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संजय की कहानियों ने संवेदना की सरिता से श्रोताओं को भिगो दिया, दो कहानी, एक व्यंग्यकथा, एक लघुकथा सुनाई संजय ने

RNE Network

ऊर्जा थियेटर सोसायटी के धरम सज्जन ट्रस्ट में हुए ‘ सुनो कहानी ‘ में कवि, कथाकार, अनुवादक, आलोचक, एंकर संजय पुरोहित ने भिन्न भिन्न रंगों की अपनी कहानियां सुनाई। संवेदना के धरातल पर रची गई इन कहानियों को सुनकर श्रोता पूरी तरह संवेदना की सरिता में भीग गये। हर कहानी का रंग, तेवर भिन्न था। उनकी कहानी पठन की शैली ने श्रोताओं को बेहद प्रभावित किया।

संजय की कहानी ‘ फिदायीन ‘ एक समर्पित पत्रकार की कहानी थी, जिसका तानाबाना कश्मीर के आतंकवाद के इर्द गिर्द बुना गया था। पत्रकार की निष्ठा को जहां इसमें स्वर मिला, वहीं न्यूज चैनल्स की व्यावसायिक मानसिकता पर करारा प्रहार था। संवेदना से परिपूर्ण ये कहानी बेहद प्रभावी थी। दूसरी कहानी एक प्रेम कहानी थी, मगर वो प्रेम जो कुछ पाने की चाह नहीं, समृद्ध करने की चाह वाला था। नशे की गर्त में डूबे युवाओं की जिंदगी के ताने बाने से गुंथी ये कहानी श्रोताओं को भावुक कर गई।

संजय चूंकि व्यंग्यकार भी हैं तो उन्होंने एक व्यंग्यकथा पुलिस के व्यवहार पर भी सुनाई। थाना, उसके भीतर का सच और पुलिस की कार्यप्रणाली पर ये कथा करारा व्यंग्य थी। आम आदमी और पुलिस के बीच की दूरी के कारणों को ये व्यंग्य कथा पूरी तरह रेखांकित करती थी। लघुकथाकार संजय पुरोहित ने अंत में ‘ अंतर्दृष्टि ‘ लघुकथा सुनाई जो गागर में सागर भरने वाली थी। इस लघुकथा को सुनकर सभी वाह कर उठे।

कहानियों पर श्रोताओं ने भी खुलकर मन की बात कही और संवेदना की प्रगाढ़ता के बिंदु को रेखांकित किया। विचार रखने वालों में उमाकांत गुप्त, नवल व्यास, हरीश बी शर्मा, इरशाद अजीज, अमित गोस्वामी, असित गोस्वामी, मधु आचार्य आशावादी आदि शामिल थे। सुनो कहानी इस समय देश का चर्चित साहित्यिक आयोजन है जो एक रंग संस्था आयोजित करती है। इस कार्यक्रम में अब तक अनिरुद्ध उमट, मधु आचार्य आशावादी, हरीश बी शर्मा भी कहानी पाठ कर चुके हैं।