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Bikaner BJP : शहर व देहात भाजपा कार्यकारिणी का इंतजार लंबा हुआ, पद की दौड़ लगाकर कई तो हांफ भी गये

  • सबका एक सवाल, कब बंटेंगे पद ?
  • कुछ अब राजनीतिक नियुक्ति की जुगत भिड़ा रहे

अभिषेक आचार्य

RNE Political Desk.

शहर व देहात भाजपा अध्यक्षों को बने अब तो यूं लगता है महीनों बीत गये। मगर इन दोनों अध्यक्षों को अभी तक भी अपनी मनचाही टीम नहीं मिली है। पुरानी टीम से ही उनको पार्टी की गतिविधियां चलानी पड़ रही है। ये तो अच्छा है कि भाजपा का राज्य में शासन है, नहीं तो पार्टी के कार्यक्रम चलाने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती।

कुछ सदाबहार नेता है जो हरेक बड़े नेता के यहां धोक लगा रहे है, ताकि उनका नम्बर पदाधिकारी बनने में आ जाये। अब तो वे भी चक्कर निकाल निकालकर हांफ से गये है। कुछ नए नेताओं तो फिर हारकर मंडल कार्यकारिणी में स्थान बना अपने को संतुष्ट किया है।

इस कारण अटकी कार्यकारिणी:

दरअसल जिला अध्यक्षों के चुनाव में पहले खींचतान हुई। समय पार होने के बाद इस पद के चुनाव हुए। राज्य में 4 जिलाध्यक्षों के चुनाव तो अभी तक भी बाकी है। बीकानेर में देहात अध्यक्ष का तो चुनाव जल्दी हुआ पर शहर अध्यक्ष तो जोर आजमाईश के बाद ही तय हुआ।

इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भी बहुत देरी हुई। वहां भी अभी तक कार्यकारिणी नहीं बनी। प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को पुराने पदाधिकारियों से ही काम चलाना पड़ रहा है। नये पदाधिकारियों की कई बार सूचियां बनी, मगर जारी नहीं हुई। क्योंकि अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पेंडिंग है। वो होगा तब जाकर प्रदेश पदाधिकारी बनेंगे। वे बनेंगे उसके बाद ही जिलों के पदाधिकारी बनाने का नम्बर आयेगा। इस कारण ही पदाधिकारियों की गाड़ी अटकी हुई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कब होगा, यह भी तय नहीं हुआ है।

फार्मूला जरूर बन गया:

मगर इस बार प्रदेश से जिला स्तर पर पदाधिकारी बनाने का बनाने का फार्मूला जरूर संगठन के स्तर पर तैयार कर लिया गया है। जिसकी जानकारी स्वयं प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ व राज्य भाजपा प्रभारी राधेमोहन ने दी है।

इनके अनुसार इस बार उन लोगों को पदाधिकारी नहीं बनाया जायेगा, जो बारबार पद पा रहे है। 50 फीसदी से अधिक नये लोगों को पद दिए जाएंगे। उसमें भी युवाओं व महिलाओं को तरजीह मिलेगी।

बीकानेर में होगी कईयों की छुट्टी:

इस फार्मूले को पार्टी ने लागू किया तो बीकानेर में कई नेताओं को इस बार निराश होना पड़ेगा। देहात व शहर में अनेक ऐसे पदाधिकारी है जो कई कई बार पद पाए हुए है। इनकी छुट्टी इस बार तय है, जिसके कारण कई हताश भी हो गये है। वहीं कुछ पाला बदलने की फिराक में ही है अर्थात शहर से देहात व देहात से शहर में आकर पद पाने की जुगत भिड़ा रहे है।

वे भिड़ा रहे नियुक्ति की जुगत:

जिन लोगों को इस बात का आभाष हो गया कि इस बार पद मिलना थोड़ी टेढ़ी खीर है, वे लोग जिला या संभाग स्तर पर राजनीतिक नियुक्ति पाने के लिए सक्रिय हो गए है। कुछ तो एडजेस्ट भी हो गए है।