निजाम, थानवी, जोशी संवाद, मणिराज के सर राजस्थानी का मुकुट, डॉ.प्रकाश की ‘मुळके है कविता’
RNE Special Desk.
अदब की बातें : डॉ आचार्य के बहाने साहित्य का ऐतिहासिक आयोजन
बीते शनिवार को धरणीधर रंगमंच पर हुआ साहित्यिक आयोजन शहर, प्रदेश ही नहीं अपितु देश के लिए एक ऐतिहासिक साहित्यिक घटना बन गया। इस दिन को जो आयोजन का साक्षी था वो तो जीवन में कभी भूल ही नहीं सकता। इस आयोजन से एक तरफ जहां डॉ नंदकिशोर आचार्य के होने के मायने पता चला वहीं ये भी पता चला कि देश में साहित्य की जब भी बात चलती है तो बीकानेर व डॉ आचार्य का जिक्र क्यों होता है। डॉ आचार्य ने देश के साहित्य में हर बीकानेरवासी को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है, जो उनके होने के बड़े मायने को अभिव्यक्त करता है।
इस दिन डॉ नंदकिशोर आचार्य के सृजन पर केंद्रित एकाग्र कृति ‘ शाश्वत समकालीन ‘ का लोकार्पण हुआ। इस पुस्तक को लिखा है प्रभात त्रिपाठी ने और प्रकाशित किया है सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर ने। इस आयोजन को भी प्रकाशक डॉ प्रशांत बिस्सा ने आयोजित किया। इस कारण उनको भी बधाई दी जानी चाहिए। आयोजन को गरिमा प्रदान की मुख्य अतिथि शायर शीन काफ़ निजाम ने और अध्यक्ष पत्रकार, लेखक ओम थानवी ने। इन दोनों को होना भी शहर व साहित्य के लिए बड़ी घटना था।
पुस्तक का परिचय देते हुए कवि, आलोचक डॉ ब्रजरतन जोशी ने पूरी पुस्तक के साथ डॉ आचार्य के सृजन के सिद्धांतों पर भी बड़ी जानकारी दी। उनका ये कहना कि इनका रचनाकर्म भाषा और भाव द्वैत को अद्वैत में बदलता है, बहुत बड़ी बात थी। डॉ जोशी का सम्बोधन साहित्य के कई मूल सिद्धांतों को भी खोलने वाला था। शायर शीन काफ़ निजाम ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि डॉ आचार्य का पहला प्रेम काव्य है और उनके काव्य में सदा शाश्वत सवाल बने रहते हैं, यही उनके रचनाकर्म की विशेषता है। बड़ी सारगर्भित बात निजाम साब ने कही कि सवाल सदा बना रहता है, मरता तो हमेशा उत्तर है। रचना का खुलना इतिहास बन जाता है और रचना का रहस्य खोलने की आवश्यकता बानें रहना रचना का जीवन है। डॉ आचार्य और ग़ालिब के रचनाकर्म की साम्यता उन्होंने की, उससे यही ध्वनित होता है कि डॉ आचार्य हिंदी साहित्य में वही स्थान रखते हैं जो उर्दू साहित्य में ग़ालिब का है।
अध्यक्षीय संबोधन में ओम थानवी ने कहा कि डॉ आचार्य ने अहिंसा पर बड़ा काम किया है, उसके मूल्यांकन की आवश्यकता है। अहिंसा कोश का उन्होंने जिक्र किया। पुस्तक पर उन्होंने कहा कि प्रभात त्रिपाठी ने आलोचक बनकर नहीं, पाठक बनकर ये पुस्तक लिखी है, इस कारण बहुत महत्त्वपूर्ण है। बीकानेर में खरपतवार के आयोजनों की भीड़ के बीच ये एक आयोजन ही इतना प्रभावी हो गया कि अरसे तक याद रहेगा। जिसके लिए डॉ प्रशांत बिस्सा व सूर्य प्रकाशन मंदिर का आभार।
‘ मुळके है कविता ‘ का जोधपुर में लोकार्पण
राजस्थानी में यूं तो कविता बहुत लिखी जा रही है। हर दूसरा लेखक अपने आगे कवि का फतवा लगाये घूमते हैं। कई तो कवि के साथ वरिष्ठ लगाने से भी गुरेज नहीं करते। जबकि उनकी कविताओं में हम कुछ तलाश करने बैठें तो सिर पकड़ने के अलावा कोई चारा भी नहीं रहता। बीकानेर सहित सभी शहरों में कवि के नाम पर ऐसी खरपतवार की बहार है।
इस माहौल में जब कोई ताजी हवा के झोंके की तरह काव्य संग्रह आता है तो मन को बड़ा सुकून मिलता है, ऐसी ही ताजगी देने वाला काव्य संग्रह है ‘ मुळके है धरती ‘। जिसका लोकार्पण 25 दिसम्बर को होटल चंद्रा इन, जोधपुर में हुआ। डॉ प्रकाश दान चारण के इस काव्य संग्रह का प्रकाशन किया है बीकानेर के प्रतिष्ठित गायत्री प्रकाशन ने। इस काव्य संग्रह ने राजस्थानी के साहित्य में एक नया गुलदस्ता जोड़ा है। इस संग्रह की कविताओं का फलक बहुत बड़ा है। जिंदगी के अलग अलग रंगों की कविताएं इसमें है। संवेदन मन से जहां रिश्तों की पड़ताल हुई है वहीं प्रकृति के स्पंदन को भी शब्द दिए हैं। कविता का असली सौंदर्य प्रतीक में होता है और भाई प्रकाश दान की कविताएं इस पैमाने पर भी खरी उतरती है। एक निष्कपट भाव लिए हुए है उनकी सभी रचनाएं। एक मुक्कमिल काव्य संग्रह है ये, जिसमे कथ्य और शिल्प का अच्छा गठजोड़ है।
राजस्थानी काव्य जगत में इस कृति का खुलेमन से स्वागत होना चाहिए। इस तरह के ही विचार कृति पर कवि, आलोचक, नाटककार भाई साहब डॉ अर्जुन देव चारण ने व्यक्त किये। इस पुस्तक के बहाने उन्होंने पूरी काव्य परंपरा को भी बता दिया। उनकी हर बात नये कवि के लिए बड़ी सीख थी। विशिष्ट अतिथि गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि ये काव्य संग्रह कई दृष्टि से खास है। इस संग्रह की कविताओं में एक भीतरी लय है जो पाठक को सोचने के लिए विवश करती है। पुस्तक पर बोलते हुए रामरतन लटियाल ने कहा कि कई मायने में यह पुस्तक सभी के लिए पढ़ने योग्य है। राजस्थानी भाषा की सरसता व काव्य की निर्मलता सभी कविताओं की खासियत है। डॉ प्रकाश दान चारण को अनमोल राजस्थानी काव्य संग्रह के लिए बधाई।
मुकुट जी के मुकुट पर सभी खुश
साहित्य अकादमी, नई दिल्ली का वर्ष 2024 का सर्वोच्च राजस्थानी भाषा का पुरस्कार कोटा के कवि, गद्यकार मुकुट मणिराज को मिलने से पूरा राजस्थानी जगत खुश है। सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म फेसबुक पर जहां सैकड़ों पोस्ट बधाई की लगी वहीं व्हाट्सऐप पर तो बधाई देने वालों की संख्या हजारों के पार थी। योग्य का सम्मान शायद इसे ही कहते हैं।
हाड़ौती अंचल के लिए तो ये बहुत ही बड़ी खुशी की बात है। मुकुट जी हाड़ौती के लाडले कवि हैं और उनकी कविताएं व गीत लोगों के कंठो में बसे हुए हैं। हाड़ौती साहित्यकारों ने मुकुट जी का घर जाकर सम्मान किया। कमोबेश हर रचनाकार ने उनको दिल से बधाई दी। सभी ने इसे हाड़ौती का मान माना।
राजेश ने बढ़ाया बीकानेर का मान
हमारे बीकानेर के मूल निवासी हिंदी व राजस्थानी के यशस्वी रचनाकार डॉ राजेश कुमार व्यास ने एक बार फिर बीकानेर का मान बढ़ाया है। जिससे हर बीकानेवासी गौरवान्वित है। डॉ राजेश को इस बार मध्यप्रदेश सरकार का आलोचना का प्रतिष्ठित आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार मिलेगा। एक लाख की नकद राशि के साथ प्रशस्ति पत्र उन्हें अर्पित किए जायेंगे। देश मे व्यास कवि, आलोचक, कला समीक्षक के रूप में सम्मानजनक पहचान रखते हैं। उनकी हिंदी व राजस्थानी की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई। भाई डॉ राजेश व्यास को बधाई।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।