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हरियाणा चुनाव : किसान, जवान, पहलवान, रोजगार, महंगाई के मुद्दे हरियाणा में हावी, कड़ा मुकाबला

RNE, HARYANA

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है और 8 अक्टूबर को होने वाली मतगणना के बाद पता चलेगा कि भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनायेगी या फिर परिवर्तन कर कांग्रेस सत्ता में आयेगी।
हरियाणा में शहर हो, गांव हो, ढाणी हो, हर जगह इस समय चुनावी बयार चल रही है। हर कोई चुनावी रंग में रंगा हुआ है।

इतनी चुनावी जागरूकता शायद ही किसी दूसरे राज्य में दिखाई दे। पुरुष ही नहीं अधेड़ महिलाओं सहित हर महिला भी चुनाव पर खुलकर बात करती दिख रही है। हरियाणा चुनाव की अब तक की ग्राउंड रिपोर्ट से जीत – हार तो नहीं मगर चुनावी मुद्दे जरूर उभर के सामने आ गये हैं। जिन पर ये चुनाव लड़ा जा रहा है।

पहला मुद्दा किसान

हरियाणा किसान बहुल इलाका है और किसान आंदोलन में यहां की अगुवाई रही है। पंजाब के किसान भी हरियाणा बॉर्डर पर ही बैठे हैं। किसान केंद्र सरकार की नीतियों से दुःखी है और विरोध में है, हरियाणा सरकार उसमें बराबर की भागीदारी थी तो उससे भी किसान नाराज है। इस कारण ये बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

 जवान यानी अग्निवीर

भारतीय सेना में हरियाणा की बड़ी भागीदारी सदा से रही है। यहां के युवा सेना में जाने को लेकर आतुर रहते हैं। अग्निवीर योजना आने के बाद से युवा नाराज है और इसे सही योजना नहीं मान रहे। अग्निवीर चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है।

पहलवान भी मुद्दा

ओलंपिक हो या अन्य कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, हमेशा हरियाणा के ही खिलाड़ी अधिक मेडल लाते रहे हैं। यहां कुश्ती का प्रचलन है। विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक आदि के आंदोलन व ब्रजभूषण के बयानों से मामला गर्म है। पहलवानों के साथ जंतर मंतर पर हुए व्यवहार की नाराजगी बनी हुई है। पेरिस ओलंपिक में विनेश के डिस्क्वालिफाई होने का दोष भी केंद्र पर सरकार पर लगाया जा रहा है। पहलवान इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

रोजगार भी है मुद्दा

हरियाणा एक समय मे रोजगार के मामले में अव्वल था। मगर अब नीचे के पायदान पर आ गया है। युवा व उसके अभिभावक बेरोजगारी के कारण ज्यादा नाराज है। इस कारण वे भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं।

महंगाई की मार

लोकसभा चुनाव के समय से महंगाई बड़ा मुद्दा बन गया, जो हरियाणा में अभी तक जीवित है। इस मुद्दे पर हरियाणा की महिला वोटर बहुत मुखर है। चुनाव पर इसका असर पड़ेगा क्यूंकि हर घर, हर व्यक्ति इससे जुड़ा है।

एन्टीनकम्बेंसी, बागी भी मुद्दे

हरियाणा में 10 साल से एक ही शासन है तो स्वाभाविक एन्टीनकम्बेंसी भी है। इसके अलावा जाति भी बड़ा चुनावी फैक्टर है। भाजपा व कांग्रेस से इस बार बड़ी संख्या में बगावत भी हुई है तो बागी भी चुनाव पर बड़ा असर डालेंगे।
अब चुनाव परिणाम तो इस बात पर निर्भर करेगा कि सत्ता पक्ष इन मुद्धों को कितना हल्का कर पाता है और विपक्ष इनको कितना उभार पाता है। इस पर ही टिका है हरियाणा विधानसभा का चुनाव।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।