किरोड़ी का पेच न सुलझा तो भाजपा को परेशानी, उप चुनाव पर होगा असर
RNE Bikaner.
तीन महीनें से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी कृषि मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे का पेच नहीं सुलझा है। ये पेच अब भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। न सीएम और न भाजपा आलाकमान, इस पर कोई निर्णय कर पा रहा है। बात नित नए बयानों से उलझती जा रही है।
पार्टी अध्यक्ष मदन राठौड़ व अन्य मंत्री ये कहते हैं कि बाबा शीघ्र ही पद संभालेंगे। बाबा कहते हैं वे इस्तीफा दे चुके, वापस नहीं लेंगे। वे न सरकारी गाड़ी का उपयोग करते हैं और न दफ्तर जाते हैं। किसी भी फाइल को देखते नहीं। जब भी अवसर मिलता है अपने इस्तीफे का राग जनता व पत्रकारों के समक्ष अलापने से भी नहीं चूकते। बाबा की भाजपा के प्रति निष्ठा पर तो कोई शक ही नहीं कर सकता। मगर जो लोग बाबा को जानते हैं उनको पता है, वे कभी अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे।
इस्तीफे की वजह अभी तक उन्होंने जो बताई, बात वो पूरी सच नहीं है। क्योंकि वे जन मुद्धों पर अब भी उसी तरह मुखर है जैसे कांग्रेस की सरकार के समय थे। बोलने से वे रुकते नहीं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि विपक्ष में रहते जिन अफसरों के खिलाफ वे आंदोलन करते रहे, वे अब भी उन्हीं पदों पर बैठे हैं। पेपर लीक पर भी वे अब भी पहले की तरह ही हमलावर है।
शनिवार को भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल जयपुर आये। उनके बयान ने बाबा का पेच उलझा दिया। उन्होंने तो पत्रकारों से ये तक कह दिया कि उन्हें बाबा के इस्तीफे की जानकारी ही नहीं। ये बयान बाबा को नाराज करने वाला है। जिस बात को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व अन्य नेता, प्रदेश अध्यक्ष, सीएम, जनता, प्रेस सहित सभी जानते हैं, उसके बारे में वे कहते हैं कि उनको जानकारी ही नहीं है। अग्रवाल का ये बयान कम से कम बाबा को पसंद तो नहीं आयेगा। क्योंकि प्रभारी का बयान तो उनके निर्णय को हल्का साबित करने वाला माना जा रहा है। या ये भी हो सकता है कि पार्टी स्तर पर इस मामले में कोई निर्णय हो गया हो और उसे थोड़े समय बाद सामने लाया जाये। यदि ऐसा भी है तो ये बयान सही नहीं माना जा सकता।
7 विधानसभा सीटों के उप चुनाव की तारीख घोषित होने में अब अधिक समय नहीं रह गया। यदि बाबा के पेच को हल नहीं किया गया तो भाजपा को कम से कम 4 सीटों पर तो परेशानी उठानी पड़ेगी। ये तो तय सा लगता है।
दौसा, देवली उणियारा, सलूम्बर व चौरासी सीटों पर असर होगा। पूर्वी राजस्थान की इन सीटों में से सलूम्बर की सीट को छोड़कर भाजपा सभी 3 सीट हारी हुई है और इस बार एक – दो सीट को जीतना चाहती है। बिना बाबा का पेच हल हुए ये थोड़ा मुश्किल काम है। जो भी निर्णय हो, किया जाना चाहिए ताकि विपक्ष को कुछ बोलने का अवसर न मिले। नहीं तो विपक्ष मीणा जाति के बड़े वोट बैंक को इस मुद्दे से प्रभावित करने का प्रयास करेगा। मीणा वोट बैंक इन चार सीटों पर निर्णायक स्थिति में है। भाजपा प्रदेश प्रभारी के बयान व तेवर से तो लगता है कि कोई निर्णय उच्च स्तर पर हो गया, अब उचित समय का इंतजार है जब उसे सार्वजनिक किया जाये।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।