
कथाकार, संपादक भी है व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा, सहज भाषा है इस व्यंग्यकार का गहना
“(रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस ( RNE ) का प्रयास है कि वो अपने शहर के उन गंभीर रचनाकारों के बारे में शहर के लोगों को बताए जिन्होंने साहित्य में प्रतिबद्धता से काम किया है। ये काम उनके जन्मदिन पर करेंगे। दिखावा या केवल अखबारों में दिखने के लिए काम नहीं किया है, उनका काम हम बतायेंगे। दिवंगत रचनाकारों के बारे में उनकी पुण्यतिथि पर जानकारी देंगे। – संपादक )”
RNE, EDITOR’S DESK.
बीकानेर को राजस्थानी साहित्य व व्यंग्य विधा की राजधानी कहा जाता है। यह वो शहर है जहां राजस्थानी भाषा के सर्वाधिक लेखक हैं और सर्वाधिक पुस्तकें यहीं छपती है। व्यंग्य विधा में भी यह शहर बहुत समृद्ध है, एक दर्जन से अधिक व्यंग्यकारों की राष्ट्रीय पहचान है। साहित्य में जब भी किसी भी विधा की बात होती है तो बीकानेर के बिना वह अधूरी रहती है।
साहित्य के क्षेत्र में बीकानेर को जिन रचनाकारों ने गौरव दिलाया है, उनमें एक नाम कथाकार, व्यंग्यकार व संपादक बुलाकी शर्मा का भी है। वे एक अच्छे बाल साहित्यकार भी है। इन सभी विधाओं की उनकी दो दर्जन के आसपास किताबें आ चुकी है। वे राजस्थानी अकादमी की पत्रिका ‘ जागती जोत ‘ का संपादन भी कर चुके हैं।
बुलाकी शर्मा की व्यंग्य पुस्तक ‘ चेखव की बंदूक ‘ ने उनको राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान दी। इस व्यंग्य संग्रह में उनके लिखे व्यंग्यो का कैनवास स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का है। इनके व्यंग्य पात्र आम जीवन का प्रतिनिधत्व करते हैं, इस कारण पाठक तक सहज ही पहुंचते हैं। इनके व्यंग्य के विषय आम आदमी से जुड़े रहते हैं, इस कारण उनकी भाषा भी सहज व सरल होती है। बुलाकी शर्मा के व्यंग्य की खासियत है उनकी चुटीली मगर सहज व आम आदमी तक संप्रेषित होने वाली भाषा।
हर वर्ग का पाठक इसी कारण उनके लिखे व्यंग्य चाव से पढ़ता है। दूसरी उनकी खासियत है, विषय चयन। बुलाकी शर्मा अपने व्यंग्य में ऐसे विषय चुनते हैं जो आम आदमी के जीवन से जुड़े होते हैं मगर वे उसकी पड़ताल करते हुए कैनवास को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाते हैं। वे प्रगतिशील विचारो के पोषक हैं, इस कारण समस्या पर केवल व्यंग्य नहीं करते, उसकी वजह पर भी प्रहार करते हैं। व्यंग्यकार रमेश तिवारी कहते हैं, बुलाकी जी के व्यंग्य बहुत ही पैने और बड़ी मार करने वाले होते हैं। मगर उनकी भाषा सहज बनी रहती है। उसमें आडंबर नहीं होता। व्यंग्यकार रमेश सैनी कहते हैं, बुलाकी जी के व्यंग्य में लाग लपेट नहीं होता। वे बेबाकी से अपनी बात सहजता के साथ कह देते हैं। इस कारण ही उनके व्यंग्य के पाठक विपुल है।
राजस्थानी का साहित्य अकादमी , नई दिल्ली का सर्वोच्च पुरस्कार बुलाकी जी को उनकी कृति ‘ मरदजात अर दूजी कहाणियां ‘ पर मिला हुआ है। उनकी कहानियों का धरातल पूरी तरह से यथार्थवादी है। जिन विषयों को लोग छोड़ देते हैं, बुलाकी जी उन विषयों को पकड़ते हैं और यह बताते हैं कि ये विषय कितने जरुरी है। राजस्थानी भाषा के वे सशक्त कहानीकार, व्यंग्यकार व बाल साहित्यकार हैं। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के बाल साहित्य का राजस्थानी में अनुवाद भी किया है। बुलाकी जी को जन्मदिन पर रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस परिवार व बीकानेर की तरफ से बधाई। उनका रचनाकर्म अनवरत रहे, यही शुभकामना।