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Bikaner Theatre Festival : फेस्टिवल में 24 नाटकों का हुवा मंचन, प्रतिदिन एक हज़ार से भी अधिक दर्शकों ने नाटकों को देखा व सराहा

RNE, BIKANER.

जिला प्रशासन बीकानेर, विरासत सवर्धन संस्थान, हंसराज डागा चैरिटेबल ट्रस्ट व अनुराग कला केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे राष्ट्रीय स्तर के बीकानेर थियेटर फ़ेस्टिवल के पांचवे व अंतिम दिन आज चार नाटकों का मंचन व रंग संवाद हुवा । आयोजक टी एम लालाणी, हंसराज डागा व सुधेश व्यास ने बताया की राजेंद्र गुप्ता को समर्पित इस फेस्टिवल में महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश , दिल्ली , पंजाब , हिमाचल प्रदेश , आसाम , उत्तर प्रदेश सहित राजस्थान के विभिन्न शहरों से पांच सौ से अधिक कलाकारों ने अपनी नाट्य कला का प्रदर्शन किया । आयोजन से जुड़े जतिन दुग्गड़ व विजय सिंह राठौड़ ने बताया की इस फेस्टिवल में 24 नाटकों का मंचन हुवा तथा प्रतिदिन एक हज़ार से भी अधिक दर्शकों ने इन नाटकों को देखा व सराहा । पांचों दिनों के सत्रों का संचालन हरीश बी शर्मा , सुरेश हिंदुस्तानी, संजय पुरोहित व जया पारीक ने किया ।

ये आदमी ये चूहे :- अंधी दौड़ में सच्चे साथी की तलाश

पांचवे दिन की पहली प्रस्तुति टी एम आडिटोरियम में राष्ट्रीय कला मंदिर श्री गंगानगर की और से जॉन स्टीनबैक के उपन्यास “ऑफ़ मेन एंड माइस” पर आधारित नाटक ये आदमी ये चूहे था । मोहन दादरवाल द्वारा नाट्य रूपांतरित व विजय जोरा एवम् मोहन दादरवाल द्वारा निर्दर्शित यह नाटक दो खानाबदोश भूमिहीन मजदूरों की दारुण कथा है जो स्वार्थी व चूहा दौड़ के इस दौर में भी हमेशा साथ रहते हैँ ।

नाटक में राजेश नायक, रितिक मेघवाल, सुरेंद्र नायक, पूजाक्षी जग्गा , शिवा चारण, सहज संधू , ममता आहुजा मोहन दादरवाल ने प्रभावी अभिनय किया । मंच पार्श्व में राकेश जग्गा , गिरधारी , मनीषा, निधी कुमारी व कनुप्रिया ने विभिन दायित्व संभाले । निर्देशक का सम्मान भाजपा की ज़िलाध्यक्ष सुमन छाजेड़, दयानंद शर्मा आदि ने किया ।

द रिलेशन :- बिना संवादों के भी अभिनय का धमाल 

आज के दिन की दूसरी प्रस्तुति टाउन हाल में थियेटर शाइन, कलकत्ता एवं रिपलिका, जोराहठ, आसाम की तरफ से रूपज्योति महन्ता द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक द रिलेशन था । मुर्गी तथा बत्तख के बच्चों में प्रेम तथा अलगाव को दर्शाते व फिर एक होने की संदेश देने वाली कथा को बिना संवादों के प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया ।

इस नाटक में डेबोब्रोटो पॉल, एरिना चंदा भौमिक, अशोक कामिला, सौरव चक्रवती, विश्वजीत भौमिक, संतु साधुखान, सौविक हलदर, प्रज्ञाश्री चौधरी, दीपक समद्दर अहान रॉयचौधरी, अनिरुद्ध बिस्वास, अनन्या घोष, सुवोजीत बनर्जी रूपज्योति महाना ने प्रभावी अभिनय किया । निर्देशक का सम्मान कमल अनुरागी , सुरेश खत्री व विजय सिंह राठौड़ ने किया ।

ताजमहल का टेन्डर :- व्यवस्था पर कटाक्ष 

आज के तीसरी प्रस्तुति ब्लैक पर्ल आर्ट्स थिएटर ग्रुप, नई दिल्ली की तरफ से अजय शुक्ला द्वारा लिखित व अमूल सागर द्वारा निर्देशित नाटक ताजमहल का टेंडर था । भ्रष्टाचार तथा व्यवस्था पर कटाक्ष करते हास्य व्यंग्य के इस नाटक में ध्रुव गेरा, संजू हलदार, सौरव यादव, सुमन सौरव, हेमंत, हिना चौधरी, सिमरन सिंह, वीर गहलोत, शुभम गुप्ता, सूर्यांश सोनी, भूवन वशिष्ट, अनुज साहू, राशिद अली, प्रतिभा, लव, पापुन सरकार, याशिका ने अपने हास्य अभिनय व चुटीले संवादों से गुदगुदाया । निर्देशक का सम्मान भी किया गया ।

हम दोनों :- रिश्तों की पड़ताल 

फेस्टिवल की अंतिम प्रस्तुति टी एम आडिटोरियम मे अंक, मुम्बई की तरफ से दिनेश ठाकुर द्वारा लिखित व प्रीता माथुर ठाकुर द्वारा निर्देशित हम दोनों रही । यह नाटक मानवीय संबंधों स्त्री पुरुषों के संबंधों की सूक्ष्म पड़ताल पर केंद्रित रहा । नाटक में प्रीता माथुर और अमन गुप्ता ने अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया । इस अवसर पर निर्देशक का सम्मान भी किया ।

रंग संवाद आयोजित :- 

इस अवसर पर देश भर के रंगकर्मियों के साथ रंग संवाद का आयोजन भी किया गया । रंग-अनुशासन और समकालीन रंगकर्म इतिहास, वर्तमान और भविष्य विषय पर आयोजित इस संवाद की अध्यक्षता करते हुवे – डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा की अनुशासन का परीक्षण करते हुवे ही उसे अमल में लाना सही रहेगा क्योंकि अंतिम सत्य जैसा कुछ संभव नहीं । मधु आचार्य आशावादी ने कहा की नाट्य शास्त्र को जाने बिना रंग अनुशासन संभव नहीं । संवाद में गोपाल आचार्य , अजय कुमार, अरु व्यास, डॉ ममता धवन, अमित तिवारी , चंचला पाठक ने भी अपने विचार रखे ।संचालन सुरेश हिंदुस्तानी ने किया ।

अगले वर्ष मिलने के वादे के साथ विदा हुवे :-

बीकानेर ठियेठर फेस्टिवल का अंतिम दिन कलाकारों के लिये भावुक कर देने वाला रहा । समन्वयक कमल अनुरागी ने बताया की बीकानेर की भावमय अपनेपन से नम आँखों से विदा हुवे रंगकर्मियों ने बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर की व्यापक सराहना की । वरिष्ठ रंगकर्मी लक्ष्मी नारायण सोनी , प्रदीप भटनागर , दयानंद शर्मा , सुरेश खत्री , कविता व्यास ,आभा शंकर ,अविनाश व्यास, संगीता झा , तरुण गौड़ , अशोक जोशी , बुलाकी भोजक , दलीप सिंह भाटी , विपिन पुरोहित ,संगीता भटनागर , रमेश शर्मा सहित सांस्कृतिक कर्मी राजेंद्र जोशी, अभिषेक आनंद आचार्य , हेमंत डागा , मधुसूदन अग्रवाल ने इसे पूरे बीकानेर का फेस्टिवल बताया ।