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Rajasthan BJP Mission -25 : रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा, लालचंद कटारिया, आलोक बेनीवाल सहित सैकड़ों भाजपा में

बीकानेर से कृषक समाज के गोपालराम कूकणा, श्रीडूंगरगढ़ की प्रियासिंह भी भाजपा में शामिल

आरएनई, बीकानेर।

तयशुदा योजना के मुताबिक रविवार को आखिकार राजस्थान में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। इनमें खासतौर पर नागौर का मिर्धा परिवार और उनसे जुड़े हुए नेता शामिल हैं। इनमें केन्द्र और राज्य में पूर्व मंत्री रहे लालचंद कटारिया, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, पूर्व विधायक विजयपालसिंह मिर्धा, पूर्व राज्यपाल एवं उप मुख्यमंत्री रही कमला बेनीवाल के बेटे पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल, पूर्व मंत्री हरजीराम बुरड़क के बेटे जगन्नाथ बुरड़क आदि इनमें शामिल हैं।

ईडी का सामना कर रहे राजेन्द्र यादव अब भाजपा नेता :

अशोक गहलोत सरकार में गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव के घर पोषाहार घोटाले में ईडी की छापेमारी चल रही थी। उन्होंने कहा था, मैंने कोई गड़बड़ नहीं की। झुकूंगा नहीं। अब वे बीजेपी में शामिल हो गए। यादव लगातार दो बार कोटपुतली से चुनाव जीते लेकिन इस बार हार गए। हालांकि उनकी हार का अंतर महज 321 वोट रहा  और भाजपा के हंसराज पटेल जीत गए। विधानसभा चुनाव के बाद ही यह अनुमान लग रहा था कि ईडी के शिकंजे में आते जा रहे यादव पाला बदल सकते हैं।

क्या अस्तित्व बचाने भाजपा में जुट रहे मिर्धा :

रिछपाल मिर्धा को कांग्रेस ने वीर तेजा बोर्ड का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा दिया। उनके बेटे विजयपाल मिर्धा को डेगाना से टिकट दिया लेकिन वे भाजपा के अजयसिंह से चुनाव हार गए। उनके भतीजे तेजपाल मिर्धा को खींवसर से टिकट दिया। वहां रालोपा के हनुमान बेनीवाल जीते और तेजपाल मिर्धा लगभग 27 हजार वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। उनकी भतीजी ज्योति मिर्धा भाजपा में शामिल होकर नागौर विधानसभा सीट से लड़ी लेकिन वे मिर्धा परिवार के ही कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा से हार गई। अब ज्योति मिर्धा एक बार फिर नागौर लोकसभा से भाजपा की प्रत्याशी हैं। ऐसे में राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए मिर्धा परिवार एक साथ भाजपा में जुट रहा है।

भाजपा के सीआर चौधरी ने हराया था कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को :

हालांकि भाजपा नागौर में कमजोर मानी जा रही है। इसके लिये स्थानीय नेता पार्टी आलाकमान की नीतियों को जिम्मेदार बताते हैं। बताते हैं, ज्योति मिर्धा 2009 से कांग्रेस की सांसद बनी। दुबारा मैदान में आई तो 2014 में भाजपा के सीआर चौधरी ने उन्हें हराया। अगले ही चुनाव यानी 2019 में भाजपा ने रालोपा से समझौता कर हनुमान बेनीवाल के लिए सीट छोड़ी। ऐसे में सी.आर.चौधरी के राजनीतिक प्रभुत्व का अगले चुनाव में इस्तेमाल नहीं हो पाया। इतना ही नहीं हनुमान बेनीवाल भी भाजपा का साथ छोड़ गए। ऐसे में  अब 2023 में भाजपा ने विधानसभा में ज्योति को उतारा जो चुनाव हार गई। अब इसी ज्योति पर लोकसभा का दांव लगाया है। जीत पक्की करने के लिए ही उनके परिवार के बाकी नेताओं को भी भाजपा में शामिल किया जा रहा है। कांग्रेस ने अभी राजस्थान में अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में देखना होगा कि इतनी बड़ी फेरबदल के बाद नागौर में मुकाबला किनके बीच और कैसा होगा। हनुमान बेनीवाल का रूख भी अभी खुलकर सामने नहीं आया है।

ये भी अब भाजपा नेता :

लालचंद कटारिया, पहले केन्द्र में मंत्री रहे। निवर्तमान अशोक गहलोत सरकार में मंत्री। अब भाजपा में। ये मिर्धा परिवार के समधी भी हैं। पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा। पूर्व विधायक रामनिवास किसान, रणधीर सिंह भिंडर आदि अब भाजपा में शामिल हुए हैं।

सीपी जोशी यह बोले :

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी, केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड, प्रदेश की सह प्रभारी विजय राहटकर आदि की मौजूदगी में इन नेताओं ने भाजपा जॉइन की। जोशी बोले, मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार के काम देखकर ये भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं।