Nokha : भागवत कथा की पूर्णाहुति, महामंडलेश्वर बजरंगदास जी महाराज ने विभिन्न प्रसंग सुनाये
RNE Nokha.
नोखा तहसील के काहिरा गांव मे शिव गोरख मंदिर विकास समिति एवं समस्त ग्रामवासी द्वारा आयोजित हो रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत की कथा रविवार को सम्पन हुई। कथावक्ता श्री बालाजी सेवा धाम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य श्री बजरंगदास जी महाराज ने खचाखच भरे पांडाल में रासपंच अध्याय,रूखमणी विवाह सुदामा चरित्र आदि विभिन्न प्रसंग की कथा का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया।
सुदामा के दौड़े आए द्वारकाधीश :
महाराज श्री ने भागवत के दस लक्षण के बारे मे बताते हुए पुराणों में श्रीमद्भागवत को सबसे उत्तम बताया है। महाराज श्री ने सुदामा चरित्र प्रंसग का वर्णन करते हुए कहा की सुदामा भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते । गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।
महाप्रसादी के साथ इनकी भागीदारी :
सात दिवसीय कथा महायज्ञ व महाप्रसादी के साथ शांतिपूर्ण माहौल में विराम हुई। इस अवसर पर सरपंच प्रतिनधि रामेदव सिराव,पूर्व सरपंच मोहनराम,देवीलाल कुदण,उपसरपंच गिरधारीराम,खेमाराम मास्टर,आयोजन समिति के अध्यक्ष जसुनाथ,माणक पंचारिया, पार्षद प्रमोद पंचारिया,हेमन्त जोशी,सीए अजय पंचारिया,नंदू सुथार,राधेश्याम पंचारिया,पेमाराम,मांगीलाल,भोमाराम,खेमाराम,उदाराम आर आई,शिवनाथ,नथुनाथ,भंवरलाल मास्टर,धन्नाराम
मास्टर,भंवरनाथ,रामचंद्र,श्रीराम,मोहनराम,उदाराम लॉयल,चंदाराम,सहीराम,जीवनराम सहित आयोजन समिति सदस्य व गांव के गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस-पास गांव के अलावा दूर दराज से काफी संख्या में महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पुरा वातावरण भक्तिमय रहा।