बारिश से पहले सभी स्कूलों से मरम्मत के प्रस्ताव मांगे, इंजीनियरों से तकमीना तैयार कर भेजने होंगे प्रस्ताव
- 15 दिन में जर्जर स्कूलों की मरम्मत के प्रस्ताव भेजने का आदेश
- जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जाएंगे प्रस्ताव
- कोई भी सीधे निदेशालय को प्रस्ताव भेजेगा तो उस पर विचार नहीं होगा
आरएनई, बीकानेर।
हालांकि अभी राजस्थान में हीटवेव का दौर चल रहा है लेकिन जल्द ही मानसूनी बादल मंडराते दिखेंगे। ऐसे में प्रदेश के ऐसे सरकारी स्कूलों की सूची तैयार हो रही हैं जो जर्जर हैं या जिनमें मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है। इसके लिए शिक्षा निदेशालय प्रदेशभर के स्कूलों की स्थिति के साथ मरम्मत के प्रस्ताव मांगे हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की अतिरिक्ति निदेशक प्रतिभा देवठिया ने प्रदेशभर के माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों से उन स्कूलों के प्रस्ताव मांगे हैं जहां तुरंत मरम्मत की आवश्यकता है। कहा गया, मरम्मत की आवश्यकता वाले स्कूलों के प्रस्ताव 15 दिन में तैयार करके भेजो।
बजट कम, इसलिये सबसे बुरी हालत वाले स्कूलों में होगी मरम्मत:
निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि बजट की सीमितता है। ऐसे में उन स्कूलों के ही मरम्त के प्रस्ताव भेजे जाएं जहां इसकी अत्यधिक जरूरत है। इसके लिए स्कूल से आये प्रस्ताव बाकादया इंजीनियरों की ओर से तैयार किये गए तकमीना के साथ हो। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी को प्रत्येक प्रस्ताव पर मरम्मत की जरूरत के लिहाज से अपनी स्पष्ट अभिशंसा भी देनी होगी।
सीधे प्रस्ताव नहीं दे सकेंगे:
मरम्मत के प्रस्ताव स्कूलों से सीधे निदेशालय नहीं भेजे जाएंगे। किसी भी स्कूल से सीधे प्रस्ताव जाता है तो उस पर विचार नहीं हेागा। अतिरिक्त निदेशक प्रतिभा देवठिया की ओर से भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि सिर्फ माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों के ही प्रस्ताव भेजें।
शिक्षामंत्री दिलावर ने दिया था आदेश :
दरअसल बीते दिनों शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण करते हुए वहां सफाई और भवन के हालात देखे। कुछ जगह खराब स्थिति को देखते हुए नाराजगी भी व्यक्त की थी। इसके बाद अब शिक्षा सचिव ने सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत भवन रहित सरकारी स्कूलों के लिए संबंधित कलेक्टर या फिर राजस्व विभाग से सम्पर्क कर स्कूलों के लिए आवश्यक भूमि आंवटित कराने की कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
खुले में, झोंपड़ों में स्कूल ना चलाएं :
शिक्षा सचिव ने ये भी स्पष्ट किया है कि भूमि आवंटन के अभाव में जब तक विद्यालय भवन का निर्माण नहीं होता तब तक विद्यालय के लिए वैकल्पिक सुरक्षित भवन की व्यवस्था करें। राज्य में कहीं भी खुले में, झोंपड़ी में, पेड़ के नीचे, असुरक्षित स्थान पर कक्षाओं का संचालन नहीं किया जाए। इसके अलावा असुरक्षित और जर्जर विद्यालय भवनों को अध्यापन या अन्य किसी उपयोग में नहीं लेते हुए वहां छात्रों का प्रवेश वर्जित रखने, जिला स्तरीय निष्पादन समिति की ओर से विद्यालय भवन को जर्जर घोषित करने की कार्रवाई करने, बारिश से पहले छतों की सफाई, छतों के बन्द नालों की सफाई, बरसाती नालों के टूटे पाईपों की मरम्मत कराने के भी निर्देश दिए।