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मंत्रीजी के महान कारनामे सुन नतमस्तक जादूगर सम्राट का जमूरा

‘‘तुम इस हाथ की सफाई को जादू कहते हो? जमूरे! जादू तो उसे कहा जाता है जो सिर पर चढ़ कर बोले! नोटों की बरसात देखनी हो तो कभी मेरे मालिक का करिश्मा देखना…  चार कील-कांटे खाने से कोई जादूगर सम्राट नहीं हो जाता! मेरे मालिक हर वर्ष हजारों बोरे सीमेंट, सैंकड़ों टन लोहा खाकर डकार नहीं लेते! वे तो कई-कई किलोमीटर लम्बी कई सड़कें खा चुके हैं!” -डॉक्टर मंगत बादल के इसी व्यंग्य से। 


जमूरे की मुसीबत

  • डॉ मंगत बादल

ऊँट यदि ऊँट है तो उसे एक न एक दिन पहाड़ के नीचे आना ही पड़ता है। पहाड़ के नीचे आना ऊँट की नियति होती है लेकिन जादूगर तो ऊँट नहीं होता। वैसे वह अपने हैरतअंगेज कारनामों से चाहे जिसे ऊँट बना दे। यह बात अलग है कि जादूगर कुमार का डीलडौल देखते हुए वे किसी ऊँट से कम नहीं थे। छः फुट लम्बा कद तथा ऊँट के समान लम्बी गरदन और छोटा सिर। शायद इसीलिये यह जरूरी हो गया कि वे भी पहाड़ के नीचे आयें और पहाड़ को देखकर अपने ऊँट सरीखे डील-डौल को क्षुद्र समझें। जादूगर कुमार न केवल डील-डौल की विशालता में बल्कि अपने जादुई कारनामों के कारण भी जादू-जगत में उसी प्रकार विख्यात थे जिस प्रकार अपनी विशेषताओं के कारण पशु जगत में  ऊँट।

किस्सा कोताह, हुआ यूं कि जादूगर कुमार का हमारे नगर में प्रदर्शन था। प्रदर्शन का तात्पर्य आप यहाँ राजनीति वाला न लें जिसके अन्तर्गत बड़े-बड़े  पोस्टर लेकर नारे लगाती भीड़ अपनी मांगें  मनवाने के लिये चीखती-चिल्लाती है। राजनीति में प्रदर्शन का भाव बढ़ जाने के कारण इधर दूसरे क्षेत्रों में कुछ गिरावट आई है, इसलिये चलते-चलते हमने स्पष्टीकरण कर दिया। जादूगर कुमार ने एक स्थानीय थियेटर पन्द्रह दिन के लिये किराये पर लिया था ; जिसमें वे अपने जादुई चमत्कारों के प्रदर्शन द्वारा धन कमाना चाहते थे। कहा है, ‘‘होनी तो होकर रहे अनहोनी न होय’’ यदि ‘‘होनी’’ घटित नहीं होती तो मैं यह सारा किस्सा एक प्रत्यक्षदर्शी के रूप में कहने की हिमाकत क्यों करता ?

पहला दिन! पहला ही शो! हॉल भीड़ से खचाखच भरा था किन्तु शो प्रारम्भ होने में अभी देर थी! पता चला कि कोई मंत्री महोदय उद्घाटन करने आने वाले हैं इसलिये सब लोग सांस रोके प्रतीक्षा कर रहे थे! समय बिताने की गरज से जादूगर का जमूरा मंच पर आया और कहने लगा, ‘प्रिय दर्शकगण! दिल थाम कर बैठ जाइये! कुछ क्षणों में ही आपके सामने अनोखे अन्दाज में प्रस्तुत हो रहे हैं! संसार के महान् जादूगर सम्राट कुमार!’ तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा।

बोल जमूरे… 

तभी भीड़ में से उठकर एक आदमी चिल्लाया, ‘बंद करो ये बकवास! हमारे मालिक से बढ़कर कोई महान् नहीं है! तुम झूठ बोलकर जनता को गुमराह कर रहे हो, ठग रहे हो!’ लोगों की नजरें उस व्यक्ति की तरफ मुड़ गईं! कुछ लोग उचक-उचक कर उसे देखने की चेष्टा करते तो पीछे वाले उसका कंधा पकड़ कर झिंझोड़ देते, कुल मिलाकर वातावरण रेलगाड़ी के डिब्बे जैसा बन गया। {मैं यहां निवेदन कर दूँ कि दुगुना-तिगुना किराया खर्च कर जो लोग प्रथम श्रेणी में यात्रा करते हैं वे ‘‘वातावरण’’ का आशय शायद नहीं समझ सकें इसलिये उनसे क्षमा चाहूँगा।}

‘‘मेरे मालिक को ठग कहने वाले तुम कौन हो ?……जानते नहीं तुम्हारे ऐसा कहने पर मेरा मालिक तुम्हें मुर्गा या बकरा बना सकता है?’’

वह व्यक्ति जमूरे की बात सुनकर उपेक्षात्मक हँसी-हंसते हुए बोला, ‘‘यह तो मेरे लिये परम सौभाग्य की बात होगी क्योंकि मेरे मालिक को मुर्गे की टांग और बकरे की कलेजी बहुत पसन्द है। तुम अपने मालिक की कोई और विशेषता बतलाओ। मेरे मालिक के इशारे भर से मुर्गा या बकरा तो मैं भी किसी को पलक झपकते ही बना सकता हूँ। यहाँ तक कि तुम्हारे मालिक को भी।’’

जमूरे का चेहरा तमतमा गया लेकिन उसने संयम से काम लिया क्योंकि उसका वास्ता तो रोज-रोज ऐसे दर्शकों से पड़ता रहता है जो उनके ठीक-ठाक चलते कार्यक्रम में बाधा डालने की चेष्टा उसी प्रकार करते रहते हैं जिस प्रकार म्युनिसिपल कमेटी वाले चौड़ी-सीधी और सपाट सड़कों पर जगह-जगह पर अवरोधक बनाकर। बोला, ‘‘तुम अवश्य काले जादू के जानकार लगते हो क्योंकि तुम्हारी तरह आज तक कोई दर्शक हमसे पेश नहीं आया। तुम यदि जादूगर हो तो तुम्हें इस प्रकार की हरकतें करना बिल्कुल शोभा नहीं देता। मैं तुम्हारी ‘‘विश्व जादू-कौंसिल’’ में शिकायत करूँगा। तुम नहीं जानते ‘‘जादूगर-जादूगर, भाई-भाई, होते हैं।’’

‘‘शिकायत करने वाले की ऐसी की तैसी ! मेरा मालिक तुम्हारे मालिक की तरह कोई ऐरा-गैरा घटिया तमाशेबाज नहीं है! तुम्हारे मालिक के चमत्कारों को बतलाओ! यदि वे मेरे मालिक से बढ़कर हुए तब तो ठीक है वरना तुम्हारा बोरी-बिस्तर गोल समझो!’’

लाखों को सब्जबाग दिखा तालियाँ बजवाने का जादू.. 

चुनौती स्वीकारते हुए जमूरा बोला,‘‘जादूगर सम्राट कुमार ताश के ऐसे खेल दिखलाते हैं कि दर्शक दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।’’ कहकर जमूरे ने शान से भीड़ की ओर देखा।

उपेक्षा की हंसी-हंसते हुए आगन्तुक ने कहा-‘‘ब……….स! मेरे मालिक जब ताश के पत्ते हाथ में उठाते हैं तो रूपयों की वर्षा होने लगती है सामने वाले व्यक्ति जेबों से नोट निकाल-निकाल कर उनकी झोली में फेंकने लगते हैं।’’

‘यह तो सम्मोहन विद्या है, जादूगर अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से सामने वाले व्यक्ति को सम्मोहित कर अपनी इच्छा का दृश्य दिखला सकते हैं किन्तु ऐसा करना जघन्य कार्य है! दूसरों की आत्मा को चोट पहुंचाना या दूसरों का शोषण करना जादू कला में वर्जित है।’’

‘‘जहाँ तक सम्मोहन का सवाल है मेरे मालिक तो हॉल में बैठे क्या, एक साथ लाखों लोगों को खुले मैदान में भी सम्मोहित कर सकते हैं! लोग उनकी वाणी सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं! जय-जयकार करते हैं! वे जब जन-जन को सम्मोहित कर सब्जबाग और दिवा-स्वप्न दिखलाते हैं तो लोग हर्षित होकर तालियाँ बजाने लगते हैं।’’

 

नोटों की बारिश का करिश्मा… 

जमूरा हैरान था! इतने बडे़ जादूगर का नाम तो उसने आज तक सुना ही नहीं था तथा न ही कभी कुमार साहब ने जिक्र किया था! फिर भी हिम्मत करके बोला,‘‘हमारे मालिक हवा में नोट उत्पन्न कर देते हैं ! आप नोटों की बरसात देखकर दंग रह जायेंगे! जादूगर कुमार लोहे की कीलें, कांच चबा जाते हैं! तेजाब तक पी जाते हैं।’’

‘‘तुम इस हाथ की सफाई को जादू कहते हो! जमूरे! जादू तो उसे कहा जाता है जो सिर पर चढ़ कर बोले! नोटों की बरसात देखनी हो तो कभी मेरे मालिक का करिश्मा देखना! मेरे मालिक तो ‘‘मूक होय वाचाल, पंगु गिरि शिखर चढै़’’ की भांति ताकतवर हैं! चार कील-कांटे खाने से कोई जादूगर सम्राट नहीं हो जाता! मेरे मालिक हर वर्ष हजारों बोरे सीमेंट, सैंकड़ों टन लोहा खाकर डकार नहीं लेते! वे तो कई-कई किलोमीटर लम्बी कई सड़कें खा चुके हैं! नहीं मानते तो प्रशस्ति-पत्र सरकारी फाइलों में देख सकते हो।’’

गायब होना इनसे सीखे.. 

विपक्षी का आत्मविश्वास देखकर जमूरे की जिसे हवा कहते हैं खिसकने लगी थी! फिर भी साहस करके बोला,‘‘मेरे मालिक आरे से आदमी को चीर कर दिखा सकते हैं! हवा में कबूतर गायब कर देते हैं ! आप उन्हें सन्दूक में बन्द कर दीजिये वे सन्दूक में से तो गायब हो जायेंगे और हॉल के बीचों-बीच दिखलाई देंगे! पलक झपकते ही रूप बदल लेंगे कि आप हैरान हो जाएंगे!’’ जमूरा अब सामने वाले की हैसियत कुछ-कुछ समझ चुका था इसलिये तुम से आप पर आ गया था।

‘‘बस! बस! रहने दो! थोथा चना बाजे घना! अरे! यह तो मेरे मालिक के बायें हाथ का खेल है! मेरे मालिक एक साथ सैंकड़ों लोगों को चिरवा सकते हैं! उनका खून नहीं दिखलाई पड़ता! उफ! ’’ तक आवाज नहीं निकलती! मेरे मालिक को कोई चुनौती दे तो वे प्रतिद्वन्द्वी को भी हवा में गायब कर सकते हैं! वे जिस वस्तु की ओर मात्र इशारा कर देते हैं वह ऐसे गायब हो जाती है जैसे गधे के सिर से सींग!

जहाँ तक खुद के गायब होने का प्रश्न है वे अपने क्षेत्र से पूर्णकाल तक गायब रहते हैं और जाकर निकलते हैं अमरीका, इंग्लैंड या रूस में! जादू के बल से यहाँ का रूपया स्विटजरलैण्ड तक पहुंचा सकते हैं! हवा में उड़ते हैं। रूप बदलने में तो वे इतने माहिर हैं कि सामने वाला सकते में आ जाये! इस प्रतियोगिता में गिरगिट को मात दे सकते हैं! अब तुम कहोगे कि तुम्हारा जादूगर आँखों पर पट्टी बांधकर मोटर साईकिल चला सकता है! किसी व्यक्ति से हाथ मिलाते हुये उसे हथकड़ी पहना कर हैरत में डाल सकता है! ब………….स! यही न! सुनो! मेरा मालिक तो आँखों पर पट्टी बांधकर रोज-रोज सारे देश को चलाता है! मेरे मालिक चाहें तो तुम्हें और तुम्हारे जादूगर को यहीं बैठे -बैठे हथकड़ी पहना दें! स्वीकारते हो चुनौती?’’

जमूरा डर गया बोला,‘‘अवश्य तुम्हारा मालिक कोई तांत्रिक है या फिर काले जादू का जानकार है! मैंने पहले ही कहा है कि जादू जगत में काले जादू को हेय माना जाता है! मैं तुम्हारे मालिक की भर्त्सना करता हूँ !’’

‘‘तुम्हारी यह हिम्मत! तुम जानते नहीं शायद, अब की बार तुम्हारा पाला किससे पड़ा है? मनोरंजन के नाम पर ठग्गी करते हो!’’ जादू एक कला है! कह-कह कर भोले-भाले लोगों को लूटते हो! और कहते हो स्वंय को जादूगर सम्राट!’’

उनके शोर को सुनकर जादूगर कुमार साहब पर्दे से बाहर आये और हॉल में दृष्टि डालकर बोले,‘‘अरे रामदीन जी आप! मंत्री महोदय कहां है?’’ उन्हें जल्दी से मंच पर लाओ! शो का समय हो रहा है! उद्घाटन हो जाये तो शो प्रारम्भ करूँ! इतना कहकर जादूगर जमूरे की ओर मुखातिब होकर बोले ‘‘मूर्ख! जानते नहीं ये मंत्री जी के आदमी हैं! इनसे जबान लड़ाते शर्म नहीं आती! इनसे माफी मांगो!’’

इसके बाद मंत्री महोदय को साथ लेकर रामदीन जी एवं जादूगर कुमार मंच पर आये! मंत्री महोदय ने उद्घाटन किया और जादू को महान् कला बतलाया। तत्पश्चात् जादूगर कुमार ने शो प्रारम्भ किया किन्तु अब लोगों की उत्सुकता कुमार के करिश्मों के प्रति उतनी नहीं रह गई थी क्योंकि अब वे बडे़ जादूगर के दर्शन कर चुके थे।


  • डॉ. मंगत बादल 

शास्त्री कॉलोनी,

रायसिंहनगर-335051

मो. 94149 89707