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राजे का दर्द-जिन्हें अंगुली पकड़कर चलना सिखाओ, वे अंगुली काटते हैं

  • उदयपुर में कटारिया-राजे की मौजूदगी में हुआ डा.सत्यप्रकाश आचार्य का सम्मान

 

आरएनई नेटवर्क, उदयपुर।

असम के राज्यपाल वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी में उदयपुर में राजस्थान के विशिष्ट भाजपा-जनसंघ कार्यकर्ताओं का सम्मान हुआ। सम्मानित होने वालों में बीकानेर से भाजपा नेता डा.सत्यप्रकाश आचार्य शामिल रहे।

कैसा आयोजन, सम्मानित क्यों:
दरअसल जनसंघ-भाजपा के संस्थापक रहे सुंदरसिंह भंडारी और संस्थापक डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी की स्मृति में उदयपुर में विशिष्टजन सम्मान समारोह रखा गया था। इसमें प्रदेशभर से ऐसे चुनिंदा नेताओं-कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया जिनकी प्रतिबद्धताएं विचार के प्रति हैं और जो लगातार सकारात्मक रूप से सक्रिय हैं। इस सूची में बीकानेर से इकलौता नाम डा.सत्यप्रकाश आचार्य का रहा।

देवनानी से लेकर डा.सत्यप्रकाश तक सम्मानितों की सूची में:
अजमेर-वासुदेव देवनानी, मधुरमोहन रंगा, बीकानेर-डा.सत्यप्रकाश आचार्य, जोधपुर-राजेन्द्र गहलोत, उदयपुर-संतोष गोधा, सौभाग नाहर, अलवर-उमाशंकर, झुंझुनूं-दीनानाथ, बाड़मेर-वासुदेव प्रजापत, कोटा-राधेश्याम शर्मा, उदयपुर-योगेन्द्र सिसोदिया, हेमेन्द्र श्रीमाली, सलूंबर-वेणीराम सुथार, कोटा-मनीष आठले, जयपुर-रमाकांत शर्मा, प्रहलादसिंह अवाना, अलवर-ज्ञानदेव आहुजा आदि।

राजे ने कटारिया की जमकर तारीफ की, अपनों पर तीर चलाये:
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कार्यक्रम में जहां संघ-जनसंघ के अपने परिवार का जुड़ाव बताया वहीं गुलाबचंद कटारिया की जमकर तारीफ की। कहा, कटारियाजी ने चुन-चुनकर लोगों को भाजपा से जोड़ा। उनका आना-जाना, बैठना-मिलना हम सबने देखा है। यहां राजे का दर्द भी छलका। बोली, सुंदरसिंह भंडारीजी ने भैरोसिंहजी सहित कितने नेताओं को आगे बढ़ाया। वह दौर बहुत अलग था। आजकल लोग उसी अंगुली को पहले काटने की कोशिश करते हैं जिसको पकड़कर चलना सीखते हैं।

कटारिया ने वरिष्ठ कार्यकर्ता को मंच से धकेला:
आयोजन के दौरान एक ऐसा वाकया भी हुआ जब जनसंघ के जमाने के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को खुद गुलाबचंद कटारिया ने कुर्सी से उठकर मंच से धकेला। दरअसल जनसंघ से जुड़े रहे बुजुर्ग सुवालाल हाथ में माला लेकर मंच पर पहुंच गए। वे वसुंधरा राजे का स्वागत करना चाहते थे। मंच संचालक उनको हटाने लगे लेकिन वे नहीं माने। ऐसे में कुर्सी पर बैठे कटारिया उठे और खुद जाकर उन्हें मंच से धकेला। कहा, अनुशासित कार्यक्रम के बीच में कोई विघ्न नहीं हो सकता।