मेयर साहिबा, यह राहत तो अच्छी! आपकी योजना लागू होती तो बेहतर होता!
RNE Bikaner.
लगातार 45° से ऊपर चलते हुए बार-बार 47° को छूने जा रहे तापमान में तपते बीकानेरवासियों को देखकर आखिकर बीकानेर की महिला मेयर सुशीला कंवर का दिल पसीज गया और उन्होंने शहर में हर उस जगह टैंट लगवाने का आदेश दे दिया जहां धूप में ज्यादा देर लोग खड़े रहते हैं या आवाजाही करते हैं।
आदेश का असर हुआ और शुक्रवार रात से टैंट लगने शुरू हो गए। शनिवार सुबह लोग निकले तो सांखला फाटक क्रॉसिंग से ट्रेन के गुजर जाने का इंतजार करते हुए धूप नहीं सहनी पड़ी। राहगीर बोले, क्रॉसिंग समस्या का समाधान तो नेता कर नहीं पाये, यूं छांव का ही इंतजाम हो गया तो थोड़ी राहत मिली। राहत की यह छांव आज दिन और रात में शहर के कुछ और हिस्सों में भी मिलने की संभावना है। मसलन कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग के दोनों ओर, पीडब्ल्यूडी के पास बसों के ठहराव स्थल आदि जगहों पर भी टैंट लगाये जा रहे हैं।
इससे पहले बीकानेर में दमकलों से पानी का छिड़काव शुरू किया जा चुका है। तपती हुई चुनिंदा सड़कों पर पानी की बौछार से उठती भाप देख अहसास होता है कि यहां चलना कितना दुभर है। निश्चित तौर पर मेयर सुशीला कंवर के इस काम की सराहना होनी चाहिए। हां, ऐसी योजना और आदेश थोड़े दिन पहले होते तो और बेहतर होता।
इस राहत पर साधुवाद, लेकिन आपकी योजना तो अलग हैं?
मेयर सुशीला कंवर का टैंट लगाने का यह निर्णय निसंदेह अच्छा है और इस पर साधुवाद भी है। इससे इतर बीकानेरवासियों को यह जानकार सुखद आश्चर्य होगा कि मेयर की ओर से भले ही टैंट लगाने का निर्णय तात्कालिक राहत वाला होगा लेकिन उन्होंने रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेनों के गुजरने के इंतजार में घंटों तपते लोगों को स्थायी छांव दिलाने की योजना भी बना रखी है।
इस योजना का उन्होंने लगभग दो साल पहले बातचीत में खुलासा भी किया था। नगर निगम में राजनीतिक या प्रशासनिक परिस्थितियां कैसी रही हैं, इसके बारे में सभी जानते हैं। संभवतया उसी वजह से अपनी योजना को अमली जामा नहीं पहना पाई। अब हालात ठीक है। बीकानेर, जयपुर, दिल्ली तीनों जगह भाजपा की ट्रिपल इंजन सरकार है। ऐसे में ठोस योजनाओं को धरातल पर लाने के प्रयास रंग ला सकते हैं।
जानिये यह है मेयर की योजना:
मेयर सुशीला कंवर ने कोटगेट और सांखला रेलवे क्रॉसिंग दिन में घंटों बंद रहने और धूप में खड़े लोगों को राहत दिलाने के लिए लगभग दो साल पहले एक योजना बनाई। इस योजना के मुताबिक, क्रॉसिंग के दोनों ओर कुछ दूरी तक टीन या फाइबर शैड लगवाए जा सकते हैं। ऐसे में ट्रेन गुजरने का इंतजार कर रहे लोगों को धूप-बारिश से राहत मिल सकती है। यह योजना सिरे क्यों नहीं चढ़ पाई? क्या इसका तकनीकी परीक्षण हुआ? हुआ तो क्या रिपोर्ट रही आदि सवालों के जवाब अभी आने बाकी है। संभव है अब इस पर पुनर्विचार हो ताकि क्रॉसिंग की समस्या का समाधान नहीं करवा पाने का दर्द कुछ हलका हो सके।