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माननीय शिक्षा मंत्री जी ! शिक्षकों की ड्रेस बदलो, मोबाइल रोको, सब ठीक। राजस्थानी विषय तो खोलो

RNE

हे माननीय शिक्षा मंत्री जी ! आप अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी स्कूल बंद कर हिंदी माध्यम के खोलो, हमें कुछ नहीं कहना। आपकी मर्जी है। आपके निर्णय का क्या असर होगा, ये बच्चे जानें। उनके अभिभावक जानें।


हे शिक्षामंत्री जी !! आप शिक्षकों को स्कूल में जींस, टीशर्ट आदि ड्रेस पहनकर आने से रोकें, हम कुछ नहीं कहेंगे। उनको आपने गरिमाजनक कपड़े पहनने के आदेश शिक्षा निदेशक से दिलवाए, हम उस पर भी कुछ नहीं कहेंगे। शिक्षक जानें, उनकी क्या राय है। वे शिक्षा निदेशक से पूछ भी रहे हैं कि स्पष्ट करें कि कौनसे कपड़े पहनें।


हे शिक्षामंत्री जी !!! आपकी राय में शिक्षकों को स्कूल में मोबाइल लेकर आने से आप रोकना चाहते हैं, उसके दोष बता रहे हैं। इसका आदेश शिक्षक मानें, ये उनका विषय है। क्या कहते हैं और जो भी कहेंगे, आप तक शिक्षा निदेशक जी पहुंच ही जायेगा।


हे माननीय ! हम तो केवल आपको इतना निवेदन करना चाहते हैं कि आप नई शिक्षा नीति के बारे में भी सोचें। देश के पीएम नरेंद्र मोदी जी ने इस नीति को तैयार कराया है। जिसमें कहा गया है कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जानी चाहिए।

इस विषय में वर्षों पहले एक सर्वे संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी कराया था और उसका नतीजा ये था कि जिन जिन को प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में मिली, उन्होंने बड़े होकर दुनिया मे नाम कमाया। न्यूटन, आइंस्टीन, महात्मा गांधी आदि के उदाहरण हमारे सामने है।


हम राजस्थानियों की मातृभाषा राजस्थानी है। मायड़ भाषा है। आपने भी कहा है कि यही मेरी मातृभाषा है। आपकी बोली हाड़ौती है, भाषा राजस्थानी है। आपको तो हमसे ज्यादा पता है कि भाषा से संस्कृति जुड़ी होती है। भाषा के अभाव में संस्कृति तो नष्ट हो जाती है। आप तो पूरे जीवन संस्कृति की रक्षा की वकालत करते हुए उसे श्रेष्ठ बताते रहे हैं। संस्कृति ही तो अस्मिता से जुड़ी होती है। इस तरह देखें तो राजस्थानी भाषा से हमारी अस्मिता और संस्कृति जुड़े हैं। जिसके आप भी पैरोकार खुद को बताते रहे हैं, साबित करते रहे हैं।


शिक्षा विभाग में इतने बदलाव कर रहे हैं तो विभाग में राजस्थानी को भी महत्त्व दिलाइये। हर प्राथमिक स्कूल में इसकी पढ़ाई शुरू कराइये। उससे हमारी संस्कृति की रक्षा का बड़ा काम होगा। इतिहास आपको याद रखेगा। हर राजस्थानी आपके गुणगान करेगा। मायड़ भाषा का आपको आशीर्वाद मिलेगा। देश के राज से इसे संवैधानिक मान्यता दिलवाइये और राज्य के राज से दूसरी राजभाषा बनवाइये। हर राजस्थानी इससे खुश होगा, निश्चित है। हे शिक्षामंत्री जी, इस पर ध्यान दीजिये, यही आग्रह राजस्थानी की संस्कृति परंपरा के अनुसार है।

-मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘