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कहा इसका उपयोग राजनीति या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए

** संघ की 3 दिन की बैठक खत्म
** कई मुद्धों पर गंभीर मंथन

RNE, Network

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) की केरल के पलक्कड़ में चल रही तीन दिन की समन्वय बैठक कल समाप्त हो गई। इस बैठक में राष्ट्रीय, सामाजिक महत्त्व के अनेक मुद्धों पर मंथन हुआ। संघ ने सकारात्मक उद्देश्य के लिए जातिगत जनगणना का समर्थन कर विरोधियों के उठाए इस मुद्दे की धार को कुंद करने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि इससे भाजपा की इस मुद्दे की उलझन भी समाप्त हो जायेगी। भाजपा अब तक न तो इस मुद्दे का समर्थन कर पा रही थी और न विरोध।

संघ ने एससी – एसटी जातियों के उपवर्गीकरण व क्रीमीलेयर से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश को लेकर भी अपना रुख साफ किया। संघ का मानना है कि आरक्षण से जुड़ी जातियों को भरोसे में लेकर और उनकी सहमति के बगैर कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने केरल की बैठक समाप्त होने के बाद एक सवाल के जवाब में जातिगत जनगणना को एक संवेदनशील विषय बताते हुए कहा कि कौन सी जाति किस मामले में पिछड़ गई, किन वर्ग पर विशेष ध्यान की जरूरत है, इन चीजों के लिए कई बार सरकार को उनकी संख्या की जरूरत पड़ती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। जातीय आंकड़ों का उपयोग उनकी भलाई के लिए किया जा सकता है। इसे चुनावी मुद्दा बनाने और राजनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

राष्ट्रपति शासन अनुचित

संघ ने पश्चिम बंगाल में कानून – व्यवस्था की बदहाली के बाद राष्ट्रपति शासन की उठ रही मांग को खारिज कर दिया है। संघ का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा निर्णय उचित नहीं। सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।