छज्जे गिर रहे, कई रास्ते बंद किये, छतों से टपक रहा पानी
- पीडब्ल्यूडी अधिकारी हालात से अनजान
RNE, Bikaner.
बीकानेर की रियासतकालीन कलेक्ट्रेट बिल्डिंग यहां हर दिन आने वाले हजारों लोगों के लिये खतरा बनती जा रही है। पुरातात्विक महत्व के छज्जे और पत्थरशिल्प की जालियां भराभराकर गिर रहे हैं। परिसर मंे लगातार पानी एकत्रित होने से इस बिल्डिंग के लगभग हर दफ्तर के कमरे में सीलन है वहीं कई जगह छतों से भी पानी चू रहा है।
बाल-बाल बचे अधिवक्ता:
दो दिन पहले यहां एक अधिवक्ता तब बाल-बाल बच गए जब उन्होंने अपनी बाइक हटाई थी कि उसके तुरंत बाद एक छज्जे का हिस्सा आ गिरा। अचानक घबराहट में उनके हाथ से बाइक छूट गई। आस-पास पहुंचे लोगों ने बिल्डिंग के इस हिस्से में आवाजाही बंद करवाई।
रास्ते कर रहे बंद:
मंगलवार को भी कलेक्ट्रेट में पुरानी ट्रेजरी के पास से गुजरने वाला एक रास्ता बल्लियां लगाकर रोका गया है। बताया जा रहा है कि यहां छत से पानी चूने लगा है वहीं दीवारों में दरारें दिख रही है। ऐसे में राहगीरों के लिये यहां से गुजरना खतरनाक हो सकता है।
भवन के हालात पर पर तकनीकी रिपोर्ट की जरूरत:
अधिवक्ता परिषद के एडवोकेट गिरिराज व्यास का कहना है, इस परिसर मंे जहां कलेक्टर, एसपी ऑफिस सहित कई ऑफिस लगते हैं वहीं रेवन्यू कोर्ट भी लगते हैं। ऐसे में बड़ी तादाद में लोगों की आवाजाही होती है। चूंकि बिल्डिंग रियासताकालीन की पुरामहत्व वाली है ऐसे मंे इसकी तकनीकी रिपोर्ट बननी चाहिए। लोगांे की जान-माल की सुरक्षा के साथ ही इस बिल्डिंग को संरक्षित करने की भी जरूरत है।
दूसरी ओर पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है, इन दिनों बिल्डिंग की स्थिति को लेकर कोई तकनीकी रिपोर्ट नहीं बनाई है। खतरे की स्थिति दिखती है तो उचित मार्गदर्शन या निर्देश मिलने पर रिपोर्ट बनााकर काम करेंगे।
महाराजा गंगासिंह के शासनकाल में हुआ निर्माण :
दरअसल इस भवन का निर्माण महाराजा गंगासिंह के शासनकाल में हुआ था। आजादी से पहले यहा रियासत के न्यायालय चलते थे। इस परिसर में ही पब्लिक पार्क बनाया गया। इस पार्क के भी बड़े हिस्से में इन दिनों सीवरेज के गड्ढे बने हैं जो कभी भी जानलेवा हो सकते हैं।