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हिन्दी में केशकर्तनालयों पर ऐसी पठनीय और दिलचस्प किताब पूर्व में लिखी गई हो, ध्यान नहीं आता : कृष्ण कल्पित 

  • ओम की रचनाओं में समय और लोक शिद्द्त से उजागर होता है : डॉ. सत्यनारायण 

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भारत ,मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में शुक्रवार को कोटा के युवा कवि और गद्यकार ओम नागर की डायरी किस्सा केशकर्तनालय : उस्तरे की धार से कटती उदासी का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि विख्यात कवि और साहित्यकार कृष्ण कल्पित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में कथादेश के संपादक हरिनारायण और प्रसिद्ध लेखक रत्न कुमार सांभरिया थे। अध्यक्षता प्रख्यात डायरी लेखक, कवि -गद्यकार डॉ. सत्यनारायण ने की।

इस अवसर पर अपने वक्तव्य में कृष्ण कल्पित इस किताब में नाईयों और केशकर्तनालय अथवा हेयर ड्रेसिंग सैलून के क़िस्से हैं, रोचक बातें हैं, यादें हैं, जिन्हें ओम नागर ने बहुत तन्मयता से लिखा है। इसका परिवेश ठेठ भारतीय है। हर भारतीय के जीवन में ऐसी कथाएँ गुंथी हुई हैं, जो उसके दैनंदिन जीवन-व्यापार में हर रोज़ आवाजाही करती हैं, लेकिन जिन्हें हम मामूली और महत्वहीन जानकर भुलाए रहते हैं। ओम नागर इन्हीं रोज़मर्रा की मामूली बातों को न केवल याद रखते हैं, बल्कि उन्हें पूरी संवेदनशीलता के साथ रचते हैं। ये ठेठ भारतीय कस्बों का चित्रण हैं।

महानगरों, शहरों और गाँवों में इस विट और यथार्थ को पकड़ना मुश्किल है। लेखक के भीतर एक जीता-जागता कस्बा साँस लेता है, धड़कता रहता है। ऐसी किताब बिना अपने परिवेश, अपने लोगों से बेपनाह मोहब्बत के बिना नहीं लिखी जा सकती। हिन्दी भाषा में नापितों, केशकर्तनालयों पर ऐसी पठनीय और दिलचस्प किताब पूर्व में लिखी गई हो, ध्यान नहीं आता। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ.सत्यनारायण ने कहा कि ओम नागर हिंदी और राजस्थानी कवि -गद्यकार के रूप में विशेष पहचान रखते है। भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित उनकी डायरी ‘निब के चीरे से ‘ और राजस्थानी डायरी ‘ हाट ‘भी उनकी चर्चित रहीं है। ओम के लिए डायरी लेखन रोजनामचा लिखना भर नहीं है। वो इस कथेतर विधा में प्रयोगशील दृष्टि से लेखन करते रहे है। यह ‘ उस्तरे की धार से कटती उदासी ‘ डायरी लेखक की प्रयोगशीलता का महत्वपूर्ण उदाहरण है और उन्होंने बहुत विरल विषय पर कलम चलाई है। ओम की रचनाओं में अपना समय और लोक शिद्द्त से उजागर करते है।

विशिष्ट अतिथि कथादेश के संपादक हरिनारायण और रत्न कुमार सांभरिया ने कहा कि नयी सदी में फिर से साहित्य में कथेतर के महत्त्व बढ़ा है । ओम नागर अपने लेखन से नयी उम्मीद जताते है। उनकी लेखकीय दृष्टि उन लोगों तक, उन जीवन -संघर्ष तक पहुँचती है। जिन्हें अक्सर हम देखते हुए भी अनदेखा कर देते है। उन्होंने ओम नागर को उल्लेखनीय सृजन के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित की। इस अवसर वेरा प्रकाशन के निदेशक बनवारी कुमावत और लेखक, साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहें।