चुन्नीलाल गरासिया व मदन राठौर को प्रत्याशी बनाने पर भाजपा का कोई बड़ा राजनीतिक संदेश ?
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
भाजपा ने कल राज्यसभा के लिए अपने दो उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। विधानसभा के सदस्यों की गिनती के आधार पर भाजपा को 2 सीटों पर व कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिलना निश्चित है। भाजपा पुरानी परिपाटी को तोड़ते हुए इस बार राज्य के ही दो नेताओं चुन्नीलाल गरासिया व मदन राठौर को प्रत्याशी बनाया है। पहले तो सभी नहीं तो एक उम्मीदवार बाहरी होता ही था। मगर इस बार भाजपा ने ऐसा नहीं किया है। ये एक बड़ा राजनीतिक संदेश है। भाजपा के दोनों ही उम्मीदवार पार्टी के वरिष्ठ नेता है और इस समय विधानसभा के सदस्य भी नहीं है।भाजपा ने कुछ दिन पहले ही इस तरह की मंशा सार्वजनिक की थी कि अब राज्यसभा में जिस राज्य की सीट खाली होगी, उसे वहीं के उम्मीदवार से भरा जायेगा। दरअसल राज्यसभा में अक्सर पहले तो अलग अलग क्षेत्र के विद्वान जाया करते थे। फिर वे नेता जाने लगे जो लोकसभा का चुनाव हार जाते थे। उनको मंत्री या सांसद बनाने के लिए राज्यसभा में लाया जाने लगा। जिसे बैक डोर एंट्री का नाम दिया गया।उसके बाद तो स्थिति और बदल गई। जो लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं होते या रिटायर्ड अधिकारी जो राजनीति में आते हैं, उनको राज्यसभा में लाया जाने लगा। उसमें तो राज्य का बेरिकेट भी पूरी तरह टूट गया। जहां जिस पार्टी के पास वोट है वहां किसी भी राज्य का उम्मीदवार लाकर खड़ा किया जाने लगा और वे राज्यसभा में जाने लगे। राजस्थान के पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने 3 उम्मीदवार लड़ाये और तीनों ही दूसरे राज्य के थे। मुकुल वासनिक महाराष्ट्र के थे मगर उनको राजस्थान में उतार राज्यसभा में भेजा गया। दूसरे उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला थे जो हरियाणा के है। वहां के विधायकों की पटरी उनसे सही नहीं बैठती थी तो विधायक संख्या होते हुए भी उनको राजस्थान से राज्यसभा में भेजा गया। तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी थे, जो उत्तर प्रदेश के हैं। वहां प्रयाप्त वोट नहीं थे तो उनको राजस्थान से सदस्य बनाया गया। उस समय राज्य से किसी भी नेता का नम्बर राज्यसभा के लिए नहीं लग सका। भाजपा में भी बाहरी उम्मीदवार राज्य से राज्यसभा में जाते रहे हैं।
मगर इस बार भाजपा नेतृत्त्व ने परिपाटी बदल दी। दोनों उम्मीदवार राज्य से देकर आदर्श स्थापित किया है। अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इस परंपरा का पालन करेगी ? लगता तो नहीं। अभी भी एक सीट के लिए पहले जो नाम चला वो अजय माकन का था। अब तो नाम ही सोनिया गांधी का आ गया। इस हालत में लगता नहीं कि इस बार भी राज्य का कोई नेता उम्मीदवार नहीं बनेगा। भाजपा ने निर्णय से कांग्रेस के सामने चुनोती तो खड़ी कर ही दी है।
– मधु आचार्य ” आशावादी “