महाकुंभ में जारी होगी नई हिन्दू संहिता, कई नए निर्णयों पर बात, जाति रहित समाज पर जोर की होगी बात
RNE Network
प्रयागराज के इस महाकुंभ में 25 से 27 जनवरी के मध्य बदली परिस्थियों और आधुनिक ढांचे में ढलते हिन्दू समाज के लिए 350 पेज की हिन्दू आचार संहिता जारी की जायेगी।
काशी विद्वत परिषद द्वारा देश के प्रमुख संतों की मदद से तैयार इस संहिता में राष्ट्र व संविधान को सर्वोपरि बताया गया है। संहिता में हिन्दू धर्म छोड़ने वालों के लिए घर वापसी को बेहद सरल कर दिया गया है।
समाज मे भेदभाव को खत्म करने के लिए जातिविहीन समाज के निर्माण पर जोर दिया गया है। विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री व बीएचयू के धर्मशास्त्र विभाग के प्रो राम नयन द्विवेदी ने कहा है कि नई संहिता समय की जरूरत है।
परिषद ने नई संहिता के लिए ‘ देवल स्मृति ‘ और ‘ परासर स्मृति ‘ को आधार बनाया गया है।
नई संहिता में पूर्व हिंदुओं की घर वापसी के लिए गंगाजल व तुलसी दल के साथ मन से हिन्दू होने का संकल्प ही पर्याप्त बताया गया है। मातृ एवं पितृ ऋण के बराबर राष्ट्र ऋण को महत्त्व दिया गया है। मंदिरों में बैठने एवं पूजा करने के सम्बंध में एक समान नियम बनाये गए हैं। महिलाओं के व्यापक अधिकारों को स्वीकृति दी गई है। मृत्युभोज के लिए न्यूनतम 16 लोगों की संख्या तय की गई है।
दिन में विवाह का भी सुझाव:
संहिता में रात के बजाय दिन में विवाह करने का सुझाव दिया गया है। नई संहिता की प्रति सभी शंकराचार्यों को भेजकर मौखिक स्वीकृति भी ले ली है। परिषद ने 5 साल के अध्ययन के बाद संहिता तैयार की है। इसमें श्रीमद्भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अंश भी शामिल किए गए हैं।