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लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, एक साल में ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होंगे

  • सभी चुनावों के लिए एक ही वोटरलिस्ट काम में ली जाएगी
  • कैबिनेट ने उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें स्वीकार की

RNE Network. New Delhi.

देश में One Nation-One Election के लिए बनाई गई हाई पावर कमेटी के सिफारिशों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गृहमंत्री अमित शाह एक दिन पहले ही कह चुके हैं कि इसी सरकार के कार्यकाल में One Nation-One Election लागू होगा। ऐसे में अब देखना यह होगा कि पूर्व-राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें किस तरह लागू होगी।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर एक साथ निर्वाचन कराने के मुद्दे पर सहमति दे दी है। इसमें मोटे तौर पर जो बिन्दु सामने आए हैं उसके मुताबिक लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। इसके एक साल में ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव साथ होंगे। इन सभी चुनावों में एक ही वोटर लिस्ट काम ली जाएगी।

ये हैं उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें :

1. 1951 से 1967 के बीच एक साथ निर्वाचन संपन्न हुए हैं।

2. विधि आयोग: 170वीं रिपोर्ट (1999): पांच वर्षों में एक लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक निर्वाचन।

3. संसदीय समिति की 79वीं रिपोर्ट (2015): दो चरणों में एक साथ निर्वाचन कराने के तरीके सुझाए गए।

4. श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों सहित व्यापक तौर पर हितधारकों से विस्तृत परामर्श किया।

5. रिपोर्ट ऑनलाइन https://onoe.gov.in पर उपलब्ध है, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

6. व्यापक फीडबैक से पता चला है कि देश में एक साथ निर्वाचन कराने को लेकर व्यापक समर्थन है।

ऐसे लागू होगी सिफारिशें :

1. दो चरणों में लागू करना।

2. पहले चरण में: लोकसभा और विधानसभा का निर्वाचन एक साथ कराना।

3. दूसरे चरण में: आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय के लिए निर्वाचन (पंचायत और नगर पालिका) कराना।

4. सभी निर्वाचनों के लिए एकसमान मतदाता सूची।

5. पूरे देश में विस्तृत चर्चा शुरू करना।

6. एक कार्यान्वयन समूह का गठन करना।

कोविंद कमेटी ने एक साल से भी कम समय में रिपोर्ट दी: 

देश में साथ-साथ निर्वाचन कराने से संबंधित मुद्दे की जांच करने और उस पर सिफारिशें करने के लिए 2 सितंबर 2023 की अधिसूचना के माध्यम से भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) गठित की गई थी। 23 सितंबर को हुई इसकी पहली मीटिंग में अमित शाह, भारत के गृह और सहकारिता मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विधि और न्याय मंत्रालय, गुलाम नबी आज़ाद, पूर्व नेता विपक्ष, राज्यसभा, एन.के. सिंह, पूर्व अध्यक्ष, 15वां वित्त आयोग, डॉ. सुभाष सी. कश्यप, पूर्व महासचिव, लोकसभा, संजय कोठारी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त ने बैठक में भाग लिया। श्री हरीश साल्वे, वरिष्ठ अधिवक्ता बैठक में आभासी रूप से शामिल हुए। अधीर रंजन चौधरी, विपक्ष में सबसे बड़ी एकल पार्टी के नेता बैठक में उपस्‍थित नहीं थे।

अध्यक्ष राम नाथ कोविन्द ने बैठक में एजेंडा और समिति के कामकाज के तौर-तरीकों की रूपरेखा बताई। निर्णय लिया कि समिति देश में साथ-साथ निर्वाचन के मुद्दे पर सुझाव/विचार मांगने के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों, राज्यों की सत्‍ताधारी राजनीतिक पार्टियों, संसद में प्रतिनिधित्‍व रखने वाली राजनीतिक पार्टियों, अन्‍य मान्‍यता प्राप्‍त राज्‍य राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित करेगी। इसके अतिरिक्‍त, समिति देश में साथ-साथ निर्वाचन के मुद्दे पर सुझाव/दृष्‍टिकोण प्रदान करने के लिए भारत के विधि आयोग को भी आमंत्रित करेगी।

इस पहली बैठक के बाद कमेटी ने काफी तेजी से काम किया और एक साल से भी कम समय में रिपोर्ट दे दी। आज इस रिपोर्ट पर कैबिनेट की मुहर भी लग गई।