काशी में विद्या हासिल कर पुटिया महाराज ने बनाई भगवान राम की कुंडली, अब लखिया महाराज कर रहे वाचन
आरएनई, बीकानेर।
बीकानेर के तेलीवाड़ा स्थित रघुनाथ मंदिर में रामनवमी का उत्सव कुछ खास अंदाज में मनाया जा रहा है। बाकी राम मंदिरों की तरह ही यहां भी भगवान का पूजन-अर्चन, आरती आदि चल रही है लेकिन भक्तों को इंतजार है एक खास क्षण का। वह क्षण है भगवान राम की जन्मकुंडली के वाचन का। ज्योंहि शुभ मुहूर्त घोषित हुआ लखिया महाराज (लक्ष्मीनारायण रंगा) ने पुरानी बही जैसी जन्मकुंडली निकाली और मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधानकर शुरू किया कुंडली का वाचन। इंतजार कर रहे लोगों ने श्रद्धापूर्वक कुंडली का वाचन सुनने के साथ ही जैकारे लगाये।
शिवरतनजी ने बनाई कुंडली, हनुमानजी के गुरू की उपाधि मिली:
‘रूद्रा न्यूज एक्सप्रेस’ से बातचीत में लखिया महाराज ने बताया, इस मंदिर में कुंडली वाचन का क्रम 123 साल से चल रहा है। कुंडलीनिर्माण और वाचन की परपंरा की भी एक कहानी है। दरअसल बीकानेर के शिवरतन रंगा ‘पुटिया महाराज’ काशी में विद्याध्ययन के लिये गए थे। ज्योतिष, धर्मशास्त्र पर विद्यापूर्ण करने के बाद गुरू ने जन्मकुंडली निर्माण की आज्ञा दी।
पुटिया महाराज ने सभी तथ्यों, ग्रह-नक्षत्रों की गणना करने, धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के साथ ही कई दिन की कड़ी मेहनत के बाद भगवान राम की जन्मकुंडली तैयार की। अपने गुरूजी को दिखाई। गुरूजी ने विद्या पूर्ण होने की घोषणा करते हुए आशीर्वाद दिया, इस कुंडली को कोई चैलेंज नहीं कर सकेगा। जन्मकुंडली के साथ ही यह धर्मकुंडली बनेगी। लोगों को धर्म का मार्ग भी बताएगी।
बीकानेर के रघुनाथ मंदिर में हुआ अभिनंदन:
बीकानेर पहुंचने के बाद पुटिया शिवरतनजी ने अपने परिजनों को पूरी बात बताई। घर के बड़े-बुजुर्ग उन्हें पास ही स्थित रघुनाथजी मंदिर ले गए। यहां निवास करने वाले महंतजी को बता बताई। महंतजी को कुंडली थमा दी। रघुनाथजी के चरणों में अर्पित कर दी। महंतजी विस्मित हुए। बाकायदा अभिनंदन समारोह बुलाया गया। पुटिया महाराज का अभिनंदन हुआ और उस दिन पहली बार कुंडली का वाचन कर बताया गया कि यह बिलकुल सटीक कुंडली है। इस मौके पर महंतजी ने कहा, जिसने भगवान की कुंडली बनाई वह हनुमानजी के गुरू जैसे होते हैं। इसलिये रंगा को हनुमानजी के गुरू की उपाधि दी। घोषणा हुई हर रामनवमी को कुंडली का वाचन होगा। खुद रंगा करेंगे।
अब दादा की गद्दी संभाल रहे लखिया महाराज :
पुटिया महाराज ने अपने जीवनकाल तक लगभग 80 साल हर रामनवमी को भगवान राम की कुंडली का वाचन किया। इसके बाद उनकी गद्दी पर पोते लक्ष्मीनारायण को पदासीन किया गया। बीते लगभग तीन दशकों से ‘लखिया महाराज’ कुंडली का वाचन कर रहे हैं।