
आग लगने पर ही कुआं क्यों खोदता है निगम, नालों को लेकर सजगता क्यों नहीं
- मानसून की तैयारी अभी क्यों नहीं, एक्शन प्लान से बेपरवाही क्यों
- क्या बरसात आने, समस्या होने की प्रतीक्षा करेगा निगम
रितेश जोशी
RNE Special.
हर बार की एक ही कहानी ! थोड़ी से बरसात होते ही सड़के व गलियां तालाब में परिवर्तित !! सड़कों पर चलना मुश्किल !!! कई गलियों के घरों में गंदा पानी निर्बाध प्रवेश करता है !!!! लोगों का गंदगी व पानी से जीवन अस्त – व्यस्त !!!!!
बात यहीं तक नहीं रुकती, ज्यादा नहीं, यदि पिछले दो दशक की घटनाओं को ही याद कर लें तो हम सिहर उठते हैं। मन हिल जाता है और दिमाग को चक्कर आने लगते हैं। सोचना ही भारी पड़ जाता है।
कोई साईकिल सवार नाले में गिरा ! शायद ही कोई बड़ा नाला हो जहां कोई गौ माता न गिरे !!! टैक्सियां धंसना आम बात !!!! कई बार तो इससे भी अधिक चिंता की बात !!!!!
एक्शन प्लान क्यों नहीं:
हर बार पहले गर्मी और उसके बाद मानसून आना मौसम का चक्र है। तय है कि गर्मी के बाद बरसात होगी। तो नगर निगम व जिला प्रशासन उस बरसात के मौसम के लिए पहले से ही एक्शन प्लान बना काम शुरू क्यों नहीं करता।
भारत में तो पंचवर्षीय योजना का कॉन्सेप्ट रहा है। यहां तो एक साल की योजना पर ही काम करना है, उसमें भी कोताही क्यो बरती जाती है। गर्मियों में ही बरसात के दिनों में बचाव के काम आरम्भ हो जाने चाहिए ताकि जब बरसात आये तो कोई समस्या खड़ी ही न हो। मीडिया को हेडलाइन न बनानी पड़े कि ‘ पहली बरसात में ही निगम व प्रशासन की पोल खुली ‘। हर बार मीडिया में यही हेडलाइन पढ़ने की अब तो शहरवासी को आदत हो गई है।
गर्मियों से शुरू हो प्रबंध:
हर कोई जानता है कि सर्दी के बाद गर्मी आएगी। बीकानेर में प्रचंड गर्मी रहती है। मौसम विभाग भी जानकारी देने के लिए है। निगम व प्रशासन को सर्दी में ही धूप से लोगों को बचाने के, अस्पताल में गर्मी जनित बीमारियों के इलाज के प्रबंध कर लेने चाहिए। ताकि ऐनवक्त पर अफरातफरी न मचे। जन हानि न हो।
ठीक इसी तरह गर्मी में ही निगम व प्रशासन को बरसात से आने वाली समस्याओं के निदान का प्रबंध कर लेना चाहिए। बड़ी समस्या गंदे पानी के नालों से होती है। ये भर जाते हैं तो पानी बाहर आता है। इनकी सिल्ट निकालने, मरम्मत कराने, इनको ढकने आदि के काम गर्मी में ही आरम्भ होने चाहिए।
खतरनाक व समस्या देने वाले नाले निगम को पता है, नहीं तो सर्वे कर लिया जाना चाहिए और उनका निदान गर्मी में ही आरम्भ कर देना चाहिए।
जन प्रतिनिधियों की भी जिम्मेवारी:
इस काम में जन प्रतिनिधि भी लापरवाह है। उनको भी अपने शहर की चिंता कर हर मौसम से पहले अधिकारियों पर दबाव बना समस्याओं के निदान का प्लान बनाने के लिए कहना चाहिए। मगर अफसोस, वे भी घटना घटित होने के बाद बोलते हैं, पहले नहीं जागते।
ये स्थान हर बार देते परेशानी:
सूरसागर के सामने के नाले, गिन्नानी के नाले, जस्सूसर गेट का नाला, नत्थूसर गेट का नाला, कोटगेट के नाले, कटले का नाला, रामपुरा बस्ती का नाला, गजनेर रोड का नाला आदि। सभी नालों को गर्मी में ही संभलकर दुरस्त व्यवस्था करनी चाहिए।
ये कहते हैं नेता:
रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस का सवाल तो वाजिब है। अभी से ही बरसात के समय की समस्याओं का प्लान बनाकर निदान करने का काम करना चाहिए ताकि उस समय परेशानी न हो। मगर अधिकारियों को जनता की परवाह कहां होती है। कांग्रेस इस बार अभी से इस बहरी सरकार को सुनाने का काम करेगी और निगम, प्रशासन को सचेत करेगी।
बिसनाराम सियाग, देहात कांग्रेस अध्यक्ष