
Rudra Talk : जो पदाधिकारी से वंचित होंगे, वे कर रहे नियुक्तियों की कोशिश राजनीतिक नियुक्तियों में संगठन को तरजीह,बड़े व हारे नेताओं को भी मिलेगा राज में जिम्मा

RNE Special.
राज्य में भाजपा की भजनलाल शर्मा सरकार को बने हुए लगभग डेढ़ साल होने जा रहा है, मगर अब भी राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो सकी है। मंत्रिमंडल में भी स्थान रिक्त है, उनको भी भरा नहीं गया है। विधायक जहां मंत्री पद पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं वहीं पार्टी के बाकी नेता व कार्यकर्ता राज में अपनी भागीदारी राजनीतिक नियुक्तियों के जरिये तलाशने में लगा है।
हर पार्टी के राज में राजनीतिक नियुक्तियां देरी से होती है, मगर इस भाजपा के राज में नेता व कार्यकर्ता कुछ ज्यादा जल्दबाजी में है। क्योंकि 5 साल बाद राज आया है तो वे भी कुछ बनना चाहते हैं। कुछ बड़े नेताओं को इस बार विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ाया गया। उनमें से कुछ को जल्दी राजनीतिक नियुक्ति इस वजह से दी गई कि वे नाराज न हो। कुछ बड़े नेता इस बार विधानसभा का चुनाव हार गये। उनकी सक्रियता पार्टी के लिए जरूरी है, उनको भी अभी तक राजनीतिक नियुक्ति नहीं मिली है।
नियुक्तियां न होने का असर:
राजनीतिक नियुक्तियां न होने का भाजपा पर बड़ा असर भी पड़ा है। इस बार राज था मगर फिर भी सदस्यता अभियान को वांछित सफलता नहीं मिली। बारबार सदस्य बनाने की तारीख भी बढ़ाई गई मगर फिर भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हुई।
उसका बड़ा कारण राजनीतिक नियुक्तियों का न होना था। हर छोटे कार्यकर्ता को भी राज आते ही पद की चाह रहती है ताकि वो लोगों को लाभ दिला सके। उस कार्यकर्ता ने सदस्यता अभियान में कोई रुचि नहीं दिखाई।
राज्य की नियुक्तियों में ज्यादा देरी:
राज्य में आवासन मंडल, खादी बोर्ड, विकास प्राधिकरण, साहित्य, संगीत, भाषा की अकादमियां आदि में काम ही नहीं हो रहा। क्योंकि पिछले राज की नियुक्तियों को तो राज बनते ही समाप्त कर दिया, मगर नई नियुक्तियां आज तक नहीं की गई। जिसका असर कामकाज पर भी पड़ रहा है। राजेन्द्र राठौड़, सतीश पूनिया सहित कई बड़े नेताओं का भी अब तक शासन में उपयोग शुरू नहीं हुआ है।
बीकानेर में भी नेता कर रहे लॉबिंग:
बीकानेर के भी अनेक नेता जिले या राज्य में नियुक्ति के लिए लॉबिंग करने में लगे हैं। कई तो राज आते ही सक्रिय हो गए और अब थककर निराश हो गए हैं।
संगठन को मिलेगी प्राथमिकता:
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री व प्रदेश प्रभारी ने एक बार कहा था कि राजनीतिक नियुक्तियों में संगठन की सलाह को तरजीह दी जायेगी। अब जब तक प्रदेश व जिलों की कार्यकारिणी नहीं बनती, तब तक तो नियुक्तियां होती प्रतीत नही होती। इस बार संगठन में बार बार पद पा जाने वालों को पद नहीं मिलेगा, ये तय किया गया है। इस सूरत में कुछ इन स्थायी पद पाने वाले नेताओं को या तो राज में भागीदारी कराई जाएगी या प्रदेश के संगठन में जगह दी जाएगी। इसकी वर्किंग भी हुई है।
नियुक्तियों में अभी लगेगा समय:
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले प्रदेश संगठन का गठन होगा। उसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार व परिवर्तन होगा। फिर जिलों की कार्यकारिणी बनेगी और राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला उसके बाद शुरू होगा। मगर उसके लिए कवायद अंदरखाने अभी से शुरू हुई है।