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चौपड़ा बाड़ी मोहल्लेवासियों ने मोहन सुराणा को खरी-खरी सुनाई, बाद में आये विधायक के भाई

RNE, Bikaner.

आफत की बारिश ने गरीबों के आशियाने ढहाने शुरू कर दिये हैं। गंगाशहर के चांदमल बाग इलाके में एक ऑटोचालक हरिकिशन का घर पूरी तरह ढह गया। शुक्र इस बात का है कि किसी की जान पर संकट नहीं आया लेकिन पेट पर संकट खड़ा हो गया।

सिर की छत तो गई ही साथ ही न खाने का सामान बचा, न पहनने को कपड़े। ऊपर से दुख इस बात का रहा कि दोपहर तक कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि हाल जानने तक नहीं आया।

भाजपा के महामंत्री मोहन सुराणा मौके पर पहुंचे तो लोगों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। कहा, वोट के वक्त सभी आ जाते हैं, हमारे घर गिर रहे हैं कोई संभालने वाला ही नहीं है। कहां है विधायक, मेयर, पार्षद जिनके लिये आपने वोट मांगे थे? सुराणा ने धैर्यपूर्वक लोगों की जली-कटी भी सुनी और मौके पर एक-एक घर में जाकर हालात देखे। थोड़ी देर बाद यहां विधायक जेठानंद व्यास के भाई दुर्गाशंकर व्यास भी पहुंचे।

आरोप-निगम के पंप बंद, डीजल बेच आते हैं:

यहां मोहल्लेवासियों ने बताया कि चांदमल बाग के पास निगम के दो पंप है। दोनों खराब पड़े हैं। जेनरेटर खराब है, बैट्री लगी है वह भी खराब। लोगों का आरोप है कि पंप, जेनरेटर के लिये डीजल आता है लेकिन उसे बेच देते हैं। पंपिंग स्टेशन बना है लेकिन वह जाम है। पाइप टूटा है। दो साल से किसी ने सुध ही नहीं ली।

बिलखते परिवारों के लिए बंदोबस्त:

दुखी-आक्रोशित लोगों को धीरज बंधाने के साथ ही सुराणा ने परिवार के लिये सूखे अनाज का इंतजाम किया। टूटे घरों का मुआवजा दिलाने के लिए प्रशासन और नगर निगम से बात करने का वादा किया।

प्रशासन बेबस या जानबूझकर कर रहा अनदेखी:

बीकानेर में इस बार बारिश के दौरान प्रशासन की अनदेखी साफ नजर आ रही है। पिछली बारिश में लेघा कॉलोनी के पास खुदखुदा कॉलोनी में पानी भर गया। लगभग 25 घर पानी में डूबे रहे। काफी मशक्कत के बाद पूर्व पार्षद के भाई के प्रयास से एक जेसीबी मशीन पहुंची और खानापूर्ति कर लौट आई। अब एक बार फिर इस कॉलोनी में  हालात पहले से बदतर हो चुके हैं। कई घरों में पानी भरा है और घर गिरने का खतरा पैदा हो गया है।

कंट्रोल रूम, त्वरित राहत की बातें हवा-हवाई:

शहर कांग्रेस के महासचिव आनंद जोशी का कहना है, कंट्रोल रूम, त्वरित राहत जैसी सारी बातें हवा-हवाई है। जो लोग विरोध कर रहे है उन्हें पुलिस पकड़कर ले जा रही है। जिनके घर डूबे हैं उन्हें कोई संभालने वाला नहीं है। लगता ही नहीं कि सरकार या प्रशासन नाम की कोई चीज कहीं बची है।