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वक्फ संशोधन से घाटे में गये नीतीश, चिराग, मांझी, भाजपा पर असर नहीं, मुस्लिम मतदाताओं ने तीनों नेताओं का साथ छोड़ना शुरू किया, इस्तीफे और बयानबाजी तेज

अभिषेक आचार्य

RNE Special.

इस साल बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं और वक्फ संशोधन बिल का सबसे अधिक प्रभाव भी इसी राज्य में पड़ना है। इस राज्य में मुकाबला एनडीए व महागठबंधन के बीच होना है। अभी एनडीए गठबन्धन की राज्य में सरकार है और उसकी अगुवाई जेडीयू के नीतीश कुमार कर रहे हैं। जिन्होंने 5 साल में तीन बार पलटी मारी है।

ये है गठबंधनों की स्थिति:

बिहार में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन इस बार इसी रूप में चुनाव के लिए उतरेगा। इस गठबंधन में भाजपा, जेडीयू, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा है। गठबंधन में काफी समय तकरार चली मगर बाद में यह तय हो गया कि विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़े जायेंगे।

दूसरा है महागठबंधन। इसमें कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल शामिल है। इसमें भी आरम्भ में नेतृत्त्व को लेकर कांग्रेस व आरजेडी में तकरार चली मगर बाद में तेजस्वी की अगुवाई में चुनाव लड़ने पर सहमति हो गई। एनडीए की तरह महागठबंधन में भी सीएम की बात को चुनाव परिणाम तक टाल दिया गया।

वक्फ संशोधन बिल से बदले हालात:

वक्फ संशोधन बिल भाजपा के नेतृत्त्व वाली केंद्र सरकार ने लोकसभा व राज्यसभा में पारित करा लिया। जेडीयू, चिराग और मांझी ने इस संशोधन बिल का समर्थन किया। बस, यहीं से बिहार की चुनावी राजनीति में बदलाव के संकेत मिलने शुरू हो गये।बिहार में मुस्लिम वोटर अधिक है और कई सीटों को प्रभावित करते हैं। मुस्लिम बड़ी संख्या में नीतीश के साथ रहे हैं अब तक। चिराग व मांझी के साथ भी मुस्लिम वोट बैंक रहा है। वो अब इस बिल के समर्थन कर देने के बाद तीनों ही नेताओं से नाराज है और खुलकर विरोध में भी उतर गया है। इन नेताओं की इफ्तार पार्टियों में भी मुस्लिम नहीं गए। इस्तीफे देने भी शुरू कर दिए।

मुस्लिम वोटर को अपनी तरफ पूरा लाने के लिए आरजेडी और कांग्रेस ने अतिरिक्त ताकत झोंकी और इसका उनको फायदा मिलता साफ दिख रहा है। इसी से चुनाव का गणित बदलेगा। महागठबंधन मजबूत होगा मुस्लिम मतदाताओं में।

नुकसान में जेडीयू:

वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने से सबसे ज्यादा नुकसान बिहार में जेडीयू को हुआ है। उसके मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़नी शुरू कर दी है और विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। पिछले तीन चुनाव से विधानसभा में जेडीयू की सीट निरंतर घट रही है, इस बार भी वो अब मुस्लिमो के विरोध के बाद घटती ही नजर आ रही है। यही हालत चिराग व मांझी की होगी।इस बिल से एनडीए के भाजपा को छोड़कर सभी दलों का नुकसान चुनाव में होना साफ दिख रहा है। भाजपा को इससे कोई चुनावी नुकसान नहीं होगा, क्योंकि ये उसका वोटर है भी नहीं। परेशानी तो नीतीश को हुई है। अब डेमेज कंट्रोल के प्रयास हो रहे हैं, मगर बाजी हाथ से निकल गई।

रोचक होगा मुकाबला:

अब महागठबंधन को थोड़ी ऊर्जा मिली है और इससे चुनावी मुकाबला रोचक होगा। दूसरे लग ये रहा है कि जेडीयू की सीटें कम आएगी, तब भाजपा आसानी से नीतीश को किनारे करके अपना सीएम बना सकेगी। इस तरह स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन बिल से नुकसान तो जेडीयू का ही होगा, भाजपा का नहीं।