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राजस्थान के डीडवाना का मामला : सास की मृत्यु पर आश्रित विधवा बहू को अनुकंपा नियुक्ति

फर्स्ट पर्सन : फैसले की कहानी, सुप्रीम कोर्ट में केस से जुड़े अधिवक्ता की जुबानी

सास की मौत होने पर आश्रित विधवा बहू को उसकी जगह सरकारी नौकरी देने से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। मतलब यह कि सास की जगह आश्रित बहू सरकारी नौकरी करेगी। इस अनूठे मामले की पूरी कहानी जानिये सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता अंकित आचार्य की जुबानी।


  • सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सास की मौत पर विधवा बहू को अनुकंपा नियुक्ति
  • राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का प्रार्थना पत्र खारिज किया

RNE Network.

नागौर के डीडवाना में भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला विद्यालय में २०१९ में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशोपरांत विधवा बहू को सास की मृत्यु के बाद मिली चतुर्थ श्रेणी में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सही ठहराते हुवे एक बड़ी राहत दी है।

याचिकाकर्ता की सास की सरकारी नौकरी में कार्यरत रहते हुवे २०१४ में स्वर्गवास हो गया था। उसके कुछ महीनों बाद ही उनके स्वसुर का भी देहांत हो गया था और उनके पति को सालों पहले मृत घोषित कर दिया गया था। ऐसे में याचिकाकर्ता पूर्ण रूप से अपनी सास पर आश्रित थी और उनके देहांत के बाद घर का और दो बेटियों को पालने का भार उन्हीं के ऊपर आ गया था।

तत्पश्चात् उन्होंने राज्य सरकार के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश कर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की माँग की मगर उनके प्रार्थना पत्र को राज्य सरकार द्वारा यह कहकर ख़ारिज कर दिया गया कि घर की बहू अनुकम्पात्मक नियुक्ति हेतु नियमों के आधार पर योग्य नहीं है। अनुकंपा के आधार पर नौकरी के नियमों में आश्रितों की परिभाषा में बेटा, बेटी, पति, पत्नी, माता, पिता, बहन और भाई आते हैं मगर विधवा बहू परिभाषा में सम्मलित नहीं है। इस आधार पर उनकी प्रार्थना ख़ारिज की गई।

याचिकाकर्ता द्वारा सरकार के इस आदेश के ख़िलाफ़ माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका पेश की गई जो कि एकल पीठ द्वारा स्वीकार की गई। उच्च न्यायालय ने अपनी ही अन्य पीठ द्वारा दिये गये निर्णय “पिंकी बनाम राजस्थान सरकार” का हवाला देते हुवे याचिका स्वीकार की। तत्पश्चात् सरकार ने खंड पीठ में अपील पेश की जो ख़ारिज की गई।

इन फ़ैसलों के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील पेश की गई जो कि शुक्रवार को ख़ारिज की गई। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड श्री अंकित आचार्य ने पैरवी की और सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री शिवमंगल शर्मा ने पक्ष रखा।

निर्णय का सार :

एक विधवा बहू को अनुकम्पात्मक नियुक्ति मिलने के अधिकार के क़ानूनी बिंदु पे कोई टिप्पणी किए बग़ैर न्यायालय ने याचिकाकर्ता को राहत दी। हालाँकि बहस के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मिथल ने “पिंकी बनाम राजस्थान सरकार” के फ़ैसले को सही माना मगर फिर भी इस क़ानूनी बिंदु पे बिना कोई टिप्पणी किए याचिकाकर्ता की नियुक्ति को सही मानते हुवे सरकार की अपील को ख़ारिज कर उन्हें एक बड़ी राहत दी।