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उप चुनाव में कांग्रेस को भाजपा ने उलझाया, राह अब आसन नहीं रहेगी

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विधानसभा उप चुनाव में अपनी राह आसान समझने वाली कांग्रेस की राह अब आसान नहीं रही। भाजपा ने उसे उम्मीदवारों की घोषणा करके पूरी तरह उलझा दिया है। वहीं आदिवासी पार्टी व रालोपा पहले से ही कांग्रेस को परेशानी में डाले हुए हैं। आदिवासी पार्टी ने तो चौरासी व सलूम्बर में उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस को स्पष्ट संकेत दे दिया कि वो अकेली अपनी राह चलेगी, उसे सहयोग की जरूरत नहीं।


जिन 7 सीटों पर उप चुनाव है उसमें दौसा, देवली उणियारा, झुंझनु व रामगढ़ की सीटें कांग्रेस की है। इन्हीं सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों से कांग्रेस को उलझाया है। गठबंधन की आस में कांग्रेस ने इन चार सीटों पर अपनी चुनावी रणनीति बनाई थी, जिसे अब उसे बदलना होगा। किरोड़ीलाल मीणा के मसले पर भी कांग्रेस का आंकलन अब सही नहीं रहा। उनको एक मुद्दा बनाकर कांग्रेस पूर्वी राजस्थान की 4 सीटों का गणित बना रही थी मगर भाजपा ने उनकी बात मानकर कांग्रेस को सकते में डाल दिया। उसका उदाहरण इस बात से मिलता है कि दौसा का टिकट तय होते ही कांग्रेस जो अब तक किरोड़ी पर नरम थी, हमलावर हो गई और उनके इस्तीफे को टिकट का नाटक बताने लग गई है। ये कांग्रेस की बौखलाहट को ही दर्शाता है।


कांग्रेस की दौसा सीट पर भाजपा ने किरोड़ी बाबा के भाई जगमोहन को टिकट दे दिया है। इन्होंने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भी टिकट की दावेदारी की थी, पार्टी ने दोनों चुनावों में उनको टिकट नहीं दिया। अब उप चुनाव में टिकट देकर किरोड़ी बाबा को राजी किया है ताकि मीणा वोटर पर उनका जो वर्चस्व है, उसका पूरा लाभ भाजपा को मिले। किरोड़ी भाजपा सरकार से इस्तीफा देकर लगातार चुनोती दे रहे थे, सीएम ने उनका इस्तीफा भी नहीं स्वीकारा। अब बाबा को भाजपा ने जगमोहन को टिकट देकर राजी किया है। कांग्रेस मुरारीलाल मीणा के परिवार से ही उम्मीदवार उतार गुर्जर मतदाताओं को फोकस करेगी। मगर कांग्रेस की राह आसान नहीं रहेगी।


दूसरी सीट कांग्रेस की देवली उणियारा है। भाजपा ने यहां से गुर्जर उम्मीदवार उतार के दौसा व देवली उणियारा में मीणा – गुर्जर वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। भाजपा ने यहां से राजेन्द्र गुर्जर को उतारा है। वे यहां से पहले विधायक भी रहे हैं। पिछली बार भाजपा ने इनको टिकट नहीं दिया और किरोड़ी बैसला के बेटे विजय बैसला को उतारा मगर वो हार गये। अब गुर्जर उतार भाजपा ने कांग्रेस के सामने परेशानी खड़ी की है। पायलट व हरीश मीणा को अब इस सीट के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा। ये सीट भी कांग्रेस के लिए अब आसान नहीं रहेगी।


तीसरी सीट कांग्रेस की जाट बहुल झुंझनु है। यहां ओला परिवार का वर्चस्व रहा है। पिछला चुनाव ब्रजेन्द्र ओला ने जीता। फिर वे सांसद बन गये। भाजपा ने यहां राजेन्द्र भांबू को टिकट देकर कांग्रेस को उलझा दिया है। पिछला चुनाव उन्होंने भाजपा से बगावत करके लड़ा था और 42 हजार से ज्यादा वोट लिए थे। जिसके कारण ही ओला की जीत हुहि थी। अब भाजपा ने उनको ही उम्मीदवार बना कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी की है। हालांकि यहां से राजेन्द्र गुडा के भी उतरने की संभावना है, यदि ऐसा हो गया तो कांग्रेस को फायदा होगा। वैसे अब इस सीट पर भी कांग्रेस की राह आसान नहीं रही। कड़ा मुकाबला होगा।


कांग्रेस की चौथी सीट है अलवर की रामगढ़। ये सीट जुबेर खान के निधन के कारण खाली हुई है। कांग्रेस यहां सहानुभूति की लहर पर उतरने का मानस बना चुकी है। मगर भाजपा ने यहां से सुखवंत सिंह को उतार के मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की है। भाजपा पिछला चुनाव इन्ही के कारण हारी थी। आजाद समाज पार्टी से सिंह बगावत करके लड़े थे तो भाजपा इस सीट पर तीसरे नम्बर पर पहुंच गई। इस बार भाजपा ने उनको ही उतार दिया है। भाजपा ने हालांकि इनको पहले भी यहां से आजमाया था, मगर ये हार गये। इस बार मुकाबला रोचक होगा मगर सहानुभूति के कारण कांग्रेस थोड़े फायदे में ही रहेगी।

इन कांग्रेस की चारों सीटों के लिए भाजपा ने रोचक स्थिति बना दी है। कांग्रेस को अब उम्मीदवार को लेकर तो सावधानी बरतनी ही होगी मगर अपनी रणनीति में भी बदलाव करना होगा। इन सीटों पर पायलट फैक्टर हावी रहेगा और जाट बहुलता भी असर डालेगी। कुल मिलाकर कांग्रेस की सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवारों से रोचक मुकाबले की स्थिति पैदा कर दी है। भले ही बागियों व परिवारवाद का सहारा लिया हो।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।