पीडियाट्रिक हॉजकिन्स लिंफोमा के इलाज में महत्वपूर्ण उपलब्धि, डॉक्टर सुरेंद्र बेनीवाल और उनकी टीम को ऐतिहासिक सफलता
RNE Bikaner.
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर से संबद्ध आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में पहली बार 10 वर्षीय बच्चे का पीडियाट्रिक हॉजकिन्स लिंफोमा के लिए बोन मैरो का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है। अस्पताल के विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति अब पूरी तरह से सामान्य है।
हरियाणा के निवासी इस बच्चे को हॉजकिन्स लिंफोमा कैंसर से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में लाया गया था। शिशु कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. आयुषी श्रीवास्तव ने बताया कि बोन मैरो प्रत्यारोपण इस बीमारी का स्थायी इलाज है, खासकर तब जब पहले के उपचार असफल हो चुके हों। पिछले कुछ वर्षों में पीबीएम के कैंसर अस्पताल में बोन मैरो प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन यह पहला अवसर था जब किसी बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया।
आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. नीति शर्मा के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ टीम ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। प्रोफेसर और हेड मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. सुरेंद्र बेनीवाल, सहायक आचार्य डॉ. पंकज टांटिया और डॉ. आयुषी श्रीवास्तव ने मिलकर पहले कीमोथैरेपी से बच्चे के कैंसर सेल नष्ट किए। इसके बाद बच्चे का बोन मैरो लेकर उसे उसके शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया।
बच्चे को 30 दिन तक आइसोलेशन में रखा गया, और ठीक होने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। इस सफलता के साथ, अस्पताल ने अपनी विशेषज्ञता और सुविधाओं को और बढ़ाया है, जिससे क्षेत्र के बच्चों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी।
एसपी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी ने इस उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह अस्पताल की पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी में बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है। यह केवल अस्पताल के लिए ही नहीं, बल्कि ऐसे मामलों में बेहतर परिणामों की उम्मीद के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इस सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट में मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। ट्रांस्फ्यूजन मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. नवरंगलाल महावार और अरुण भारती ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके बच्चे के स्टेम सेल इकट्ठा किए।
इसके अलावा, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. कीवी व्यास, ट्रांस्फ्यूशन मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रेम परिहार, रेडिएशन फिजिसिस्ट डॉ. अथि, और नर्सिंग स्टाफ के सदस्य राजकुमार, शंकरलाल, रजत, मनोज, राहुल, विकास एवं संदीप का योगदान भी सराहनीय रहा।