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जनरंजन : आदिवासी पार्टी से समझौता न हुआ तो कांग्रेस को 4 सीटों पर परेशानी होगी

राज्य में 7 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रभारी इन सीटों के लिए बड़ी बैठक कर रणनीति भी बना चुके हैं। इन सीटों में कांग्रेस के लिए दौसा, देवली उणियारा, सलूम्बर व चौरासी सीटें खास है। ये पूर्वी राजस्थान की सीटें हैं और यहां आदिवासी पार्टी भी अब एक मजबूत शक्ति बन गई है। कांग्रेस की वर्तमान में दौसा व देवली उणियारा सीटें हैं, जिन्हें वो हर हाल में जीतना चाहती है। सलूम्बर सीट वो भाजपा से छीनना चाहती है। चौरासी सीट आदिवासी पार्टी की है।

कांग्रेस के सामने आदिवासी पार्टी से समझौता करने का ही एकमात्र रास्ता है, जिससे उसे इन चार सीटों पर भाजपा को हराने का अवसर मिल सकता है। आदिवासी पार्टी के प्रमुख व सांसद राजकुमार रोत ने इन 4 सीटों पर लड़ने की घोषणा करके कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। इन सीटों पर आदिवासी समाज का अपना वोट बैंक है।

प्रदेश प्रभारी रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा की जो बैठक हुई उसमें समझौते को लेकर भी विशद चर्चा हुई। डोटासरा इन सीटों का दौरा भी करके आ चुके हैं। इनमें से दो सीटें दौसा व देवली उणियारा, सचिन पायलट के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है। यहां के विधायक रहे मुरारीलाल मीणा व हरीश मीणा उनके ही निकटस्थ हैं, जो सांसद बन गए। इन दोनों सीटों को अब पायलट जीतना चाहेंगे ताकि ये साबित हो कि पूर्वी राजस्थान में पायलट का जलवा कायम है। पायलट, हरीश मीणा व मुरारीलाल मीणा भी इन दोनों सीटों पर लगातार सक्रिय हैं। भाजपा संगठन व सरकार भी इन पर फोकस किये हुए हैं।

आदिवासी पार्टी से यदि कांग्रेस का तालमेल होता है तो चौरासी सीट पर कांग्रेस नहीं लड़ेगी, आदिवासी पार्टी के लिए छोड़ेगी। बाकी पर कांग्रेस ही लड़ना चाहती है, वो राहत में तभी रह सकती है जब समझौता हो। ये कांग्रेस को भी पता है।

इस कारण ही प्रभारी की बैठक में निर्णय लिया गया कि समझौते या गठबंधन का निर्णय आलाकमान करेगा। आलाकमान लगातार कोशिश कर रही है कि आदिवासी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने। एनडीए या भाजपा भी उनको अपने पक्ष में लेने के प्रयास में है। मगर रोत ने बिना गठबंधन 4 सीटों पर अकेले लड़ने का बयान देकर दोनों पार्टियों की परेशानी बढ़ा दी है।

कांग्रेस पिछली बार आदिवासी पार्टी के साथ थी, इस बार भी वही स्थिति चाहती है ताकि उसे जीतने में दिक्कत न आये। मगर ये तय है कि कांग्रेस तभी मजबूत व श्योर होगी जब उसका आदिवासी पार्टी से गठबंधन होगा।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।