आस्था के साथ ज्ञान की गंगा भी होगी प्रवाहित, एक राष्ट्र एक नाम : भारत पर होगी संगोष्ठी
RNE Network
प्रयागराज का महाकुंभ इस बार कई मामलों में अनूठा होगा। इस बार इस महाकुंभ में कई तरह के नवाचार किये जा रहे हैं। महाकुंभ में पहुंचने वाले श्रद्धालु आस्था के साथ ज्ञान की गंगा में भी डुबकी लगाएंगे।
पहली बार हो रहे ज्ञान महाकुंभ में सहभागिता कर विद्वान देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए मंथन कर सुझाव तैयार करेंगे। यह पहल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रमुख संगठन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने की है।
मेला क्षेत्र में 10 जनवरी से 10 फरवरी तक एक माह संगठन की ओर से ज्ञान महाकुंभ का आयोजन होगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी के अनुसार आयोजन में भागीदारी करने वाले लोग ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाएंगे। 10 जनवरी को ज्ञान महाकुंभ का उद्घाटन होगा, 31 जनवरी को हरित महाकुंभ नाम से राष्ट्रीय सम्मेलन होगा।
महत्ती संगोष्ठी आयोजित होगी:
कोठारी के अनुसार एक फरवरी को ‘ एक राष्ट्र – एक नाम : भारत ‘ नाम से राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी। इसमें भारतीय पहचान और नामकरण के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्त्व पर चर्चा होगी। वही 7, 8 व 9 फरवरी को भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के विद्वान विचार पेश करेंगे।
विचार सरकार को दिए जाएंगे:
ज्ञान महाकुंभ में एक माह तक विभिन्न सेमिनार के माध्यम से आये विचार संकलित कर सरकारों को भी उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके। इसके साथ ही देश मे नई शिक्षा नीति को कैसे बेहतर तरीके से लागू किया जाए , इस पर भी विद्वान फीडबैक देंगे।