बीकानेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पहले स्वयंसेवकों में से एक रहे गेवर जी इमरजेंसी में जेल गए, रामजन्मभूमि आंदोलन में अगुवा बने
आरएनई, बीकानेर।
गेवरजी जोशी नहीं रहे। मंगलवार रात जिसने भी यह एक वाक्य सुना उसके जेहन में चेहरा उभरा एक ऐसे बुजुर्ग को जो उम्र को धता बताते हुए हमेशा सड़क पर निकल पड़ता और पहला उद्घोष लगाता। भीड़ साथ जुट रही है या नहीं इसकी परवाह किये बिना कर्तव्य पथ पल चलता रहता और असर यह होता कि कारवां बनता जाता है।
यहां बात हो रही है बीकानेर के उन गेवरचंद जोशी की जिन्होंने मंगलवार रात 96 की उम्र में देह त्याग दी। बीकानेर या राजस्थान ही नहीं देशभर में आरएसएस या इसके आनुसांगिक संगठनों से जुड़े लोगों के जेहन में गेवरचंद जोशी की यही छवि उभरती है जो ऊपर लिखी गई है।
कर्तव्य पथ के राही गेवरचंद जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद बीकानेर में शाखा शुरू होते ही बनने वाले पहले स्वयंसेवकों में से एक थे। बीकानेर मंे संघ की शाखा शुरू करने वाले जोशी को पहली बार उस वक्त जेल जाना पड़ा जब महात्मा गांधी की हत्या हुई और संघ पर प्रतिबंध लगा। इसके बाद इमरजेंसी में भी वे जेलयात्री बने। रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान गली-गली में घूमते गेवर जोशी का वह चित्र अब भी लेागों के जेहन में जब वे पुरजोर आवाज में उद्घोष लगाते थे ‘बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का’।
स्वयंसेवकों की पाठशाला बन चुके जोशी ने बीकानेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य आनुसांगिक संगठनों के लिए कार्यकर्ताओं की एक फौज तैयार कर दी। जोशी राष्ट्रीय स्वयं संघ के जिला कार्यवाह और विश्व हिंदू परिषद के पूर्व संरक्षक भी रह चुके हैं।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भी अपनी साइकिल पर घुमाया है।
श्री जोशी ने परम पूजनीय सरसंघ चालक माधवराव सदा शिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरूजी’ पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय और पूर्व राष्ट्रपति भैरव सिंह जी शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री, ललित किशोर चतुर्वेदी के साथ भी सहयोग किया। जोशी के परिवार में पत्नी एक पुत्र और एक पौत्र के साथ पांच पुत्रियां हैं। एक पुत्री और एक पुत्र का निधन पूर्व में हो चुका है।