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रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा प्रकाशित चित्रकारों पर केन्द्रित मोनोग्राफों का लोकार्पण
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विश्व पुस्तक मेला, भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आईसेक्ट पब्लिकेशन के स्टॉल (हॉल नंबर– 2, स्टॉल नंबर–N 07) पर 8 फरवरी 2025, दोपहर 2 बजे से चित्रकारों पर केन्द्रित पुस्तकों का भव्य लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर श्री विनोद भारद्वाज कवि, कला आलोचक ने टैगोर सीरीज मोनोग्राफ़ के अंतर्गत प्रकाशित छः मोनोग्राफ (रबीन्द्रनाथ ठाकुर के चित्र, ए रामाचंद्रन, बीरेश्वर भट्टाचार्य, अफ़ज़ल एवं नैनसुख) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मंच पर श्री रवीन्द्र त्रिपाठी, श्री अशोक भौमिक, श्री कुमार अनुपम, श्री लीलाधर मंडलोई आदि मौजूद थे।
मोनोग्राफों पर बात करते हुए श्री विनोद भारद्वाज (कवि और कला समीक्षक) ने कहा कि कला पर जिस दृष्टि और गुणवत्ता के साथ किताबों का प्रकाशन रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय ने किया है ऐसा देश की कोई भी कला अकादमी नहीं कर सकी। श्री अशोक भौमिक (वरिष्ठ चित्रकार और कला समीक्षक) ने कहा कि टैगोर सीरीज मोनोग्राफ़ हिंदी पट्टी में दृश्यकला के प्रति एक नई चेतना पैदा करेगा। श्री रवीन्द्र त्रिपाठी (लेखक और कला समीक्षक) ने बीरेश्वर भट्टाचार्य के मोनोग्राफ़ पर चर्चा करते हुए कहा कि यह किताब बिहार में आधुनिक चित्रकला के विकास के कई मिथकों को तोड़ती है और बीरेश्वर भट्टाचार्य के एक कला गुरु के रूप में योगदान व्यापक संदर्भों में रेखांकित करती है।
बीरेश्वर भट्टाचार्य के शिष्य श्री त्रिभुवन देव (चित्रकार व फोटोग्राफर) ने कहा कि बीरेश्वर भट्टाचार्य ने बिहार में आधुनिक कला के विकास में एक कलाकार व कला शिक्षक के रूप में अप्रतिम भूमिका निभाई है। वे अक्सर कला के कार्यक्रमों में खुद को पीछे रखकर अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ाते थे। और उनके प्रशिक्षित विद्यार्थी आज आधुनिक कला में बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं। श्री कुमार अनुपम (कवि और कला समीक्षक) जो सुधीर पटवर्धन मोनोग्राफ के लेखक हैं ने कहा कि सुधीर पटवर्धन की कला को देखना मुंबई और भारत के श्रमशील जनता के संघर्ष को देखना है।
श्री लीलाधर मंडलोई (वरिष्ठ कवि और विश्वरंग सह निदेशक) ने कहा कि विश्वरंग का एक महत्वपूर्ण रंग दृश्य कलाएं भी हैं जिसको श्री अशोक भौमिक ने एकदम नया आयाम दिया है। इन मोनोग्राफों ने कलात्मकता और गुणवत्ता के जो आयाम गढ़े हैं वे अप्रतिम हैं और इन्हें पाठकों तक पहुचाएँ जाने की बहुत जरूरत है। श्री विनय उपाध्याय ने सुधीर पटवर्धन की कला पर बात रखते हुए सुधीर पटवर्धन को ही उद्धृत करते हुए कहा कि भारत में दृश्य कला पर प्रामाणिक लेखन बहुत कम हो पाया है, इसपर शिद्दत से कम करने की जरूरत है। इस संदर्भ में मोनोग्राफों का प्रकाशन उनकी चिंता की दिशा में कम करने की सार्थक पहल साबित हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अशोक भौमिक जी ने की और संचालन व आभार ज्ञापन टैगोर विश्विद्यालय की ओर से डॉ अर्जुन कुमार सिंह ने किया।