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राज्य के उप चुनाव में सचिन की प्रतिष्ठा दाव पर, वर्चस्व की आरपार की लड़ाई

RNE, State Bureau  

राज्य में होने वाले 5 विधानसभा सीटों के उप चुनाव से कोई बड़ा राजनीतिक उथल पुथल तो नहीं होगा, मगर इन चुनावों में कईयों के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण अवश्य होगा। भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दाव पर रहेगी और परिणाम दोनों पार्टियों के भविष्य के नेतृत्त्व की तस्वीर को भी साफ कर देंगे। इन 5 सीटों में से वर्तमान में 3 सीट कांग्रेस, 1 रालोपा व 1 भारत आदिवासी पार्टी के पास थी। तीनों ही दलों ने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा था, उप चुनाव में क्या स्थिति रहेगी, ये अभी स्पष्ट होना है।

रालोपा सुप्रीमो यूं तो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है मगर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अकेले उप चुनाव लड़ने का भी बयान दिया था। उप चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद ही ये स्पष्ट होता लगता है कि इंडिया गठबंधन के दल साथ रहते हैं या अलग अलग लड़ते हैं।

कांग्रेस में जिस नेता की प्रतिष्ठा दाव पर रहेगी, वो है सचिन पायलट। उनके ही तीन साथी हरीश मीणा, मुरारीलाल मीणा व ब्रजेन्द्र ओला लोकसभा जीते और उनकी ही सीटों पर उप चुनाव होना है। पूर्वी राजस्थान में देवली उणियारा व दौसा पायलट का गढ़ है। इसलिए इन सीटों को फिर से जीताने की जिम्मेवारी भी उनकी ही रहेगी। इस बेल्ट में गुर्जर – मीणा वोटों का गठजोड़ ही परिणाम तय करता है।

टोंक की देवली उणियारा सीट अभी व दौसा पहले, पायलट के ही क्षेत्र रहे हैं। कांग्रेस तो उनसे ही अपेक्षा करेगी, जो गलत भी नहीं। ब्रजेन्द्र ओला की झुंझनु सीट पायलट के साथ पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा की प्रतिष्ठा का सवाल है। इसमें भी डोटासरा की प्रतिष्ठा ज्यादा दाव पर रहेगी। क्योंकि ये सीट शेखावाटी क्षेत्र की है, जो डोटासरा का क्षेत्र है। खींवसर सीट पर रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा दाव पर रहेगी। पिछला विधानसभा चुनाव भी वो दो हजार से कुछ अधिक वोटों से ही जीते थे।

उनको ये सीट जीतना इसलिए जरूरी है क्योंकि उसी से साबित होगा कि नागौर की जाट राजनीति में उनका वर्चस्व है। बिना कांग्रेस ये सीट जीतना रालोपा के लिए थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि भाजपा को इसी सीट से उम्मीद है और वो यहां पूरी ताकत लगायेगी। उप चुनाव का परिणाम रालोपा का राज्य में भविष्य तय करेगा। राजकुमार रोत को भी आदिवासी पार्टी के लिए सीट जीतना जरूरी है, तभी लगेगा कि बांसवाड़ा व आदिवासी इलाके में भारत आदिवासी पार्टी का वर्चस्व है।
इस तरह 5 सीटों के उप चुनाव के परिणाम यदि भाजपा के विपरीत जाते हैं तो प्रदेश भाजपा के कई नेताओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगेगा। पायलट, डोटासरा, बेनीवाल, रोत और प्रदेश भाजपा के कई नेताओं की साख उप चुनावों में दाव पर रहेगी।


– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘