अमेरिका के शोधकर्ताओं के नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध से हुआ खुलासा
- जलवायु परिवर्तन से प्रजाति विस्थापन
- जैव विविधता की हानि
- अमेरिका ने किया है ये शोध
आरएनई, नेशनल ब्यूरो
वाशिंगटन में हुए एक नये शोध से ये तथ्य उभर कर सामने आया है कि पर्यावरण में मानवीय दखल से संक्रामक रोग फैलने का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है, जो बड़ी चिंता का विषय है।
जैव विविधता की हानि, गैर देशी प्रजातियों का आना, जलवायु परिवर्तन और रासायनिक प्रदूषण न केवल मनुष्यों में अपितु पौधों और जानवरों में भी संक्रामक बीमारी फैलने के प्रमुख कारण है। अमेरिका के शोधकर्ताओं के नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध से ये खुलासा हुआ है।
गैर देशी प्रजातियां रोगजनक जैव विविधता की हानि के साथ साथ गैर देशी प्रजातियों को पर्यावरण में लाना बड़ा खतरा है। शोध के अनुसार वे अपने साथ नये रोगजनकों और परजीवियों को लाते हैं। जिससे नई बीमारियों का प्रकोप हो सकता है।
शोध के अनुसार ऐसा ही हुआ है जब एशियन टाइगर मच्छर एशिया से यूरोप पहुंचा और अपने साथ डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियां लेकर आया। जलवायु परिवर्तन प्रजातियों के प्रवासी पैटर्न को बदल सकता है, जिससे उन्हें नये क्षेत्रों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।