One Nation One Election : बिरला बोले, आइटम नंबर-18 और अर्जुनराम ने रख दिया ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल
- One Nation One Election : विधि मंत्री अर्जुनराम ने बिल रखा, विपक्ष का विरोध, अमितशाह का सुझाव, जेपीसी में भेजा
- One Nation, One Election : जवाबी हमले में अर्जुनराम के तेवर पर थपथपाई मेजें
RNE Network, New Delhi.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद विधायी कार्य की सूची में ज्योंहि बोला, आइटम नंबर-18 त्योंहि सत्तापक्ष ने मेजें थपथपानी शुरू कर दी। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल खड़े हुए। औपचारिकता के बीच बोले ‘…भारत के संविधान का 129वां संशोधन बिल प्रस्तुत कर रहा हूं। यही “One Nation, One Election” बिल है। इसके साथ ही उन्होंने संघ-राज्य क्षेत्र विधि संशोधन विधेयक भी रखा इसमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के साथ ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियिम में संशोधन शामिल है। ऐसे में दोनों ही संशोधनों पर विपक्ष ने जमकर विरोध किया। कांग्रेस सहित विपक्ष के सांसदों ने इसे लोकतंत्र और संविधान की भावना के विपरीत बताया।
बिल इंट्रोडक्शन के दौरान ही चल रही बहस और विवाद के बीच गृहमंत्री अमितशाह ने हस्तक्षेप किया। बोले, जब बिल कैबिनेट में आया तो प्रधनमंत्रीजी ने कहा था कि इसे जेपीसी को देना चाहिये। उन्होंने सांसद टी.आर.बालू की मांग का जिक्र कर विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को इंगित कर कहा, अगर मंत्रीजी इसे जेपीसी में रखने की मंशा रखते हैं तो जेपीसी में सारी चर्चा होगी।
जेपीसी से पारित होकर आएगा तब यहां विस्तृत चर्चा हो जाएगी। इस पर अर्जुनराम बोले, ये जो चर्चा हुई है इसका जवाब देने के बाद नियम 74 में जेपीसी के गठन का प्रस्ताव निश्चित रूप से करूंगा।
बहस के बाद अर्जुनराम का जवाबी हमला:
विपक्ष के आरोपों पर जवाब देने खड़े हुए विधि मंत्री अर्जुनराम के तेवर जवाबी हमले के लगे। उन्होंने खासतौर पर अपनी बात आर्टीकल 360ए का उल्लंघन के आरोपों पर केन्द्रित की। इसके साथ ही अनुच्छेद 327 का जिक्र कर सदन के अधिकार बताये। इस बिल से बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में कोई फर्क नहीं आ रहा। इससे संसद की शक्ति और विधानसभा की शक्ति में कोई फर्क आ रहा है। तकनीकी जवाब के बाद उन्होंने खुद को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की परंपरा से जोड़ते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अवसर दिया है जिससे बाबा साहब के वर्ग से उनके बाद मैं दूसरा मंत्री इस पद पर आया हूं। बिल का जेपीसी को सौंपने का प्रस्ताव रखने के साथ ही मेघवाल ने शायराना अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी को दूरदर्शी बताया।
“जो निर्णय लेता है सदा देशहित की खातिर जग में
साहस से करता दूर सदा जो भी बाधा आती मग में
अपना सर्वस्व लगाकर भी अपना कर्तव्य निभाता है
जो नेता दूरदर्शी होता है वही इतिहास बनाता है”
जानिये क्या है संविधान का 129वां संशोधन विधेयक :
लोकसभा में पेश किया गया ‘एक देश एक चुनाव विधेयक’ ‘संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024’ है। सरकार इस बिल को पेश करने के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की गई है। बता दें कि, अभी देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।
क्या है आगे की प्रोसेस?
सबसे पहले जेपीसी कमेटी बनाकर सभी दलों से सुझाव लिये जायेंगे। आख़िरकार यह बिल संसद में लाया जाएगा और पारित हो जाएगा। इससे पहले रामनाथ कोविंद की समिति ने एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जानकारी के अनुसार, सरकार इस विधेयक को लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की योजना बनी है। जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की आवश्यकता पर जोर देगी।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ हो गया था बंद :
वन नेशन, वन इलेक्शन बीजेपी के घोषणा पत्र में शामिल है। एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का कारण यह है कि इससे चुनाव में होने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा। दरअसल, 1951 से 1967 के बीच देश में एक साथ चुनाव होते थे और लोग एक ही समय में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए वोट करते थे। बाद में देश के कुछ पुराने प्रदेशों के पुनर्निर्माण के साथ-साथ कई नए राज्यों की भी स्थापना की गई। इसके चलते 1968-69 में यह व्यवस्था बंद कर दी गई। पिछले कुछ सालों से इसे दोबारा शुरू करने का विचार चल रहा था।
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