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ऐसे होंगे शिक्षकों के तबादले ! उड़ीसा सरकार के तबादला कैलेंडर सहित पूरी प्रक्रिया का हो रहा अध्ययन

  • राजस्थान में शिक्षकों के तबादले के लिए उड़ीसा नीति लागू करने पर विचार
मनोज आचार्य

RNE, BIKANER.

सबकुछ सही रहा तो जल्द ही राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों की तबादला नीति तैयार हो जाएगी और लोकसभा चुनाव के बाद इसे लागू करते हुए इसी नीति के आधार पर तबादले होंगे। इनमें भी खासतौर पर शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादलों के लिए उड़ीसा सरकार की तबादला नीति का अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए उड़ीसा शिक्षा विभाग के तबादला कैलेंडर, नोटिफिकेशन, तबादले के आधार आदि का राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन चल रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है, इस पर काम काफी आगे बढ़ चुका है। जल्द ही तबादला नीति का एक नया ड्राफ्ट सामने आ सकता है। नया इसलिये क्योंकि इससे पहले पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिनों में भी एक ड्राफ्ट तैयार हुआ था। इसे नीति के रूप में लागू नहीं किया जा सका।

पीपीटी से समझाया गया है रजिस्ट्रेशन से तबादले तक का प्रोसेस :

उड़ीसा के तबादलों का अध्ययन करने वाली टीम पोर्टल पर डाली गई एक पीपीटी के जरिये तबादलों के लिए आवेदन से लेकर आदेश जारी होने तक की प्रक्रिया का अध्ययन कर रही है। यह पूरी प्रक्रिया समयबद्ध चलती है।

प्राथमिक-माध्यमिक की अलग-अलग गाइड लाइन :

उड़ीसा सरकार के ऐसे पुराने नोटिफिकेशन की हो रही पड़ताल

उड़ीसा मॉडल में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की तबादलों की अलग-अलग गाइड लाइन दी गई है। उड़ीसा स्कूल एंड मास एज्युकेशन डिपार्टमेंट के एक नोटिफिकेशन के मुताबिक हैडमास्टर और टीचर के ट्रांसफर की अलग गाइड लाइन जारी की गई है। इनमें सैकंडरी स्कूल के मास्टर, हैडमास्टर शामिल होते हैं। आवेदन के लिए भी सामान्य सिद्धांत तय है। इसके साथ इंटर डिस्ट्रिक्ट, डेफिसिट डिस्ट्रिक्ट और इंट्रा डिस्ट्रिक्ट तबादले को लेकर भी अलग-अलग प्रावधान है। तबादले के लिए अलग-अलग आधार और प्रक्रिया भी बताई गई है।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से ट्रांसफर ऑर्डर तक सब प्रक्रिया PPT से समझाई जाती है ।

आवेदन से निस्तारण तक का तिथिवार कैलेंडर :

इसी तरह एलीमेंट्री यानी प्राथमिक शिक्षा में भी तबादलों की नीति और गाइड लाइन अलग से हैं। इसमें तबादले के लिये पोर्टल पर आवेदन से लेकर आदेश जारी होने तक की पूरी प्रक्रिया तिथिवार तय की गई है।

सभी सरकार विभागों में तबादले के लिये बन रही नीति :

जानकारों का कहना है शिक्षकों के लिये तबादला नीति बनाने पर जहां विशेष जोर दिया जा रहा है वहीं सभी विभागों के लिए भी तबादला नीति बनाई जा रही है। इसके लिए अलग-अलग विभागों, कार्यालयों को पदभार के मुताबिक अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक दो हजार से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालय ‘ए’ श्रेणी में होंगे। इससे कम संख्या वाले कार्यालयों केा ‘बी’श्रेणी में रखना प्रस्तावित है। प्रशासनिक सुधार विभाग इसकी तैयारी कर रहा है जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। कुल मिलाकर, सबकुछ ठीक रहा तो लोकसभा चुनाव के बाद नीति के मुताबिक तबादले शुरू हो सकते हैं।

एक महीने में स्थानांतरण नीति बनाने का निर्देश:

राजस्थान की भजनलाल सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों के एक लिए एक निर्देश पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि एक महीने में तबादलों के लिए अपने विभाग की नीति-निर्देश तैयार करके भेजें। पत्र में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 04 अप्रैल को हुई मीटिंग के लिये गए निर्णयों का हवाला दिया गया है।

इसके साथ ही तबादला नीति बनाने के लिए सभी विभागों को दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए वे अपने-अपने विभाग की नीति बनाएं। इन निर्देशों से कई विभागों या कार्यालयों को छूट दी गई है। जिन्हें छूट के दायरे में रखा गया है उनमें राज्यपपाल सचिवालय, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग शामिल है। सात पेज की इस स्थानांतरण नीति के लिए बनाये गए निर्देश में तबादलों की प्रक्रिया, प्राथमिकता और पात्रता आदि भी बताई गई है।

देखिये तबादला नीति के प्राथमिक दिशा-निर्देश:

 

शिक्षा विभाग में कई बार हुई तबादला नीति की कवायद:

  • 1994 : पूर्व शिक्षा सचिव अनिल बोर्दिया की अध्यक्षता में 1994 में कमेटी बनी। कमेटी ने प्रारूप बना दिया, लेकिन रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी।
  • 1997-98 : नीति लाने की कवायद हुई, लेकिन ग्रामीण ठहराव के आधार पर तबादले के निर्देश जरूर जारी किए गए।
  • 2005 : शिक्षकों के तबादलों में राहत देने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा दिशा निर्देश जारी हुए।
  • 2015. : तबादलों के लिए मंत्री मंडलीय समिति के साथ अन्य की कमेटी बनाई, लेकिन प्रारूप लागू नहीं हो सका।
  •  2018 : तबादलों के लिए फिर मंत्री मंडलीय समिति की कमेटी बनाई, लेकिन फिर प्रारूप लागू नहीं हो सका।
  •  2020: जनवरी में कमेटी बनी। कमेटी ने अगस्त में रिपोर्ट दी। लेकिन केबिनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी ।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट शिक्षाविद महेन्द्र पांडे :

महेन्द्र पांडे

शिक्षाविद एवं राजस्थान प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र पांडे कहते हैं, शिक्षा विभाग में बोर्दिया समिति तथा 2005 एवं 2012 में जारी तबादला दिशा-निर्देश के आधार पर तबादला नियम बनाकर शिक्षकों को लाभ दिया जाना चाहिए। पांडे का कहना है विभाग में अब तक कई बार तबादला नीति की कवायद हुई है लेकिन अब तक निर्णय नहीं हो पाया। नीति से तबादले हो तो राजनीतिक भेदभाव की आशंका कम रहती है। सरकार के प्रति कर्मचारियों का विश्वास बढ़ता है।