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बीकानेर संभाग की तीनों सीटों पर रहेगा रोचक मुकाबला, अभी एक सीट पर नाम तय होने बाकी

आरएनई,बीकानेर। 

बीकानेर संभाग की तीन सीटों बीकानेर, श्रीगंगानगर व चूरू पर इस बार रोचक मुकाबला होगा। क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय बीकानेर जिले को छोड़कर शेष दोनों सीटों वाले क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था। कांग्रेस को चूरू व श्रीगंगानगर सीटों से काफी उम्मीद है। इन तीन सीटों में से दो सीटों पर तो मुकाबला स्पष्ट हो गया मगर एक सीट पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है।

बीकानेर सीट पर भाजपा की तरफ से चौथी बार देश के कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल मैदान में है और कांग्रेस ने उनके सामने अपने पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल को मैदान में उतारा है। भाजपा व कांग्रेस इस सीट पर अपना चुनावी अभियान शुरू भी कर चुके हैं। भाजपा के मेघवाल जहां जनसंपर्क के लिए विधानसभा वार घूम रहे हैं वहीं कांग्रेस के मेघवाल पहले चरण में सबको साथ लेने में जुटे हैं।

बीकानेर पश्चिम की बैठक में उनका ये कहना बड़ा संकेत है कि बीकानेर पूर्व व पश्चिम में खास ध्यान रखना जरूरी है। वहीं श्रीडूंगरगढ़ में उनके सामने ही दो पक्ष एक दूसरे से उलझ गये। गोविंद मेघवाल कांग्रेस को एक करने के बाद ही चुनाव खड़ा कर सकेंगे। अर्जुनराम मेघवाल के पास 6 विधायक हैं और वे भी सक्रिय हैं। राज्य में भाजपा की सरकार है। कांग्रेस के सामने अर्जुन के विजयी रथ को थामने की चुनोती है। वो भी बड़ी चुनोती। ज्यूँ ज्यूँ चुनाव आगे बढ़ेगा तस्वीर और भी साफ होती जायेगी। भाजपा लगातार जीत का पंजा लगाने में जुटी है तो कांग्रेस विजयी रथ को थामने में।

चूरू सीट पर मुकाबला रोचक है। राहुल कस्वां ने कांग्रेस में आते ही सबसे पहले सब नेताओं को साथ लेने का काम आरम्भ किया। इस सीट पर उनको इंडिया गठबंधन के सहयोगी माकपा का भी साथ मिला है। भाजपा ने कस्वां का टिकट काट देवेंद्र झांझड़िया को टिकट दिया। वे भी जनसंपर्क में जुट गये। इस सीट पर पूरे राज्य की नजर है क्योंकि कस्वां बागी होकर कांग्रेस में आये हैं। यहां भी मुकाबला रोचक रहेगा। श्रीगंगानगर सीट पर दोनों ही दलों ने अभी अपने उम्मीदवार होल्ड किये हुए हैं। भाजपा वर्तमान सांसद निहालचंद को लेकर अभी भी असमंजस में है तो कांग्रेस जो विधानसभा में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है वो उसके उम्मीदवार की प्रतीक्षा में है। ताकि कोई बड़ा उलटफेर कर सके। संभाग की तीनों सीटों पर रोचक मुकाबले की उम्मीद ने राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘