावेदारी है। वहीं कुछ कमजोरियां भी है। मगर पार्टी नेतृत्त्व समीक्षा के बाद, गुटीय राजनीति को देखकर ही मंत्री तय करेगा। फिलहाल तो इन सभी को दावेदार मानना चाहिये। कौन गुटीय आधार पर, कामकाज के आधार पर व जातीय संतुलन के आधार पर मजबूत पड़ेगा, यह तो इस 3 दिन की बैठक के बाद ही सुगबुगाहट से पता चलेगा। फिलहाल तो सभी की नजरें मंत्री पद पर है, ये सत्य है।