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Rajasthan कांग्रेस में सवाल : डोटासरा पीसीसी चीफ रहेंगे या नया आयेगा, लॉबिंग शुरू

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में चेहरा बदलेगा, ये कयास तो विधानसभा चुनाव हारने के बाद से पार्टी में लगाये जा रहे हैं। मगर तुरंत ही लोकसभा चुनाव थे तो पार्टी ने पीसीसी चीफ बदलने की रिस्क नहीं ली और गोविंद डोटासरा इस पद पर बने रहे। अनेक जिलों में भी कांग्रेस के अध्यक्ष यथावत रख दिये ताकि चुनाव से पहले कोई असंतोष न उभरे।

अब कांग्रेस में एक ही सवाल है कि चुनाव परिणाम के बाद पीसीसी चीफ डोटासरा बने रहेंगे या किसी नये चेहरे को ये जिम्मेवारी दी जायेगी। डोटासरा का कार्यकाल भी पूरा होने को है तो सवाल उठना लाजिमी है। डोटासरा उस समय पीसीसी चीफ बने थे जब सचिन पायलट हटे थे। उस वक़्त के सीएम अशोक गहलोत के वे विश्वश्त थे और उनकी ही लॉबिंग से मंत्री पद छोड़ वे प्रदेश अध्यक्ष बने। उनको राज्य में गहलोत गुट का ही माना जाता है। हालांकि उन्होंने विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने का भी प्रयास किया है। इससे भी इंकार नहीं कि वे माने जाते तो गहलोत के ही साथी हैं। उनकी इस पद पर ताजपोशी का असली फैसला चुनाव परिणाम के आधार पर ही होगा। परिणाम तय करेंगे कि उनको एक्सटेंशन मिलेगा या नहीं।

पर पीसीसी चीफ के लिए कांग्रेस में अभी से लॉबिंग तो शुरू हो गई, ये भी सच्चाई है। अशोक गहलोत ये जिम्मेवारी खुद उठाने के बजाय अपने ही किसी निकटस्थ को दिलाने का प्रयास करेंगे। दूसरी तरफ सचिन पायलट किसी भी सूरत में कांग्रेस में उनकी जो वर्तमान स्थिति है उसे छोड़कर इस पद पर आना नहीं चाहेंगे। क्योंकि अभी उनके पास एआईसीसी महासचिव का पद है और वे छतीसगढ़ के प्रभारी भी है। मगर ये भी तय है कि पीसीसी चीफ के फैसले में पायलट की राय मायने रखेगी और उनकी पूरी दखलंदाजी होगी। आरक्षित वर्ग के टीकाराम जुली को नेता प्रतिपक्ष का पद भी जातीय समीकरण साधने के लिए ही दिया गया था।

पीसीसी चीफ की इस दौड़ में पूर्वी व पश्चिमी राजस्थान के कई नाम लिए जा रहे हैं। पूर्वी राजस्थान पर कांग्रेस वैसे भी अधिक फोकस करना चाहती है। जिन लोगों के नाम चर्चा में है उनमें हरीश चौधरी, रघुवीर मीणा, रघु शर्मा, अशोक चानना भी शामिल है। कांग्रेस की सूरत लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद हर स्थिति में बदलनी तय मानी जा रही है इसी कारण कांग्रेस फिलहाल सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन भी नहीं कर रही।

उस दौर में जबकि राजस्थान में सरकार महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल बंद कर रही है। आठवीं के बाद की फ्री पढ़ाई को लेकर बजट नहीं दे रही है। फ्री बिजली के निर्णय पर भी संशय है। ओपीएस पर भी सरकार खामोश है। अनेक ऐसी योजनाएं जिनको पिछली कांग्रेस सरकार ने शुरू किया था, उन पर तलवार लटकी हुई है। इन सबके बावजूद कांग्रेस कोई आंदोलन खड़ा नहीं कर रही। जयपुर कांग्रेस जरूर महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों को बंद करने के विरोध में बोली है। पीसीसी की तरफ से कुछ भी कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है। फिलहाल कांग्रेसी चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ताकि नेतृत्त्व को लेकर स्थिति स्पष्ट हो।


  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘