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व्यंग्य की अभिव्यक्ति संविधान में संरक्षित, कर्नाटक कोर्ट का निर्णय, कोर्ट ने कहा नाटक व व्यंग्य संविधान से पूरी तरह संरक्षित है

RNE Network

नाटक व व्यंग्य की साहित्यिक विधाओं का उपयोग प्रतीकों के जरिये किसी भी स्थिति की आलोचना के लिए होता है। इसको लेकर कई भ्रांतियां लोगों में थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इनको लेकर अपने एक निर्णय में स्पष्ट कर दिया है कि नाटक और व्यंग्य संविधान से संरक्षित है।कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि नाटक और व्यंग्य संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। हाईकोर्ट ने जैन सेंटर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया। इन पर नाटक के दौरान डॉ बी आर अंबेडकर और दलितों पर टिप्पणी का आरोप था।