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नौवीं-10वीं के विद्यार्थियों को तीन भाषाएं पढ़नी होगी, इनमें दो भारतीय भाषाएं

जनिए एनसीएफ-एसई को

शिक्षा की बात के पिछले अंक में एनसीएफ एफएस पर चर्चा की गई थी। इस अंक में हम एनसीए्फ एस ई(राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा स्कूल शिक्षा के बारे में समझने का प्रयास करेंगे। जैसा कि आपको विदित ही है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020 भारत को 21वीं सदी के ज्ञान समाज की चुनौतीपूर्ण मांगों को पूरा करने के लिए खुद को तैयार करने की एक परिवर्तनकारी पहल माना गया है। एनसीएफ-एसई एनईपी 2020 का प्रमुख घटक है जो कि शिक्षा नीति के उद्देश्यों] सिद्धांतों और दृष्टिकोण और ज्ञान समाज की चुनौतीपूर्ण मांगों के लिए शिक्षा व्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा रखता है।

एनईपी 2020 का मुख्य उद्देश्य है सभी बच्चों उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा का उपलब्ध करवाना जिससे हमारे संविधान द्वारा परिकल्पित एक समतामूलक] समावेशी और बहुलवादी समाज के अनुरूप के वृहत उद्देश्य की पूर्ति संभव हो। 20 अक्टूबर 2022 को शिक्षा विभाग] भारत सरकार द्वारा जारी की गई फाउंडेशनल स्टेज (आयु 3-&8 पर उचित फोकस और प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिए] फाउंडेशनल स्टेज (एनसीएफ-एफएस) के लिए विस्तृत रूपरेखा को इसमें एकीकृत किया गया है। यह भारत में 3&18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए पहली एकीकृत पाठ्यचर्या रूपरेखा है।

क्या-क्या है एनसीएफ दस्तावेज मेंः

अंग्रेजी में प्रकाशित 597 पृष्ठीय एनसीएफ एसई में प्रारम्भिक 20 पृष्ठों में अध्यक्षीय उद्बोधन के अलावा प्रयुक्त संक्षिप्त शब्दों की सूची] विषय सूची के साथ स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा को कैसे पढ़ें] परिचय और सारांश दिया गया है। इसके अलावा इसमें भाग-ए में पाठ्यचर्या का दृष्टिकोण के अन्तर्गत स्कूली शिक्षा के उद्देश्य और पाठ्यचर्या क्षेत्र] स्कूल चरण – तर्क और डिजाइन]सीखने के मानकों] सामग्री] शिक्षण और मूल्यांकन के प्रति दृष्टिकोण व समय आवंटन का उल्लेख किया गया है। भाग-बी क्रॉस-कटिंग थीम के अन्तर्गत भारत में जड़ें और भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ] मूल्य और स्वभाव] पर्यावरण के बारे में सीखना और उसकी देखभाल करना] स्कूलों में समावेश] स्कूलों में मार्गदर्शन और परामर्श व स्कूलों में शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उल्लेख है। भाग-सी में स्कूल विषय के अन्तर्गत आधारभूत चरण में सीखना] भाषा शिक्षा] गणित शिक्षा] विज्ञान शिक्षा] सामाजिक विज्ञान शिक्षा] कला शिक्षा] अंतःविषय क्षेत्रों में शिक्षा]शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य ]व्यावसायिक शिक्षा एवं कक्षा 11 और 12 में विषय दिये गये हैं। भाग-डी स्कूल संस्कृति और प्रक्रियाएँ अन्तर्गत स्कूल संस्कृति व स्कूल प्रक्रियाएँ उल्लेखित है। भाग-ईएक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना अन्तर्गत] कार्यान्वयन के लिए क्षमता निर्माण] सीखने के लिए उपयुक्त वातावरण सुनिश्चित करना] शिक्षकों को सक्षम और सशक्त बनाना] समुदाय और परिवार की सहभागिता का उल्लेख है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के मूल सिद्धांतः

समग्र विकासः एनसीएफ 2023 शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देता है जो छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देता है। इसमें छात्रों के शारीरिक] भावनात्मक] सामाजिक और संज्ञानात्मक कौशल विकसित करना शामिल है।

समावेशिताः एनसीएफ 2023 में समावेशी शिक्षा प्रणाली के निर्माण को प्राथमिकता दिए जाने की संभावना है जो हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों सहित सभी छात्रों की जरूरतों को पूरा करती है। यह भेदभाव और पूर्वाग्रह से मुक्त एक सुरक्षित और समावेशी स्कूल वातावरण के निर्माण का मार्गदर्शन करता है।

अंतःविषयक शिक्षाः एनसीएफ 2023 बहुविषयक शिक्षा को रखजा है जो विभिन्न विषय क्षेत्रों को एकीकृत करता है और छात्रों को उनके बीच संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह छात्रों को दुनिया की व्यापक समझ विकसित करने और उन्हें 21वीं सदी की जटिलताओं के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है।

योग्यता आधारित शिक्षाः एनसीएफ 2023 योग्यता-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकता है] जिसमें केवल ज्ञान प्राप्ति के बजाय कौशल और योग्यता विकसित करने पर जोर दिया जा सकता है। इसमें आलोचनात्मक सोच] रचनात्मकता] संचार और समस्या-समाधान कौशल पर ध्यान केंद्रित की बात रखता है।

प्रौद्योगिकी का उपयोगः एनसीएफ 2023 शिक्षा में प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दे सकता है और शिक्षण और सीखने में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन कर सकता है। इसमें शिक्षण और सीखने के लिए डिजिटल संसाधनों और आकलन और मूल्यांकन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल हो सकता है।

क्या रहेगी पैडागाॅजीः

विभिन्न विषयों में अवधारणाओं और उनके अंतर्संबंधों की गहन समझ को सक्षम करने के लिए, तथा विभिन्न उपर्युक्त मूल्यों, स्वभावों और क्षमताओं के अधिग्रहण को सक्षम करने के लिए, कक्षा में शिक्षाशास्त्र को और अधिक प्रभावी होना चाहिए। अध्ययन के विषय, संदर्भ और छात्र के चरण के आधार पर, ये प्रभावी शैक्षणिक दृष्टिकोण व्यापक श्रेणी के होंगे, जिसमें अधिक अनुभवात्मक, एकीकृत, जांच-संचालित, खोज-उन्मुख, चर्चा-आधारित, परियोजना-आधारित, कला-आधारित, खेल-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षाशास्त्र शामिल है। ऐसा शिक्षणशास्त्र न केवल अधिक प्रभावी होगा, बल्कि अधिक आकर्षक और आनंददायक भी होगा।

एनसीएफ और भाषाः

एनईपी 2020 स्कूलों में भाषा शिक्षण और सीखने के लिए तीन-भाषा सूत्र की रूपरेखा तैयार करता है , जिसमें छात्रों को तीन भाषाएँ सीखने की आवश्यकता होती हैं। इसमें आर1 (शिक्षा का माध्यम और आमतौर पर मातृभाषा), आर2 (अंग्रेजी सहित कोई अन्य भाषा), और आर3 (आर1 या आर2 के अलावा कोई अन्य भाषा)। पाठ्यक्रम प्रत्येक भाषा के लिए साक्षरता और प्रवाहमय पठन पर केंद्रित है। एनसीएफ के अनुसार कक्षा 9-10 के छात्रों को तीन भाषाएँ पढ़नी होंगी, जिसमें दो भारतीय भाषाएँ शामिल हैं। कक्षा 11-12 के छात्रों को दो भाषाएँ पढ़नी होंगी, जिनमें से एक भारतीय मूल की होनी चाहिए।

मूल्यांकन में सुधारः

शिक्षा में मूल्यांकन शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस संबंध में वर्तमान प्रणाली में अत्याधिक चुनौतियाँ हैं। शिक्षा की व्यवस्था में मूल्यांकन प्रायः यंत्रवत् होता है तथा दक्षताओं और सीखने के परिणामों को मापने के बजाय याद करने पर केंद्रित होता है। छात्र मूल्यांकन से डरते हैं क्योंकि यह उनके लिए डराने वाला होता है, जिसके कारण उनमें डर पैदा होता है, उन्हें लेबल किया जाता है और अंकों के आधार पर सामाजिक परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
एनसीएफ 2023 के प्रभावी मूल्यांकन के सिद्धांत रखता है। यह कहता है कि मूल्यांकन में पाठ्यक्रम लक्ष्यों के साथ समन्वय में दक्षताओं और सीखने के परिणामों की उपलब्धि को मापा जाना चाहिए। दरअस्ल वर्तमान मूल्यांकन केवल नम्बरों की अंधी दौड़ प्रतीत होता है। जबकि मूल्यांकन रचनात्मक, विकासात्मक और सीखने पर केंद्रित होना चाहिए। इसके साथ ही मूल्यांकन चरण-उपयुक्त होना चाहिए। मूल्यांकन छात्र विविधता के अनुकूल होना चाहिए।मूल्यांकन के साथ छात्रों को समय पर, विश्वसनीय और रचनात्मक फीडबैक भी दिया जाना चाहिए। मूल्यांकन से विद्यार्थियों के सीखने के सार्थक संचय को बढ़ावा मिलना चाहिए।

बोर्ड परीक्षाओं में सुधारः

कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अत्यधिक तनाव का कारण बनती हैं, जिसका असर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन्हें लचीला बनाते हुए एनसीएफ वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की वकालत करता है, जिससे छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। इस प्रणाली के तहत, छात्र उन विषयों में बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं जिन्हें उन्होंने पूरा कर लिया है और जिसके लिए वे तैयार महसूस करते हैं। वे कई प्रयासों से अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर को भी बनाए रख सकते हैं।

एक मुख्य बातः

यह एनसीएफ इसे कैसे पढ़ा जाए का भी उल्लेख करता है। यह कहता है कि इसे कैसे पढ़ा जाए इस पर पूरा पृष्ठ इस पर लिखा गया है जिसमें उदाहरण सहित अलग-अलग स्टेक होल्डर को किस प्रकार पढ़ना चाहिए बताया गया है। इसी में उदाहरण दिया गया है कि यदि कोई विज्ञान शिक्षक केवल अपने विषय पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है, तो उसे भाग ए को पूरा पढ़ना चाहिए और फिर भाग सी में विज्ञान शिक्षा पर अध्याय पढ़ना चाहिए। शिक्षा प्रशासक स्कूल संस्कृति और प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाह सकते हैं जो भाग डी में है और एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाना जो भाग इ में है, लेकिन इन्हें भाग ए की संपूर्णता के साथ पढ़ा जाना चाहिए। पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम डेवलपर्स को संपूर्ण खंड पढ़ना चाहिए, जबकि सामग्री डेवलपर्स शिक्षकों और प्रशासकों के लिए ऊपर बताए गए दृष्टिकोण को अपना सकते हैं। शिक्षा प्रणाली के अन्य इच्छुक हितधारक सारांश और फिर अपनी रुचि के अध्याय पढ़ सकते हैं। हालाँकि, उनके लिए भी, भाग ए पर नजर डालना उपयोगी होगा।’’

एनसीएफ चेतावनी देता हुआ कहता है कि शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को, शिक्षकों से लेकर उच्चतम स्तर के प्रशासकों तक को सारांष पढ़ने के उपरांत यह नहीं मान लेना चाहिए कि एनसीएफ-एसई पढ़ा हुआ है।’’
इसलिए हमारा निवेदन है कि यह आलेख इसका परिचय मात्र है। अनुरोध रहेगा कि सभी इसको पूरा पढें।



डा.प्रमोद चमोली के बारे में:

शिक्षण में नवाचार के कारण राजस्थान में अपनी खास पहचान रखने वाले डा.प्रमोद चमोली राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सहायक निदेशक पद पर कार्यरत रहे हैं। राजस्थान शिक्षा विभाग की प्राथमिक कक्षाओं में सतत शिक्षा कार्यक्रम के लिये स्तर ‘ए’ के पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकों के लेखक समूह के सदस्य रहे हैं। विज्ञान, पत्रिका एवं जनसंचार में डिप्लोमा कर चुके डा.चमोली ने हिन्दी साहित्य व शिक्षा में स्नातकोत्तर होने के साथ ही हिन्दी साहित्य में पीएचडी कर चुके हैं।
डॉ. चमोली का बड़ा साहित्यिक योगदान भी है। ‘सेल्फियाएं हुए हैं सब’ व्यंग्य संग्रह और ‘चेतु की चेतना’ बालकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके है। डायरी विधा पर “कुछ पढ़ते, कुछ लिखते” पुस्तक आ चुकी है। जवाहर कला केन्द्र की लघु नाट्य लेखन प्रतियोगिता में प्रथम रहे हैं। बीकानेर नगर विकास न्यास के मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान कई पुरस्कार-सम्मान उन्हें मिले हैं। rudranewsexpress.in के आग्रह पर सप्ताह में एक दिन शिक्षा और शिक्षकों पर केंद्रित व्यावहारिक, अनुसंधानपरक और तथ्यात्मक आलेख लिखने की जिम्मेदारी उठाई है।


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