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उम्मीदवारों के चयन का काम होगा, उप चुनावों के लिए भी पैनल पर बात

  • कांग्रेस में रहेगा पायलट, सांसदों का दखल
  • भाजपा का आधार होगा सर्वे व जमीनी रिपोर्ट

 

अभिषेक आचार्य

राज्य की 7 विधानसभा सीटों के लिए अब कांग्रेस व भाजपा ने अपनी अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। राज्य की दौसा, देवली उणियारा, चौरासी, सलूम्बर, झुंझनु, खींवसर व रामगढ़ विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा कोर कमेटी की बैठक कर चुकी है तो कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी भी प्राथमिक पैनल बना चुके हैं।


कांग्रेस जहां इन चुनावों में पूरी तरह से सहानुभूति की लहर पर सवार होना चाहती है वहीं भाजपा नये चेहरों को उतारने के मूड में है। इसकी भी अपनी अपनी वजह है। कांग्रेस के पास वर्तमान में दौसा, झुंझनु, देवली उणियारा व रामगढ़ सीटें हैं, जिनको वो खोना नहीं चाहती। वहीं भाजपा के पास अभी केवल सलूम्बर सीट है। बाकी सीटें वो विधानसभा चुनाव में हारी थी। इस कारण वो नये लोग उतारना चाहती है।


कांग्रेस की स्थिति

कांग्रेस के पास अलवर जिले की रामगढ़ सीट थी और यहां से जुबेर खान विधायक थे। उनका निधन हो गया। अब सहानुभूति का फायदा लेने के लिए कांग्रेस यहां से जुबेर खान के परिवार के सदस्य को ही मैदान में उतारना चाहती है। उनकी पत्नी पहले विधायक भी रही है।
झुंझनु की सीट परंपरागत रूप से ओला परिवार की है। ब्रजेन्द्र ओला के सांसद बन जाने से सीट रिक्त हुई है। यहां भी कांग्रेस ओला परिवार के ही सदस्य को उम्मीदवार बनाना चाहती है ताकि लाभ मिल सके। उनके पुत्र यहां से दावेदार भी है।


देवली उणियारा सीट के लिए कांग्रेस कई नामों पर विचार कर रही है। मगर सांसद हरीश मीणा और सचिन पायलट की राय इस सीट के लिए खास महत्त्व रखेगी। दौसा सीट मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने से रिक्त हुई है और उनका यहां वर्चस्व भी है। सचिन पायलट के साथ के कारण ही वे मीणा- गुर्जर मतों की एकता के कारण जीते थे। कांग्रेस मुरारीलाल के परिवार से ही किसी को उतारने का मानस बनाये हुए है।


सलूम्बर सीट कांग्रेस हारी थी। इस कारण इस बार वो इस सीट पर खास ध्यान दे रही है। अपने दिग्गज नेता व पूर्व सांसद रघुवीर मीणा को उतारने पर पार्टी गम्भीरता से विचार कर रही है। चाहती है कि चौरासी सीट पर वो आदिवासी पार्टी को समर्थन करे और वो उनको यहां समर्थन दे। खींवसर सीट पर अब भी सस्पेंस है। रालोपा से गठबन्धन नहीं हुआ तो मिर्धा परिवार से किसी को उतारा जा सकता है। जिसमें विधायक हरेंद्र मिर्धा के पुत्र का नाम आगे है।


भाजपा नयों पर दाव लगा सकती है

भाजपा दौसा व देवली उणियारा सीटें पिछली बार जीत नहीं सकी थी। इस कारण इस बार नये चेहरों पर दाव लगा सकती है। इन सीटों पर किरोड़ीलाल मीणा की राय को महत्त्व मिल सकता है। वहीं चौरासी में वो नया चेहरा उतारने के मूड में लगती है। भाजपा सलूम्बर में सहानुभूति की तरफ जा सकती है। मगर इस सीट पर वसुंधरा राजे की राय खास महत्त्व रखेगी। खींवसर सीट भाजपा पिछली बार बहुत कम वोटों से हारी थी। इस बार वो पूरा जोर लगा रही है और यहां डांगा को रिपीट कर सकती है। झुंझनु व रामगढ़ में नया चेहरा आ सकता है।


कांटे की टक्कर
भाजपा और कांग्रेस के मध्य दौसा, देवली उणियारा, रामगढ़, सलूम्बर में कांटे की टक्कर रहेगी। वहीं खींवसर, चौरासी की सीटें गठबंधन की स्थिति पर निर्भर करेगी। झुंझनु में कांग्रेस को ठौड एज रहेगा।